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नकल माफिया रैकेट परीक्षाओं में धांधली के लिए हाईटेक तरीका अपनाता था। सरगना जयबाबू इसके लिए बिना सिम का मोबाइल इस्तेमाल करता था। वाई-फाई के जरिये इंटरनेट से कनेक्ट कर मोबाइल से प्रश्नपत्र सॉल्व होने के लिए भेजा जाता था। साथ ही इसी से उत्तर कुंजी भी मंगवाई जाती थी। सबसे खास बात यह है कि हर परीक्षा के बाद मोबाइल नष्ट कर दिया जाता था। फिर अगली परीक्षा के लिए नया मोबाइल लिया जाता था। इस बात का खुलासा सरगना जयबाबू तिवारी से पूछताछ में हुआ।
एसटीएफ अफसरों ने उसके पास से एक बिना सिम वाला मोबाइल भी बरामद किया। जांचने पर इसमें व्हाट्सएप अकाउंट मिला। चैट खंगालने पर लेखपाल भर्ती परीक्षा के ‘एच’ व ‘सी’ सीरीज के प्रश्नपत्र व ए, बी, डी, जी सीरीज की उत्तर कुंजी मिली। पूछने पर बताया कि उसने प्रश्नपत्र अमित कटियार, न्यू कानपुर नाम के व्यक्ति को भेजे थे, जो पेपर सॉल्व कर उत्तर कुंजी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा उसके मोबाइल में लेखपाल भर्ती परीक्षा के 20 अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड मिले।
डायरी में मिला काले कारनामों का लेखाजोखा
जांच पड़ताल में एसटीएफ टीम को जयबाबू के कब्जे से डायरीनुमा कई दस्तावेज मिले। इसमें नकल माफिया रैकेट के काले कारनामों का लेखाजोखा था और यह सारा विवरण उसने खुद अपने हाथ से लिखा था। इनमें उन अभ्यर्थियों के नाम थे, जिन्हें परीक्षा पास कराने का ठेका लिया गया था। इसके साथ ही उनके रोल नंबर, परीक्षा केंद्र का नाम, उन्हें मिली बुकलेट की सिरीज का भी जिक्र था।
अभ्यर्थियों के नाम के आगे उन दलालों का भी नाम लिखा था जिनके जरिये वह रैकेट के संपर्क में आए। सरगना ने यह भी बताया कि इनमें से कुछ नाम 21 अगस्त को हुई फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा के कुछ अभ्यर्थियों के नाम भी हैं। हालांकि नकल की व्यवस्था न हो पाने के कारण इन अभ्यर्थियों से वसूली नहीं हो पाई थी।
अभ्यर्थी को दो लाख में सॉल्व कराया था पेपर
गिरफ्तार अभ्यर्थी मुलायम सिंह यादव के कब्जे से बरामद मोबाइल में बी सीरीज की उत्तर कुंजी मिली। उसने बताया कि उसका सेंटर शैल शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज, नैनी में था। मोबाइल में मिली उत्तर कुंजी के जरिये ही उसने लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर सॉल्व किया था। इसके लिए उसने दो लाख रुपये गिरफ्तार सदस्यों में शामिल बाला लखेंद्र राजभर को दिए थे। यह रुपये वह अनिल कुमार वर्मा निवासी सेवापुरी, वाराणसी के जरिये सरगन जयबाबू तक पहुंचाता था।
आठ लाख में हुई थी डील
गिरफ्तार रानू ने बताया कि उसने ही मुलायम को बाला लखेंद्र से मिलवाया था। परीक्षा पास कराने के लिए आठ लाख की डील हुई थी जिसमें से उसने दो लाख रुपये एडवांस दिए थे। उधर गिरफ्तार पंकज तिवारी ने बताया कि उसने गाजीपुर के चार अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने का ठेका लिया था। जिसके लिए बतौर एडवांस एक-एक लाख रुपये जयबाबू को दिए थे। एसटीएफ अफसरों ने बताया कि जयबाबू के कब्जे से बरामद डायरीनुमा दस्तावेजों में इन सभी अभ्यर्थियों का नाम भी लिखा मिला है। साथ ही अभ्यर्थियों का इंतजाम करने वाले अन्य दलालों जैसे अमित, विजय, महेंद्र, राकेश, आशुतोष आदि के नाम भी लिखे मिले।
विस्तार
नकल माफिया रैकेट परीक्षाओं में धांधली के लिए हाईटेक तरीका अपनाता था। सरगना जयबाबू इसके लिए बिना सिम का मोबाइल इस्तेमाल करता था। वाई-फाई के जरिये इंटरनेट से कनेक्ट कर मोबाइल से प्रश्नपत्र सॉल्व होने के लिए भेजा जाता था। साथ ही इसी से उत्तर कुंजी भी मंगवाई जाती थी। सबसे खास बात यह है कि हर परीक्षा के बाद मोबाइल नष्ट कर दिया जाता था। फिर अगली परीक्षा के लिए नया मोबाइल लिया जाता था। इस बात का खुलासा सरगना जयबाबू तिवारी से पूछताछ में हुआ।
एसटीएफ अफसरों ने उसके पास से एक बिना सिम वाला मोबाइल भी बरामद किया। जांचने पर इसमें व्हाट्सएप अकाउंट मिला। चैट खंगालने पर लेखपाल भर्ती परीक्षा के ‘एच’ व ‘सी’ सीरीज के प्रश्नपत्र व ए, बी, डी, जी सीरीज की उत्तर कुंजी मिली। पूछने पर बताया कि उसने प्रश्नपत्र अमित कटियार, न्यू कानपुर नाम के व्यक्ति को भेजे थे, जो पेपर सॉल्व कर उत्तर कुंजी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा उसके मोबाइल में लेखपाल भर्ती परीक्षा के 20 अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड मिले।
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