मासूम ने खा ली मिट्टी, मौत

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बांगरमऊ (उन्नाव)। परिजनों की जरा सी लापरवाही से मासूम की जान चली गई। घर के बाहर खेल रहे 10 माह के मासूम ने मिट्टी का टुकड़ा निगल लिया। गले में मिट्टी अटकने से उसकी सांस थम गई। मासूम की मौत से घर में कोहराम मच गया।
बेहटा मुजावर थाना क्षेत्र के पंचमखेड़ा गांव निवासी अजय कुमार खेतीबाड़ी करते हैं। उनका बेटा सूर्यांश रविवार शाम घर के बाहर खेल रहा था। पास में ही उसकी मां संतोषी व चार साल भाई सुधीर बैठे थे। खेलने के दौरान सूर्यांश ने मिट्टी का एक टुकड़ा निगल लिया। जब तक कोई परिजन कुछ समझ पाते कि सूर्यांश की हालत बिगड़ गई। मिट्टी का टुकड़ा गले में अटकने से वह छटपटाने लगा। उसकी हालत देख अजय व परिवार के अन्य लोग उसे सीएचसी ले गए। वहां डॉ. सुनील कुमार राठौर ने उसे मृत घोषित कर दिया है। इसके बाद परिजन शव लेकर घर आ गए। मासूम की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। रिश्तेदार व ग्रामीण दुखी परिजनों को ढांढस बंधाते रहे।
डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि खेलते समय बच्चों का ध्यान रखना जरूरी है। छोटे बच्चों की आदत होती है कि जो भी चीज हाथ में आती है उसे मुंह में डाल लेते हैं। स्वांस और भोजन की नली बिल्कुल पास में ही होती हैं। स्वांस नली में कुछ भी फंस तो बच्चा सांस नहीं ले पाता है। इससे उसका जीवन पर संकट आ जाता है।
बताया कि बच्चों के गले में टॉफी, सिक्का, कंचा या बजाने वाली सीटी फंसने के मामले अक्सर आते हैं। अगर सांस चल रही है तो पेट में तेज थपकी देने से फेफड़े दबते हैं और हवा के फोर्स के साथ फंसी हुई चीज बाहर निकल जाती है। अगर थोड़ी भी सांस चल रही है तो इंडोस्कोपी की मदद से फंसी हुई चीज को निकाल दिया जाता है। सर्जरी भी की जा सकती है। अधिकांश मामलों में इतना मौका ही नहीं मिलता।

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बांगरमऊ (उन्नाव)। परिजनों की जरा सी लापरवाही से मासूम की जान चली गई। घर के बाहर खेल रहे 10 माह के मासूम ने मिट्टी का टुकड़ा निगल लिया। गले में मिट्टी अटकने से उसकी सांस थम गई। मासूम की मौत से घर में कोहराम मच गया।

बेहटा मुजावर थाना क्षेत्र के पंचमखेड़ा गांव निवासी अजय कुमार खेतीबाड़ी करते हैं। उनका बेटा सूर्यांश रविवार शाम घर के बाहर खेल रहा था। पास में ही उसकी मां संतोषी व चार साल भाई सुधीर बैठे थे। खेलने के दौरान सूर्यांश ने मिट्टी का एक टुकड़ा निगल लिया। जब तक कोई परिजन कुछ समझ पाते कि सूर्यांश की हालत बिगड़ गई। मिट्टी का टुकड़ा गले में अटकने से वह छटपटाने लगा। उसकी हालत देख अजय व परिवार के अन्य लोग उसे सीएचसी ले गए। वहां डॉ. सुनील कुमार राठौर ने उसे मृत घोषित कर दिया है। इसके बाद परिजन शव लेकर घर आ गए। मासूम की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। रिश्तेदार व ग्रामीण दुखी परिजनों को ढांढस बंधाते रहे।

डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि खेलते समय बच्चों का ध्यान रखना जरूरी है। छोटे बच्चों की आदत होती है कि जो भी चीज हाथ में आती है उसे मुंह में डाल लेते हैं। स्वांस और भोजन की नली बिल्कुल पास में ही होती हैं। स्वांस नली में कुछ भी फंस तो बच्चा सांस नहीं ले पाता है। इससे उसका जीवन पर संकट आ जाता है।

बताया कि बच्चों के गले में टॉफी, सिक्का, कंचा या बजाने वाली सीटी फंसने के मामले अक्सर आते हैं। अगर सांस चल रही है तो पेट में तेज थपकी देने से फेफड़े दबते हैं और हवा के फोर्स के साथ फंसी हुई चीज बाहर निकल जाती है। अगर थोड़ी भी सांस चल रही है तो इंडोस्कोपी की मदद से फंसी हुई चीज को निकाल दिया जाता है। सर्जरी भी की जा सकती है। अधिकांश मामलों में इतना मौका ही नहीं मिलता।

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