मुख्यमंत्री से मिलने वाली अभ्यर्थी की स्कूल में नियुक्ति

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उन्नाव। टीजीटी पास अभ्यर्थियों की छह माह बाद भी नियुक्ति न होने के मामले में मुख्यमंत्री से मिलने वाली अभ्यर्थी को सोमवार रात में एक स्कूल में नियुक्ति दिला दी गई। बाकी 37 अभ्यर्थियों को नियुक्ति न मिलने तक डीआईओएस कार्यालय में नियमित उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया है।
सहायक अध्यापकों में शामिल अभ्यर्थी शोभा सिंह जलाल ने सोमवार को मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर डीएम ने डीआईओएस राजेंद्र कुमार पांडेय के कार्यालय में पुलिस का पहरा बैठा दिया था। निर्देश दिए थे कि जब तक अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, वह कार्यालय से नहीं जाएंगे। इसके बाद डीआईओएस ने सभी सात स्कूलों के प्रबंधकों को बार-बार फोन किया। काफी दबाव के बाद देर शाम डीसीकेएम इंटर कालेज गंजमुरादाबाद के प्रबंधक डीआईओएस कार्यालय पहुंचे और शोभा सिंह की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कराई। बाकी 37 अभ्यर्थियों (पीजीटी के आठ व टीजीटी के 29) की जिन छह विद्यालयों में नियुक्ति होनी थी, वह नहीं पहुंचे। डीईआईओएस ने देर रात इन सभी के खिलाफ सदर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई। इस पूरी प्रक्रिया में रात के 12:30 बज गए। इस पर अन्य अभ्यर्थियों को निर्देश दिए गए कि वह नियमित रूप से कार्यालय आकर उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करेंगे।
मंगलवार को उपस्थिति दर्ज कराने आए अभ्यर्थियों ने बताया कि अभी तक कोई अभिलेख लेखा विभाग में जमा नहीं कराए गए, जिनसे वेतन की प्रक्रिया शुरू हो सके। पहले भी डीआईओएस कार्यालय में नियमित उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश हुए थे, लेकिन बार-बार हस्ताक्षर रजिस्टर बदल दिया जाता है। इसके पीछे भी अफसरों और विद्यालय प्रबंधन की साजिश हो सकती है।
डीआईओएस कार्यालय हस्ताक्षर करने आए टीजीटी पीजीटी अभ्यर्थियों में शामिल अखिल निगम, प्रतिमा मिश्रा, चंद्रप्रताप सिंह, रमनदीप, अनूप कुमार श्रीवास्तव, मोहन यादव, रमाशंकर सिंह, कमलेश कुमार, सुशील कुमार, सौरभ मिश्रा, मीतचंद्र, लुकमान, अनमोल सिंह, वेदरत्नन आर्य, मनीष कुमार, अजय यादव, बालेंद्र सिंह ने बताया कि वह छह महीने से नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। सोमवार को सीएम ने सभी की नियुक्ति की बात कही थी, लेकिन यहां जिला प्रशासन ने सिर्फ एक ही शिक्षिका को नियुक्ति दी। बाकी से डीआईओएस कार्यालय में हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं। नाराज अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री को इस मामले में ट्वीट किया है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज से चयनित होने के बाद भी प्रवक्ता/सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए टीजीटी व पीजीटी पास 163 अभ्यर्थियों को आठ नवंबर 2021 को जिले में भेजा गया था। इसमें पीजीटी के 35 प्रवक्ता व टीजीटी के 128 सहायक शिक्षक अभ्यर्थी शामिल थे। नियुक्ति के लिए अब तक लड़ाई लड़ रहे हैं। धरना प्रदर्शन व न्यायालय के आदेश पर पीजीटी में 27 व सहायक अध्यापकों ने 99 स्कूल में नियुक्ति मिली है।
जिन स्कूलों में अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं की जा रही है उनमें अधिकतर प्रबंधकों के रिश्तेदारों की तदर्थ शिक्षक के रूप में तैनात हैं। इसमें किसी प्रबंधक का पुत्र, किसी का दामाद तो किसी के बहनोई शामिल हैं। यही नहीं एक स्कूल में तो तदर्थ शिक्षक प्रधानाचार्य का कार्यभार देख रहे हैं। स्कूल प्रबंधक ऐसी स्थिति में उन्हें हटा नहीं पा रहे हैं। इसका नुकसान अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है।
विभागीय जानकारों की मानें तो टीजीटी पीजीटी जिन अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर डीआईओएस कार्यालय में कराए जा रहे हैं उसी विषय के तदर्थ शिक्षक स्कूल में हस्ताक्षर कर रहे हैं। ऐसे में एक ही पद पर दो लोगों का वेतन कैसे जारी हो सकता है। यह तो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।
टीजीटी पीजीटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति मामले में सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि तदर्थ शिक्षकों को हटाकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज से चयनित अभ्यर्थियों को तत्काल तैनाती दी जाए। उसके बाद भी अधिकारी व प्रबंधक सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
फोटो- 21
कार्यालय नहीं आए डीआईओएस, स्विच ऑफ
टीजीटी व पीजीटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी न कराने पर मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा और शिक्षा विभाग सहित जिला प्रशासन की किरकिरी हुई। डीआईओएस को करीब सात घंटे पुलिस की निगरानी में बिताने पड़े। फजीहत के बाद मंगलवार को वह अपने कार्यालय नहीं पहुंचे। उन्होंने अपना सरकारी (सीयूजी) और व्यक्तिगत मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर लिए। अभ्यर्थी उनका इंतजार करते रहे। कार्यालय के कर्मचारियों ने डीआईओएस के बारे में अलग-अलग जानकारी देकर लोगों को टरकाते रहे।
शासन ने तलब की मामले की रिपोर्ट
इस पूरे प्रकरण पर शासन ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। चर्चा तो यह भी है शिक्षा विभाग में हुई सभी नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच हो सकती है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शासनादेश जारी कर कहा था कि आयोग से चयनित अभ्यर्थी की तय समय में नियुक्त नहीं हो पाती है तो जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षक की होगी। इस आदेश के बाद भी डीआईओएस, विद्यालय प्रबंधकों पर टालते रहे।
मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट में कहा था कि आयोग से चयनित कोई भी अभ्यर्थी किसी भी नौकरी के लिए हो उसे बिना एक रुपया लिए नौकरी दी जाएगी। जिले में मुख्यमंत्री की मंशा को भी तवज्जो नहीं दी गई। सूत्रों के शासन ने जिला प्रशासन से इस पूरे प्रकरण व आयोग से चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने में हुई देरी पर रिपोर्ट तलब की है। हालांकि जिले के अधिकारी अभी ऐसा आदेश न मिलने की बात कह रहे हैं।

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उन्नाव। टीजीटी पास अभ्यर्थियों की छह माह बाद भी नियुक्ति न होने के मामले में मुख्यमंत्री से मिलने वाली अभ्यर्थी को सोमवार रात में एक स्कूल में नियुक्ति दिला दी गई। बाकी 37 अभ्यर्थियों को नियुक्ति न मिलने तक डीआईओएस कार्यालय में नियमित उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया है।

सहायक अध्यापकों में शामिल अभ्यर्थी शोभा सिंह जलाल ने सोमवार को मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर डीएम ने डीआईओएस राजेंद्र कुमार पांडेय के कार्यालय में पुलिस का पहरा बैठा दिया था। निर्देश दिए थे कि जब तक अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, वह कार्यालय से नहीं जाएंगे। इसके बाद डीआईओएस ने सभी सात स्कूलों के प्रबंधकों को बार-बार फोन किया। काफी दबाव के बाद देर शाम डीसीकेएम इंटर कालेज गंजमुरादाबाद के प्रबंधक डीआईओएस कार्यालय पहुंचे और शोभा सिंह की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कराई। बाकी 37 अभ्यर्थियों (पीजीटी के आठ व टीजीटी के 29) की जिन छह विद्यालयों में नियुक्ति होनी थी, वह नहीं पहुंचे। डीईआईओएस ने देर रात इन सभी के खिलाफ सदर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई। इस पूरी प्रक्रिया में रात के 12:30 बज गए। इस पर अन्य अभ्यर्थियों को निर्देश दिए गए कि वह नियमित रूप से कार्यालय आकर उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करेंगे।

मंगलवार को उपस्थिति दर्ज कराने आए अभ्यर्थियों ने बताया कि अभी तक कोई अभिलेख लेखा विभाग में जमा नहीं कराए गए, जिनसे वेतन की प्रक्रिया शुरू हो सके। पहले भी डीआईओएस कार्यालय में नियमित उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश हुए थे, लेकिन बार-बार हस्ताक्षर रजिस्टर बदल दिया जाता है। इसके पीछे भी अफसरों और विद्यालय प्रबंधन की साजिश हो सकती है।

डीआईओएस कार्यालय हस्ताक्षर करने आए टीजीटी पीजीटी अभ्यर्थियों में शामिल अखिल निगम, प्रतिमा मिश्रा, चंद्रप्रताप सिंह, रमनदीप, अनूप कुमार श्रीवास्तव, मोहन यादव, रमाशंकर सिंह, कमलेश कुमार, सुशील कुमार, सौरभ मिश्रा, मीतचंद्र, लुकमान, अनमोल सिंह, वेदरत्नन आर्य, मनीष कुमार, अजय यादव, बालेंद्र सिंह ने बताया कि वह छह महीने से नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। सोमवार को सीएम ने सभी की नियुक्ति की बात कही थी, लेकिन यहां जिला प्रशासन ने सिर्फ एक ही शिक्षिका को नियुक्ति दी। बाकी से डीआईओएस कार्यालय में हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं। नाराज अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री को इस मामले में ट्वीट किया है।

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज से चयनित होने के बाद भी प्रवक्ता/सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए टीजीटी व पीजीटी पास 163 अभ्यर्थियों को आठ नवंबर 2021 को जिले में भेजा गया था। इसमें पीजीटी के 35 प्रवक्ता व टीजीटी के 128 सहायक शिक्षक अभ्यर्थी शामिल थे। नियुक्ति के लिए अब तक लड़ाई लड़ रहे हैं। धरना प्रदर्शन व न्यायालय के आदेश पर पीजीटी में 27 व सहायक अध्यापकों ने 99 स्कूल में नियुक्ति मिली है।

जिन स्कूलों में अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं की जा रही है उनमें अधिकतर प्रबंधकों के रिश्तेदारों की तदर्थ शिक्षक के रूप में तैनात हैं। इसमें किसी प्रबंधक का पुत्र, किसी का दामाद तो किसी के बहनोई शामिल हैं। यही नहीं एक स्कूल में तो तदर्थ शिक्षक प्रधानाचार्य का कार्यभार देख रहे हैं। स्कूल प्रबंधक ऐसी स्थिति में उन्हें हटा नहीं पा रहे हैं। इसका नुकसान अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है।

विभागीय जानकारों की मानें तो टीजीटी पीजीटी जिन अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर डीआईओएस कार्यालय में कराए जा रहे हैं उसी विषय के तदर्थ शिक्षक स्कूल में हस्ताक्षर कर रहे हैं। ऐसे में एक ही पद पर दो लोगों का वेतन कैसे जारी हो सकता है। यह तो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।

टीजीटी पीजीटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति मामले में सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि तदर्थ शिक्षकों को हटाकर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज से चयनित अभ्यर्थियों को तत्काल तैनाती दी जाए। उसके बाद भी अधिकारी व प्रबंधक सुनवाई नहीं कर रहे हैं।

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कार्यालय नहीं आए डीआईओएस, स्विच ऑफ

टीजीटी व पीजीटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी न कराने पर मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा और शिक्षा विभाग सहित जिला प्रशासन की किरकिरी हुई। डीआईओएस को करीब सात घंटे पुलिस की निगरानी में बिताने पड़े। फजीहत के बाद मंगलवार को वह अपने कार्यालय नहीं पहुंचे। उन्होंने अपना सरकारी (सीयूजी) और व्यक्तिगत मोबाइल नंबर स्विच ऑफ कर लिए। अभ्यर्थी उनका इंतजार करते रहे। कार्यालय के कर्मचारियों ने डीआईओएस के बारे में अलग-अलग जानकारी देकर लोगों को टरकाते रहे।

शासन ने तलब की मामले की रिपोर्ट

इस पूरे प्रकरण पर शासन ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। चर्चा तो यह भी है शिक्षा विभाग में हुई सभी नियुक्तियों की उच्च स्तरीय जांच हो सकती है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शासनादेश जारी कर कहा था कि आयोग से चयनित अभ्यर्थी की तय समय में नियुक्त नहीं हो पाती है तो जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षक की होगी। इस आदेश के बाद भी डीआईओएस, विद्यालय प्रबंधकों पर टालते रहे।

मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट में कहा था कि आयोग से चयनित कोई भी अभ्यर्थी किसी भी नौकरी के लिए हो उसे बिना एक रुपया लिए नौकरी दी जाएगी। जिले में मुख्यमंत्री की मंशा को भी तवज्जो नहीं दी गई। सूत्रों के शासन ने जिला प्रशासन से इस पूरे प्रकरण व आयोग से चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने में हुई देरी पर रिपोर्ट तलब की है। हालांकि जिले के अधिकारी अभी ऐसा आदेश न मिलने की बात कह रहे हैं।

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