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जंगल कौड़िया-जगदीशपुर फोरलेन रिंग रोड
– फोटो : अमर उजाला।
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गोरखपुर जिले में जंगल कौड़िया-जगदीशपुर फोरलेन रिंग रोड का निर्माण तय समय पर शुरू हो पाना फिलहाल संभव ही नहीं है। हकीकत तो यह है कि 26 गांव के किसानों से सहमति के आधार पर 154 हेक्टेयर जमीन ली जानी है, मगर अभी तक जमीन का एक टुकड़ा भी जीडीए के पास नहीं है। ज्यादातर गांवों के किसान तैयार नहीं है। उनकी मांग है कि मुआवजे की राशि मौजूदा बाजार दर के मुताबिक दी जाए। यानि 20 गुना ज्यादा।
सड़क का सर्वे पूरा होने के बाद एनएचएआई की तरफ से पिलर भी लगा दिया गया है। अब भूमि का मुआवजा देने के लिए सहमति पत्र पर दस्तखत लेने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसी क्रम में एसएलओ और एनएचएआई की टीम शुक्रवार की दोपहर एक बजे इटहियां पहुंची। इसके पहले ही सूचना पाकर 100 से अधिक ग्रामीण वहां जुटे गए थे। टीम में शामिल कर्मचारियों ने 10 रुपये के स्टैंप पेपर पर सहमति पत्र भरवाने की बात शुरू की। पहले तो ग्रामीणों ने ध्यान से कर्मचारियों की बात सुनी। इसके बाद हंगामा शुरू कर दिया।
शिलान्यास को तीन महीने बीते, काम शुरू होने में अभी और लगेगा समय
जंगल कौड़िया -जगदीशपुर रिंग रोड की राह में जमीन के साथ ही वन विभाग की एनओसी भी बाधा बनी है। एनओसी तो फिर भी मिल सकती है, मगर मुआवजे के पेच के चलते जमीन का मामला सुलझाना आसान नहीं दिख रहा। करीब 1925 करोड़ की लागत से प्रस्तावित 26.6 किलोमीटर लंबे इस रिंग रोड का निर्माण जून में शुरू होना है।
दो साल में इसे पूरा करने का लक्ष्य है। शहर के चारों तरफ रिंग रोड तैयार होने में अब सिर्फ यही एक पैच बाकी रह गया है। इसके बन जाने से लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज या बिहार की तरफ जाने के लिए बाहर के लोगों को शहर में नहीं दाखिल होना पड़ेगा, जिससे जाम की समस्या कम हो जाएगी। इसी सोच के साथ मुख्यमंत्री की पहल पर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव स्वीकृत किया और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च में इसका शिलान्यास किया था।
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