यूक्रेन संकट: खारकीव में ‘जिंदगी का युद्ध’ लड़कर सुरक्षित निकलीं आगरा की तीन बेटियां, घर लौटी खुशियां

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सार

यूक्रेन में जब से युद्ध शुरू हुआ है, तब से आगरा का छात्रा अंजलि, भाव्या और जया खारकीव शहर में फंसी हुई थीं। मंगलवार की सुबह रोमानिया के रास्ते उनकी वतन वापसी हुई, तब जाकर उनके परिजनों की जान में जान आई। 

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यूक्रेन के खारकीव में फंसी बेटियों की घर वापसी के लिए दस दिनों से पलकें बिछाए इंतजार कर रहे परिजनों की सोमवार शाम जान में जान आ गई। अंजलि, भाव्या और जया रोमानिया एयरपोर्ट से फ्लाइट मंगलवार सुबह को दिल्ली पहुंच गई हैं। परिजन उन्हें लेने के लिए दिल्ली गए हैं। 

सिकंदरा निवासी बृज गोपाल की बेटी अंजलि पचौरी एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। यूक्रेन के खारकीव में फंसी थी। अन्य भारतीय छात्रों के साथ वह नहीं निकल पाई। वहीं, जालमा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. डीएस चौहान की पुत्री भाव्या भी कई दिनों से खारकीव में फंसी हुई थी। 

10 दिन से परिजन कर रहे इंतजार

इनके अलावा अछनेरा निवासी जया कुमारी भी वहां से निकल कर रोमानिया के रास्ते घर वापस लौट रही हैं। अंजलि के पिता बृज गोपाल ने बताया कि बेटी की वापसी से ज्यादा खुशी की बात क्या होगी। दस दिनों से उसका पलकें बिछाए इंतजार कर रहे हैं। रिश्तेदार जुट गए हैं। 

जिला आपदा विशेषज्ञ प्रवीन किशोर ने बताया कि तीनों छात्राएं घर वापसी के लिए फ्लाइट में बैठ चुकी हैं। यूक्रेन से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र विवेक ने बताया कि मिसाइल हमले में शिक्षा संस्थानों को भारी क्षति पहुंची है। वहां आगे की पढ़ाई अनिश्चितकाल के लिए फिलहाल बंद है। 

मां प्रेमलता चौधरी ने बताया कि बेटे के भविष्य को लेकर परेशान हूं। पढ़ाई बीच में छूट गई। सरकार को ऐसे बच्चों की मदद करनी चाहिए। ओडेसा शहर से लौटे रजत सिनसिनवार ने बताया कि जब हम वहां से चले थे तो ऑनलाइन पढ़ाई के निर्देश मिले थे। फिलहाल वहां हालात चिंताजनक हैं। 

15 दिन से यूक्रेन बॉर्डर पर फंसा एनआरआई परिवार

यूक्रेन में फंसे बेटा, बहू और पोता-पोती के लिए सुभाष पार्क स्थित बैंक कॉलोनी निवासी 78 वर्षीय घनश्याम दास 15 दिन से राह देख रहे हैं। भारतीय मूल का यह परिवार 15 दिन से यूक्रेन में स्लोवाकिया बॉर्डर पर फंसा है। घनश्याम दास के पुत्र मुकेश गुप्ता 25 साल से यूक्रेन के कीव में क्रूज टूर एजेंट हैं। 

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घनश्याम दास ने बताया कि बहू यूक्रेनियन है। उसके साथ 23 साल का पोता और पांच साल एवं 19 साल की दो पोती हैं। उनके पास यूक्रेनी पासपोर्ट होने के कारण वहां की सेना उन्हें बॉर्डर पार नहीं करने दे रही। 

बुजुर्ग पिता ने डीएम प्रभु एन सिंह से मदद की गुहार लगाई है। जिला आपदा विशेषज्ञ प्रवीन किशोर ने बताया कि यूक्रेन में फंसे सभी मेडिकल छात्र सकुशल घर वापस आ चुके हैं। मर्चेंट नेवी में कार्यरत ताजनगरी निवासी प्रतीक नायडू भी सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए हैं। 

विस्तार

यूक्रेन के खारकीव में फंसी बेटियों की घर वापसी के लिए दस दिनों से पलकें बिछाए इंतजार कर रहे परिजनों की सोमवार शाम जान में जान आ गई। अंजलि, भाव्या और जया रोमानिया एयरपोर्ट से फ्लाइट मंगलवार सुबह को दिल्ली पहुंच गई हैं। परिजन उन्हें लेने के लिए दिल्ली गए हैं। 

सिकंदरा निवासी बृज गोपाल की बेटी अंजलि पचौरी एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा है। यूक्रेन के खारकीव में फंसी थी। अन्य भारतीय छात्रों के साथ वह नहीं निकल पाई। वहीं, जालमा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. डीएस चौहान की पुत्री भाव्या भी कई दिनों से खारकीव में फंसी हुई थी। 

10 दिन से परिजन कर रहे इंतजार

इनके अलावा अछनेरा निवासी जया कुमारी भी वहां से निकल कर रोमानिया के रास्ते घर वापस लौट रही हैं। अंजलि के पिता बृज गोपाल ने बताया कि बेटी की वापसी से ज्यादा खुशी की बात क्या होगी। दस दिनों से उसका पलकें बिछाए इंतजार कर रहे हैं। रिश्तेदार जुट गए हैं। 

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