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सफीपुर। मखदूम शाह सफी के उर्स के तीसरे और अंतिम दिन हुई मजलिस व पीर के फातेहा में मुरीदों की भीड़ उमड़ी। नूर मियां की मजार पर महफिल हुई और कुल फातेहा पढ़ा गया। वहीं, मजार पर चादर चढ़ाने व मन्नते मांगने का सिलसिला भी जारी रहा।
कस्बे के मोहल्ला पीरजादगान स्थित मजार पर आयोजित उर्स में शुक्रवार कों सज्जादा नशी नवाजिश मोहम्मद फारूकी के आवास पर पीर शाह सफी का फातेहा पढ़ा गया। इसके बाद करबला में शहीद इमाम हुसैन सहित 72 शहीदों को याद कर मजलिस हुई। बदायूं के शरीफ सज्जादा खानकाहे कादरिया मौलाना अतीफ मियां कादरी ने कहा कि मोहम्मद साहब के बाद उनके दामाद मौला अली ने जो जीवन जिया वह सूफियों के लिए मार्ग दर्शन था।
स्वयं खलीफा होकर भी खजाना गरीबों के नाम था। स्वयं का परिवार मजदूरी से मिले पैसे पर चलता था। उन्होंने मौला अली के बेटे इमाम हुसैन सहित 72 की शहादत बयान की। इसके पहले नूरमियां की मजार पर आयोजित महफिल में मशहूर कव्वाल कमर वारसी, राजू मुरली, उस्ताद अली वारिस, राजा सरफराज दरबारी ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इस मौके पर नायब सज्जादा अफजाल फारुकी ने धन्यवाद दिया।
सफीपुर। मखदूम शाह सफी के उर्स के तीसरे और अंतिम दिन हुई मजलिस व पीर के फातेहा में मुरीदों की भीड़ उमड़ी। नूर मियां की मजार पर महफिल हुई और कुल फातेहा पढ़ा गया। वहीं, मजार पर चादर चढ़ाने व मन्नते मांगने का सिलसिला भी जारी रहा।
कस्बे के मोहल्ला पीरजादगान स्थित मजार पर आयोजित उर्स में शुक्रवार कों सज्जादा नशी नवाजिश मोहम्मद फारूकी के आवास पर पीर शाह सफी का फातेहा पढ़ा गया। इसके बाद करबला में शहीद इमाम हुसैन सहित 72 शहीदों को याद कर मजलिस हुई। बदायूं के शरीफ सज्जादा खानकाहे कादरिया मौलाना अतीफ मियां कादरी ने कहा कि मोहम्मद साहब के बाद उनके दामाद मौला अली ने जो जीवन जिया वह सूफियों के लिए मार्ग दर्शन था।
स्वयं खलीफा होकर भी खजाना गरीबों के नाम था। स्वयं का परिवार मजदूरी से मिले पैसे पर चलता था। उन्होंने मौला अली के बेटे इमाम हुसैन सहित 72 की शहादत बयान की। इसके पहले नूरमियां की मजार पर आयोजित महफिल में मशहूर कव्वाल कमर वारसी, राजू मुरली, उस्ताद अली वारिस, राजा सरफराज दरबारी ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इस मौके पर नायब सज्जादा अफजाल फारुकी ने धन्यवाद दिया।
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