यूपीपीएससी : टाइप टेस्ट में खराब की-बोर्ड ने बढ़ाया विवाद, फंसा परिणाम

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– फोटो : Social media

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समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) भर्ती परीक्षा-2022 के टाइप टेस्ट में अभ्यर्थियों ने खराब की-बोर्ड दिए जाने की शिकायत के साथ टाइप टेस्ट दोबारा कराए जाने की मांग की है। इस मामले में अभ्यर्थियों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था। विवाद बढ़ने के कारण परीक्षा का अंतिम चयन परिणाम फंसा हुआ है।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आरओ/एआरओ के 354 पदों पर भर्ती के लिए प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और टाइप टेस्ट भी कराया गया। कंप्यूटर आधारित टाइप टेस्ट 11 से 14 अक्तूबर तक झलवा स्थित एक निजी संस्थान में हुआ। इसमें एआरओ के पदों पर भर्ती के लिए मुख्य परीक्षा में सफल घोषित अभ्यर्थियों ने भागीदारी की थी।

टाइप टेस्ट के दौरान अभ्यर्थियों ने पुराना और खराब की बोर्ड दिए जाने की शिकायत की थी। कई अभ्यर्थियों के की-बोर्ड बदले गए थे, लेकिन वह भी ठीक से कम नहीं कर रहे थे। किसी की-बोर्ड का शिफ्ट तो किसी का स्पेस, बैक स्पेस, कंट्रोल और कोड का बटन ठीक से काम नहीं कर रहा था। अभ्यर्थियों ने आयोग में प्रार्थनापत्र देकर अपनी शिकायत भी दर्ज कराते हुए टाइप टेस्ट दोबारा कराए जाने की मांग की थी।

आयोग में जब सुनवाई नहीं हुई तो अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। अभ्यर्थियों के अनुसार कोर्ट ने मामले के निस्तारण की जिम्मेदारी आयोग को सौंप दी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने आयोग में संपर्क किया। आयोग के सचिव आलोक कुमार से भी मुलाकात की, लेकिन आयोग की ओर से अभी तक इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में कड़ी मेहनत के बाद वे टाइप टेस्ट तक पहुंचे। अभ्यर्थी लंबे समय से टाइप टेस्ट का अभ्यास कर रहे थे। अगर खराब की-बोर्ड के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली तो उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। वहीं, टाइप टेस्ट को दो माह पूरे होने जा रहे हैं, आयोग ने अब तक परिणाम घोषित नहीं किया है। आमतौर पर टाइप टेस्ट के बाद माह भर के भीतर परिणाम आ जाता है। माना जा रहा है कि इसी विवाद के कारण परिणाम फंसा हुआ है।

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समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) भर्ती परीक्षा-2022 के टाइप टेस्ट में अभ्यर्थियों ने खराब की-बोर्ड दिए जाने की शिकायत के साथ टाइप टेस्ट दोबारा कराए जाने की मांग की है। इस मामले में अभ्यर्थियों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था। विवाद बढ़ने के कारण परीक्षा का अंतिम चयन परिणाम फंसा हुआ है।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आरओ/एआरओ के 354 पदों पर भर्ती के लिए प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और टाइप टेस्ट भी कराया गया। कंप्यूटर आधारित टाइप टेस्ट 11 से 14 अक्तूबर तक झलवा स्थित एक निजी संस्थान में हुआ। इसमें एआरओ के पदों पर भर्ती के लिए मुख्य परीक्षा में सफल घोषित अभ्यर्थियों ने भागीदारी की थी।

टाइप टेस्ट के दौरान अभ्यर्थियों ने पुराना और खराब की बोर्ड दिए जाने की शिकायत की थी। कई अभ्यर्थियों के की-बोर्ड बदले गए थे, लेकिन वह भी ठीक से कम नहीं कर रहे थे। किसी की-बोर्ड का शिफ्ट तो किसी का स्पेस, बैक स्पेस, कंट्रोल और कोड का बटन ठीक से काम नहीं कर रहा था। अभ्यर्थियों ने आयोग में प्रार्थनापत्र देकर अपनी शिकायत भी दर्ज कराते हुए टाइप टेस्ट दोबारा कराए जाने की मांग की थी।

आयोग में जब सुनवाई नहीं हुई तो अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। अभ्यर्थियों के अनुसार कोर्ट ने मामले के निस्तारण की जिम्मेदारी आयोग को सौंप दी। इसके बाद अभ्यर्थियों ने आयोग में संपर्क किया। आयोग के सचिव आलोक कुमार से भी मुलाकात की, लेकिन आयोग की ओर से अभी तक इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में कड़ी मेहनत के बाद वे टाइप टेस्ट तक पहुंचे। अभ्यर्थी लंबे समय से टाइप टेस्ट का अभ्यास कर रहे थे। अगर खराब की-बोर्ड के कारण उन्हें सफलता नहीं मिली तो उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। वहीं, टाइप टेस्ट को दो माह पूरे होने जा रहे हैं, आयोग ने अब तक परिणाम घोषित नहीं किया है। आमतौर पर टाइप टेस्ट के बाद माह भर के भीतर परिणाम आ जाता है। माना जा रहा है कि इसी विवाद के कारण परिणाम फंसा हुआ है।



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