ब्रह्मांड में जिस चीज का भार सबसे ज्यादा है वह है पिता के कंधे पर पुत्र की अरथी। बुजुर्ग ओमप्रकाश के कंधे पर तो ऐसे तीन भार थे। मगर उन्होंने इसे अकेले ही उठाया। मंगलवार की शाम को जब पोस्टमार्टम हाउस से उन्हें उनके पुत्र और दो पौत्रियों के शव मिले तो मदद के तमाम दावे करने वाले समाजों और संस्थाओं के लोगों में से कोई उनके साथ न था। अंतिम संस्कार से पूर्व जीतेंद्र, मान्या और मानवी को चार कंधे भी नसीब न हुए।
मंगलवार सुबह जब मान्या, मानवी और जीतेंद्र की आत्महत्या की खबर शहर में फैली तो सभी हतप्रभ रह गए। तमाम समाजों और संस्थाओं ने शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं। ज्यादातर का कहना था कि जीतेंद्र ने अपनी पीड़ा साझा की होती तो उनकी सहायता की जाती। लेकिन, तीनों के अंतिम संस्कार के लिए कोई समाज, कोई संस्था सामने न आई।
शाहपुर थानाध्यक्ष ने मानवता दिखाई और पिकअप की व्यवस्था कर शवों को राजघाट तक पहुंचवा दिया। वहीं, घोसीपुरा के पार्षद प्रतिनिधि मंता लाल यादव ने अंत्येष्टि के सामान की व्यवस्था कराई। पुत्र और दोनों पौत्रियों को बुजुर्ग ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने कांपते हाथों से मुखाग्नि दी।
सांसद और मेयर पहुंचे, पांच हजार की सहायता दी
एक परिवार के तीन सदस्यों की आत्महत्या की खबर पाकर सांसद रवि किशन शुक्ला और मेयर सीताराम जायसवाल बृहस्पतिवार को घोसीपुरवा पहुंचे और जीतेंद्र के बुजुर्ग पिता ओमप्रकाश श्रीवास्तव को ढांढस बंधाया। वहीं, मेयर सीताराम जायसवाल ने उन्हें पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी।
घटना पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए सांसद ने कहा कि यह अत्यंत ही पीड़ादायक घटना है। अगर समय रहते दिवंगत जीतेंद्र ने अपनी बात कही होती तो हर संभव मदद की जाती। दोनों बच्चियों की फीस की व्यवस्था की जाती। इस दौरान ओमप्रकाश ने मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद के लिए तहसीलदार सदर विकास सिन्हा को ज्ञापन सौंपा।