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श्वेता ने चुनाव जीत भी लिया। इसके बाद दीपक के सपने उसकी आंखों के सामने तैरने लगे। दीपक अपनी पत्नी के प्रतिनिधि बनकर कामकाज संभालने लगे। कुछ ही महीनों तक सब कुछ सामान्य चला। फिर पढ़ी-लिखी श्वेता स्वयं को घर में कैद न रख सकी और धीरे-धीरे राजनीति में सक्रियता दिखाते हुए वह महिला मोर्चा की जिला महामंत्री बन गई।
पार्टी के कार्यक्रमों में मंच पर अपने प्रतिनिधि के बजाय स्वयं ही कुर्सी पर बैठने लगी। हंसमुख स्वभाव के कारण श्वेता को पार्टी में भी दीपक से ज्यादा तव्वजो मिलने लगी। शायद यहीं से उसके दांपत्य जीवन में खटास भी आनी शुरू हो गई।
सोशल मीडिया में कम समय में बनाई पहचान
जिला पंचायत सदस्य के रूप में एक वर्ष के कार्यकाल में श्वेता गौर अपने क्षेत्र से कहीं ज्यादा पार्टी में लोकप्रिय हो गईं। सोशल मीडिया में सक्रिय रहने के श्वेता के शौक ने उन्हें बहुत ही कम समय में पार्टी में लोकप्रिय बना दिया था। कार्यक्रम या आयोजन में अपनी सहभागिता की फोटो सोशल मीडिया पर वह खुद ही शेयर करती थीं।
इंस्टाग्राम पर उनके 21,000 से ज्यादा और फेसबुक पर करीब 5000 फालोवर हैं। इंस्टाग्राम पर उनकी 1500 से ज्यादा पोस्ट हैं। इसमें अधिकतर फिल्मी गानों पर कुछ सेकेंड के रील्स हैं। इन रील्स के जरिये उन्होंने अपनी अदाकारी की भी झलक दिखाई। दो दिन पूर्व पूरे जनपद में नदी-नाला, तालाब खोदाई के अभियान में श्वेता ने अपने वार्ड में सूखे तालाब में खुद फावड़ा चलाकर इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल की थी। सामाजिक कार्यों में शायद उनकी यह आखिरी तस्वीर थी।
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