पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की चौखट पर किसानों की महापंचायत के दौरान 12 घंटे कब्जा रहा और खूब आतिशबाजी की गई। एसएसपी आवास के सामने मंगलवार की रात 12 बजे ही मंच लगा दिया गया था। बुधवार सुबह पांच बजे से दूर-दराज से किसान आने लगे और एसपी देहात आवास के दरवाजे पर दिनभर किसानों के कपड़े सूखते रहे। शाम पांच बजे किसानों की पंचायत खत्म होने पर ही अधिकारी अपने आवासों में पहुंच पाए।
मेरठ में बुधवार को भाकियू (अराजनैतिक) की कमिश्नरी चौक पर महापंचायत हुई। किसानों ने कमिश्नर पार्क व मेरठ कॉलेज से लेकर एसएसपी आवास के पास कुटी चौराहे तक टेंट लगा दिए। एसएसपी आवास, एडीएम, एसपी देहात के आवास पर बुधवार सुबह से कब्जा कर लिया। किसानों के कपड़े अधिकारियों के आवासों के गेट पर सूखते रहे। पुलिस की मौजूदगी में अधिकारियों के आवास पर खूब आतिशबाजी भी की गई। पुलिस ने किसानों को समझाया, इसके बावजूद वह नहीं मानें। महापंचायत में किसानों की सारी व्यवस्था पुलिस ने संभाली।
आतिशबाजी होती रही, मूकदर्शक बनी रही पुलिस
पुलिस व प्रशासन अधिकारियों आवासों के सामने किसान आतिशबाजी करते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनकर देखती रही। महापंचायत में पुलिस की कोई सख्ती नहीं दिखाई दी। महापंचायत में सिर्फ 20 ट्रैक्टरों से ही किसान आए है। अधिकांश किसान बस और ट्रेन से महापंचायत में पहुंचे। किसानों की बस को रोकने के लिए पुलिस लाइन के सामने सारी व्यवस्था बनाई थी। दलाल किसान नेताओं के खिलाफ किसानों ने नारेबाजी की।
स्टेशन पर उमड़ी भीड़, खचाखच भरी नौचंदी
किसान महापंचायत खत्म होने के बाद सिटी स्टेशन पर किसानों का सैलाब उमड़ा। यह देख स्थानीय रेलवे अधिकारी ने टिकट के तीनों काउंटर चालू करा दिए। जीआरपी ने सरकुलेटिंग एरिया और स्टेशन पर सुरक्षा कड़ी कर दी। जैसे ही स्टेशन पर नौचंदी एक्सप्रेस पहुंची अधिकांश किसान सवार हो गए। रेलवे अधिकारियों का अनुमान है कि नौचंदी में करीब दो हजार किसान सवार हुए।
हापुड़ के 14 हजार किसान परेशान
किसान नेता ने बताया कि हापुड़ में 600 करोड़ रुपये का घोटाला 19 साल पहले हुआ था। किसानों के जमा बिजली बिल की फर्जी रसीद थमा दी गई थी। इसकी जांच हुई। परिणाम ढाक के तीन पात रहा। आज तक किसानों के पास 20-20 लाख रुपये का बिल बकाया आ रहा है। 14 हजार किसान परेशान हैं। कोई समाधान नहीं हो रहा है।
चुड़ियाला के लिए रास्ता मिलना चाहिए
किसानों ने मोहिउद्दीनपुर और परतापुर के बीच चुड़ियाला जाने के लिए रास्ते की मांग की। किसानों ने कहा कि यदि रास्ता नहीं मिला तो भोजपुर की तरह कड़ा कदम उठाना पड़ेगा।