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एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने बताया कि इस हत्याकांड का खुलासा करने के लिए सीओ पटियाली आरके तिवारी के नेतृत्व में पुलिस की तीन टीमों का गठन किया गया, लेकिन नामजद आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिल पा रहा था। पुलिस ने गहनता से जांच पड़ताल की तो हकीकत सामने आई।
एसपी ने बताया कि गांव के प्रधान अशोक उर्फ बंटू ने गांव के ही हंसराज और उसके पुत्र को फंसाने की साजिश रची थी। हंसराज और उसके पुत्र ने ग्राम समाज की जगह पर मोबाइल टावर लगाने का विरोध किया था। इसी मामले में साजिशकर्ताओं से रंजिश निकालने के लिए हंसराज ने अपने बाजू में खुद को गोली मारकर फर्जी केस दर्ज कराया था। जिसे पुलिस ने विवेचना में खत्म कर दिया, लेकिन दोनों पक्षों में रंजिश बनी रही।
इसी रंजिश में साजिशकर्ता ग्राम प्रधान अशोक उर्फ बंटू ने ग्रामीण सुरेंद्र से फर्जी केस बनवाने के लिए खुद को गोली लगवाने के लिए राजी किया। इसके लिए उसे रुपयों का लालच भी दिया। इस पर सुरेंद्र भी खुद को गोली मरवाने को राजी हो गया।
वारदात के दिन पहले सभी ने शराब पी और योजना के मुताबिक टावर के पास अशोक के नौकर भूपेंद्र ने सुरेंद्र को गोली मार दी। गोली पेट में मारनी थी, लेकिन सीने में लगी। जिससे सुरेंद्र की मौत हो गई। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तमंचा भी भूपेंद्र की निशानदेही पर बरामद कर लिया है। इस मामले में दूसरा साजिशकर्ता अशोक अभी फरार है।
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