कानपुर में साढ़-भीतरगांव मार्ग पर हुए हादसे में सभी 26 लोगों की मौत पानी में डूबने से हुई है। रविवार को हुए पोस्टमार्टम में इस बात की पुष्टि हुई है। जिस खंती की वजह से हादसा हुआ, उसमें पानी बहुत ज्यादा नहीं था, लेकिन ट्राली के नीचे दब जाने की वजह से दम घुट गया। पोस्टमार्टम में सभी के फेफड़ों, लिवर, पेट में पानी भरा मिला। सांस न ले पाने के चलते सबकी मौत हो गई।
10 डॉक्टरों ने तीन घंटे में किया 26 का पोस्टमार्टम
हादसे के बाद देर रात करीब एक बजे डॉक्टरों की टीम पोस्टमार्टम करने भीतरगांव सीएचसी पहुंची। टीम में डॉ. सुनील उत्तम, डॉ. अरविंद अवस्थी, डॉ. विशाल गौतम, डॉ. देवेंद्र राजपूत, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. सचिन सिंह, डॉ. ओपी राय, डॉ. सतीश, डॉ. विपुल चतुर्वेदी व डॉ. रमेश शामिल रहे। डॉक्टरों के पैनल ने वीडियोग्राफी के साथ 2:10 बजे सबसे पहले गीता देवी का पोस्टमार्टम किया। सुबह करीब 5:15 तक पोस्टमार्टम चला।
इनका शव दफनाया गया
पारुल (03) पुत्री राम आधार, रिया उर्फ बिंदिया (03) पुत्री राजू, सान्वी (05) पुत्री कल्लू, शिवम (06) पुत्र लल्लू, रवि (08) पुत्र शिवराम, छोटू उर्फ रोहित (10) पुत्र राम दुलारे, शिवानी (12) पुत्री स्व. राम खिलावन, नेहा उर्फ खुशी (12) पुत्री सुंदर लाल, रचना (12) पुत्री विष्णु, अंजली (13) पुत्री राम सजीवन, सुनीता (17) पुत्री मनोहर, किरन (18) पुत्री शिव नारायण, मनीषा (18) पुत्री राम दुलारे निषाद।
इनका हुआ दाह संस्कार
विनीता (28) पत्नी कल्लू निषाद, अनीता देवी (30) पत्नी वीरेंद्र सिंह, केशकली (35) पत्नी देशराज निषाद, जय देवी (40) पत्नी शिवराम, रानी देेवी (45) पत्नी राम शंकर निषाद, मिथिलेश देवी (48) पत्नी राम सजीवन, गीता देवी (54) पत्नी शंकर सिंह, तारा देवी (50) पत्नी स्वर्गीय टिल्लू, प्रेमा देवी (50) पत्नी राम बाबू, ऊषा (50) पत्नी स्व. ब्रजलाल, लीलावती (52) पत्नी राम दुलारे, राम जानकी (60) पत्नी छिद्दू, फूलमती (70) पत्नी सियाराम।
‘एक बार हमरे लाल का मुंह तो दिखा देव’
गांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। क्योंकि ऐसा कोई घर नहीं जिसने अपने को खोया न हो। शव पहुंचते ही परिजनों ने घेर लिया। हर कोई अपने बेटे, मां, बहन, भाई की एक झलक देखना चाहता था।
लोग जब शव उठाकर चलने लगे तो महिलाएं पीछे-पीछे दौड़ पड़ीं और रोते-रोते कह रहीं थीं कि ‘एक बार हमरे लाल का मुंह तो दिखा देव…, हमरी बिटिया से कहि देव एक बार हम तो बात तो करि लेव…। हादसे का दंश झेलने वाले तीन परिवार ऐसे हैं, जो पूरी तरह से उजड़ गए। केवल एक-एक पुरुष ही बचा है।