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श्वेता सिंह गौर को राजनीति में लाना उनके पति दीपक सिंह गौर की मजबूरी थी। दीपक जसपुरा के मरझा गांव के निवासी थे। वह इस क्षेत्र से 20 वर्षों से राजनीति कर रहे थे। दीपक दो बार ब्लॉक प्रमुख पद और दो बार जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव लड़े और हार गए। इस बार चूंकि डीडीसी की महिला सीट आ गई इसलिए पत्नी श्वेता सिंह को चुनाव में उतारा और जीत हासिल की।
दीपक की मनसा थी कि वह पत्नी को केवल चुनाव जीतने के लिए राजनीति में लाएं, शेष राजनीति स्वयं करें, लेकिन श्वेता सिंह गौर ने अपनी राजनीतिक पकड़ कुछ तरह से हासिल की कि वह भाजपा में महिला मोर्चा की जिला महामंत्री भी बनीं। साथ ही वह सारे काम स्वयं करना पसंद करतीं।
बता दें कि 35 वर्षीय श्वेता सिंह गौर भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री भी थीं। उन्होंने समाज शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। उनकी तीन बेटियां हैं। बताया जा रहा है कि उनके और पति के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा था।
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