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सार
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा, अलीगढ़ से लेकर आजमगढ़, मिर्जापुर मंडल की सीटों पर जनाधार बढ़ाने की रणनीति के तहत करहल विधानसभा सीट को चुना है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
– फोटो : amar ujala
करहल विधानसभा सीट से खड़े समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की नजर पूरब से लेकर पश्चिम तक है। मैनपुरी की करहल सीट के सहारे सपा एक तरफ आगरा, अलीगढ़, मेरठ मंडल की सीटों को जातिगत समीकरणों से साधना चाहती है। दूसरी तरफ आजमगढ़, मिर्जापुर मंडल में सामाजिक न्याय के नारे के सहारे जनाधार बढ़ाने की हसरत है। इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह के नक्शे कदम पर चलते हुए पिता की कर्मभूमि को चुनाव के लिए चुना है।
मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी में शामिल करहल सीट से पहली बार सपा मुखिया अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश अभी आजमगढ़ से सांसद हैं। मैनपुरी में करीब डेढ़ लाख यादव हैं। 2014 में तेजप्रताप लोकसभा चुनाव जीते थे। 2019 में मुलायम सिंह के लिए पौत्र तेजप्रताप ने सीट छोड़ी थी। अब तेजप्रताप के हाथ में अखिलेश की सीट निकालने के लिए कमान है।
पिछले चुनाव में मैनपुरी की तीन सीटें जीती सपा
मुलायम सिंह की तर्ज पर अखिलेश का पूरा चुनाव तेजप्रताप के नेतृत्व में संगठन लड़ेगा। मैनपुरी की चार में से तीन विधानसभा सीटें सपा के पास हैं। करहल से हर चुनावी मुश्किल का हल निकलने की उम्मीद में अखिलेश उत्तर प्रदेश के पूर्वी व पश्चिमी क्षेत्रों को साध रहे हैं। यादव, मुस्लिम के अलावा ब्राह्मण और गैर जाटव दलित व गैर यादव पिछड़ों के समीकरणों के सहारे चुनाव में उतरे हैं।
करहल से पूरब व पश्चिम की उन 100 सीटों पर सपा की नजर है, जहां पिछले चुनाव में वह दूसरे व तीसरे स्थान पर थी। तीसरे चरण में करहल में चुनाव है। जबकि गोरखपुर में चुनाव छठवें चरण में होगा। पार्टी सूत्रों का मानना है कि करहल से उतरकर अखिलेश को अंतिम चरण में होने वाले पूर्वांचल के जिलों की सीटों पर चुनाव में पार्टी को बढ़ाने के लिए अधिक समय मिलेगा।
काशी में मोदी व गोरखपुर में योगी
भाजपा के लिए सियासी मायनों में पूर्वांचल अहम है। काशी से पीएम मोदी सांसद हैं। गोरखुपर से इस बार सीएम योगी चुनाव मैदान में होंगे। दोनों का प्रभाव पूर्वांचल की सीटों पर पड़ेगा। जिसकी काट के लिए अखिलेश ने मैनपुरी की करहल सीट को चुना है। यहां से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा पूर्वी जिलों की सीटों पर भी असर हो सकता है।
‘एमवाई’ फैक्ट की भूमिका
अखिलेश के मैदान में उतरने से पूरब व पश्चिम में एमवाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर मजबूत होगा। जाटों में रालोद की पकड़ मजबूत करेगी। ऐसे में आगरा, मेरठ व अलीगढ़ मंडल सीटों के अलावा सहारनपुर, बुलंदशहर की सीटों पर गठबंधन मजबूत हो सकता है। पूरब में बदायूं, बरेली, लखीमपुर और आजमगढ़, मिर्जापुर मंडल की सीटों पर सपा सामाजिक न्याय के नारे के सहारे चुनावी समर में होगी। करहल से पूरब व पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करीब 100 सीटों पर सपा ने सियासी बिसात बिछाई है।
पश्चिम से पूरब तक फायदा
आगरा अलीगढ़ एटा क्षेत्र से सपा एमएलसी अरविंद यादव ने कहा कि अखिलेश यादव हमारे मुखिया हैं। करहल से उनके चुनाव लड़ने से संगठन में जोश भरा है। आगरा, अलीगढ़, मेरठ से लेकर आजमगढ़, मिर्जापुर, कानपुर मंडल में सपा का जनाधार बढ़ेगा। बदलाव आएगा। पश्चिम से पूरब तक फायदा होगा।
पिछले चुनाव के आंकड़े
– 2017 में 311 सीटों पर सपा ने प्रत्याशी उतारे थे
– 47 प्रत्याशी जीते, 25 सीटों पर जमानत जब्त हुई
– कुल वोट मिले : 18923769 : 21.82%
– 2012 में 401 सीटों पर सपा ने प्रत्याशी उतारे थे
– 224 प्रत्याशी जीते, 53 सीटों पर जमानत जब्त हुई
– कुल वोट मिले : 22090571 : 29.13%
विस्तार
करहल विधानसभा सीट से खड़े समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की नजर पूरब से लेकर पश्चिम तक है। मैनपुरी की करहल सीट के सहारे सपा एक तरफ आगरा, अलीगढ़, मेरठ मंडल की सीटों को जातिगत समीकरणों से साधना चाहती है। दूसरी तरफ आजमगढ़, मिर्जापुर मंडल में सामाजिक न्याय के नारे के सहारे जनाधार बढ़ाने की हसरत है। इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह के नक्शे कदम पर चलते हुए पिता की कर्मभूमि को चुनाव के लिए चुना है।
मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी में शामिल करहल सीट से पहली बार सपा मुखिया अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश अभी आजमगढ़ से सांसद हैं। मैनपुरी में करीब डेढ़ लाख यादव हैं। 2014 में तेजप्रताप लोकसभा चुनाव जीते थे। 2019 में मुलायम सिंह के लिए पौत्र तेजप्रताप ने सीट छोड़ी थी। अब तेजप्रताप के हाथ में अखिलेश की सीट निकालने के लिए कमान है।
पिछले चुनाव में मैनपुरी की तीन सीटें जीती सपा
मुलायम सिंह की तर्ज पर अखिलेश का पूरा चुनाव तेजप्रताप के नेतृत्व में संगठन लड़ेगा। मैनपुरी की चार में से तीन विधानसभा सीटें सपा के पास हैं। करहल से हर चुनावी मुश्किल का हल निकलने की उम्मीद में अखिलेश उत्तर प्रदेश के पूर्वी व पश्चिमी क्षेत्रों को साध रहे हैं। यादव, मुस्लिम के अलावा ब्राह्मण और गैर जाटव दलित व गैर यादव पिछड़ों के समीकरणों के सहारे चुनाव में उतरे हैं।
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