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Kaushambi : अब्दुल कवि, माफिया अतीक का शूटर। फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला।
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अब्दुल कवि कोई तीसमार खां नहीं था। वह माफिया अतीक का एक अदना सा गुलाम था। यह बात अलग है कि राजूपाल हत्याकांड में पूर्ववर्ती सरकारों के संरक्षण में अब्दुल कवि को कैसे लाइसेंस हुआ? लाइसेंस की फाइल रिकार्ड से कैसे गायब हुई… जैसे तमाम बिंदु अब पुलिस जांच के अहम केंद्र में हैं। फौरी जांच में पता चला है कि अब्दुल कवि के शस्त्र लाइसेंस की फाइल भी अब रिकाॅर्ड से गायब है।
एएसपी समर बहादुर ने बताया कि राजूपाल हत्याकांड में फरार शूटर अब्दुल कवि को पूर्ववर्ती सरकारों का संरक्षण प्राप्त था। उसने सत्ता के शरणदाताओं की मदद से वर्ष 2006 में रायफल का लाइसेंस भी बनवा लिया। पुलिस ने शस्त्र लाइसेंस के आवेदन पर कैसे रिपोर्ट लगाई और उसकी स्वीकृति कैसे हुई? ये सब अब गहन जांच का विषय है। एसटीएफ के एडीजी एसटीएफ व एडीजी प्रयागराज भानु भाष्कर ने मामले को गंभीरता से लिया है। उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस जिस तन्मयता से जुड़ी है, माना जा रहा है उससे जल्द ही बड़ी सफलता मिल सकती है।
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