गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक के बाद निकली रथयात्रा – फोटो : अमर उजाला
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जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याण पर काशीवासी उनके जीवन से मोक्ष तक के साक्षी बने। जन्मोत्सव पर निकली राजशाही रथयात्रा में तीर्थंकर की संपूर्ण जीवन यात्रा जीवंत हो उठी। जैन श्रावकों के साथ ही काशी की जनता ने भी तीर्थंकर की राह में फूल बरसाकर स्वागत किया। रथयात्रा में रजत की धूप गाड़ी, 108 चंवर वाली गाड़ी, राजशाही साज-सज्जा वाला विशाल रजत हाथी सबका ध्यान बरबस अपनी ओर खींच रहा था।
दिगंबर जैन समाज की ओर से सोमवार को ग्वाल दास साहू लेन के श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर से तीर्थंकर की शोभायात्रा आरंभ हुई। शोभायात्रा सोराकुआं, ठठेरी बाजार होते हुए चौक पहुंची। चौक थाने के पास तीर्थंकर के विग्रह को विशाल रजत रथ के कमल सिंहासन पर इंद्रों ने विराजमान कराया। जैन समाज के लोगों ने भगवान की आरती उतारी।
रथयात्रा में पार्श्वनाथ के जीवन से मोक्ष तक की झांकियां
सुबह 11 बजे राजशाही रथयात्रा आरंभ हुई और गजरथ रथयात्रा में पार्श्वनाथ के जीवन से मोक्ष तक की झांकियां शामिल थीं। रथयात्रा में अहिंसा परमो धर्म की जय…, जियो और जीने दो… का जयकारा लगाते हुए भक्त बैनर, झंडी गाड़ी, झंडे, ध्वज पताका लेकर चल रहे थे। बीच-बीच में जय-जय जिनेंद्र देव की भव सागर नाव खेव की… का जयकारा गूंज रहा था।
भगवान के रथ को भक्तों ने खींचकर श्रद्धा समर्पित की। रास्ते भर जैन श्रावकों ने 23वें तीर्थंकर की राह में फूल बरसाए और आरती उतारी। छोटे-छोटे बच्चे घोड़े पर सवार थे। रथयात्रा बांसफाटक, गौदोलिया होते हुए सोनारपुरा पहुंची। राजस्थान से आई भजन मंडली के साथ रास्ते भर केसरिया परिधानों में सजी-धजी महिलाओं ने भजनों की प्रस्तुति दी।
भेलूपुर स्थित भगवान की जन्मस्थली जैन मंदिर पहुंचने पर देवाधिदेव की आरती उतारी गई। मंदिर परिसर में भगवान के विग्रह को रजत रथ से उतारकर भक्तों ने रजत नालकी पर विराजमान कर बधाई गीत गाया। इसके बाद मंदिर में रजत पांडुक शिला पर विराजमान करके भगवान का 108 कलशों से अभिषेक, प्रक्षाल और पूजन किया।
जैन धर्म के अष्टम तीर्थंकर 1008 भगवान चंद्रप्रभु का जन्म कल्याणक दिवस सोमवार को भगवान की जन्मभूमि श्री चंद्रावती जी दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र चंद्रपुरी में मनाया गया। प्रात: आठ बजे भगवान का 108 कलश से जलाभिषेक किया गया। वैश्विक महामारी के नाश के लिए वृहद शांति धारा और शांति विधान हुआ।
भगवान चंद्रपभु की विशेष पूजा अर्चना के बाद अन्य पूजा संपन्न हुई। शाम को सात बजे भव्य आरती के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। उत्तर प्रांतीय तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मंत्री प्रशांत कुमार जैन ऑनलाइन जुड़े। महाप्रबंधक सुरेंद्र कुमार जैन, प्रबंधक पंकज जैन, मक्खन लाल जैन, मोना जैन के अलावा दिल्ली जैन समाज के कई श्रावक व समाज के गणमान्य भी आयोजन में शामिल हुए। ब्यूरो
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जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याण पर काशीवासी उनके जीवन से मोक्ष तक के साक्षी बने। जन्मोत्सव पर निकली राजशाही रथयात्रा में तीर्थंकर की संपूर्ण जीवन यात्रा जीवंत हो उठी। जैन श्रावकों के साथ ही काशी की जनता ने भी तीर्थंकर की राह में फूल बरसाकर स्वागत किया। रथयात्रा में रजत की धूप गाड़ी, 108 चंवर वाली गाड़ी, राजशाही साज-सज्जा वाला विशाल रजत हाथी सबका ध्यान बरबस अपनी ओर खींच रहा था।
दिगंबर जैन समाज की ओर से सोमवार को ग्वाल दास साहू लेन के श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर से तीर्थंकर की शोभायात्रा आरंभ हुई। शोभायात्रा सोराकुआं, ठठेरी बाजार होते हुए चौक पहुंची। चौक थाने के पास तीर्थंकर के विग्रह को विशाल रजत रथ के कमल सिंहासन पर इंद्रों ने विराजमान कराया। जैन समाज के लोगों ने भगवान की आरती उतारी।
रथयात्रा में पार्श्वनाथ के जीवन से मोक्ष तक की झांकियां
सुबह 11 बजे राजशाही रथयात्रा आरंभ हुई और गजरथ रथयात्रा में पार्श्वनाथ के जीवन से मोक्ष तक की झांकियां शामिल थीं। रथयात्रा में अहिंसा परमो धर्म की जय…, जियो और जीने दो… का जयकारा लगाते हुए भक्त बैनर, झंडी गाड़ी, झंडे, ध्वज पताका लेकर चल रहे थे। बीच-बीच में जय-जय जिनेंद्र देव की भव सागर नाव खेव की… का जयकारा गूंज रहा था।