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सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : istock
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आगरा में एक वर्ष की वारंटी पर कंपनी से लिए गए गद्दे वादे के अनुसार आरामदायक नहीं निकले। कंपनी से शिकायत के बाद भी ग्राहक को बदलकर नहीं दिए गए। इस पर ग्राहक ने न्याय के लिए उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद प्रस्तुत किया। उपभोक्ता आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य अरुण कुमार ने ग्राहक के पक्ष में निर्णय सुनाया। कंपनी को निर्णय की तिथि से 45 दिन के अंदर गद्दों की कीमत सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से उपभोक्ता को देने के आदेश किए।
मामले के अनुसार, दयालबाग के एलोरा एन्क्लेव निवासी तेजवीर सिंह ने 11 अक्तूबर 2019 को नामचीन कंपनी के दो गद्दे 14,700 रुपये में खरीदे थे। तेजवीर के अनुसार, कंपनी ने एक वर्ष की वारंटी दी थी। कहा था कि गद्दों में कमी आएगी तो बदल दिए जाएंगे। गद्दे बेड पर लगाए। मगर, वो ऊपर-नीचे थे। बिल्कुल आरामदायक नहीं थे। इससे सोने में परेशानी होने लगी।
शिकायत पर भी कंपनी ने नहीं दिया ध्यान
सात नवंबर 2019 को तेजवीर ने कंपनी में शिकायत की। कंपनी की ओर से एक व्यक्ति घर भेजा गया। उसने गद्दों की जांच की। कमी को देखते हुए उन्हें बदलने का आश्वासन दिया। मगर, उसकी शिकायत पर कंपनी ने कोई ध्यान नहीं दिया। गद्दों को नहीं बदला गया और न ही वापस लिया गया।
गद्दे नहीं बदलने पर तेजवीर सिंह ने अपने अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार चौधरी के माध्यम से उसे नोटिस भेजा। इसके बावजूद जब गद्दे नहीं बदले गए तो तेजवीर सिंह ने जनवरी 2022 में अधिवक्ता के माध्यम से उपभोक्ता आयोग प्रथम में वाद प्रस्तुत किया। इसमें गाजियाबाद स्थित कंपनी के महाप्रबंधक और धाकरान चौराहे के पास स्थित कंपनी के ट्रेडर्स को पक्षकार बनाया था। उपभोक्ता फोरम ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है।
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