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गंजमुरादाबाद। बारिश कम होने पर किसानों ने तिल की खेती पर दांव लगाया है। इस वर्ष करीब 210 हेक्टेयर भूमि में तिल की खेती की गई है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो किसानों को एक हेक्टेयर में करीब 50 हजार रुपये तक का मुनाफा निकलने की उम्मीद है।
जुलाई में बारिश कम होने से किसानों को तिल की खेती के लिए जागरूक किया गया था। फसल 15 अक्तूबर तक पककर तैयार हो जाएगी। इस फसल को तैयार करने के लिए किसानों को कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी। एक हेक्टेयर फसल में मात्र छह हजार रुपये की लागत आई है।
वहीं इतने क्षेत्रफल में करीब पांच से छह क्विंटल तिल निकलने की उम्मीद है। जिसकी कीमत करीब 50 हजार तक हो जाएगी। किसान राजेश यादव, रामकुमार, हरिशंकर, श्याम कुमार, हरीराम, दयाशंकर, सोवरन व विकास ने बताया कि पानी कम बरसने की आशंका से उन्होंने इस बार तिल की खेती पर दांव लगाया है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. धीरज तिवारी ने बताया कि तिल की फसल किसानों के लिए बहुत लाभदायक होती है।
रखवाली का भी झंझट नहीं
तिल की फसल की रखवाली करने के लिए किसानों को रातदिन एक करने की आवश्यकता नहीं होती है। असल में तिल के पौधे में एक विशेष प्रकार की गंध आती है। जिस कारण छु्ट्टा जानवर इस फसल को नहीं चरते हैं।
गंजमुरादाबाद। बारिश कम होने पर किसानों ने तिल की खेती पर दांव लगाया है। इस वर्ष करीब 210 हेक्टेयर भूमि में तिल की खेती की गई है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो किसानों को एक हेक्टेयर में करीब 50 हजार रुपये तक का मुनाफा निकलने की उम्मीद है।
जुलाई में बारिश कम होने से किसानों को तिल की खेती के लिए जागरूक किया गया था। फसल 15 अक्तूबर तक पककर तैयार हो जाएगी। इस फसल को तैयार करने के लिए किसानों को कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी। एक हेक्टेयर फसल में मात्र छह हजार रुपये की लागत आई है।
वहीं इतने क्षेत्रफल में करीब पांच से छह क्विंटल तिल निकलने की उम्मीद है। जिसकी कीमत करीब 50 हजार तक हो जाएगी। किसान राजेश यादव, रामकुमार, हरिशंकर, श्याम कुमार, हरीराम, दयाशंकर, सोवरन व विकास ने बताया कि पानी कम बरसने की आशंका से उन्होंने इस बार तिल की खेती पर दांव लगाया है। यदि मौसम अनुकूल रहा तो अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. धीरज तिवारी ने बताया कि तिल की फसल किसानों के लिए बहुत लाभदायक होती है।
रखवाली का भी झंझट नहीं
तिल की फसल की रखवाली करने के लिए किसानों को रातदिन एक करने की आवश्यकता नहीं होती है। असल में तिल के पौधे में एक विशेष प्रकार की गंध आती है। जिस कारण छु्ट्टा जानवर इस फसल को नहीं चरते हैं।
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