उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में अभिभावकों के खातों में करीब पांच माह पहले रुपये पहुंचने के बाद भी परिषदीय विद्यालयों के अनेक विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग और जूते नसीब नहीं हुए हैं। माना जा रहा है कि अभिभावक आर्थिक तंगी की वजह से उक्त रुपये को अन्य जगह खर्च कर चुके हैं। हालांकि बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग आदि मुहैया कराने के लिए शिक्षकों के द्वारा अभिभावकों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
जिले में 1,437 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। जिनमें सत्र 2021-22 में 2,17,313 विद्यार्थी पंजीकृत थे। बीते वर्षों में परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की यूनिफॉर्म, स्वेटर आदि का पैसा विभाग के खाते में आता था, जहां से पैसा एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) के खातों में भेजा जाता था। वहां ग्राम प्रधान और शिक्षक मिलकर यूनिफॉर्म और स्वेटर आदि की व्यवस्था कराते थे, लेकिन सत्र 2021-22 से प्रदेश सरकार ने प्रति छात्र 1100 रुपये के हिसाब से अभिभावकों के खातों में रुपये भेजे हैं।
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कुल 2,17,313 विद्यार्थियों में से 1,38,000 विद्यार्थियों के अभिभावकों के खातों में 1,100 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से डीबीटी के तहत अक्तूबर 2021 में भेजा गया था। प्रेरणा पोर्टल पर अभी तक 1,74,569 विद्यार्थियों के अभिभावकों के खातों में पैसा ट्रांसफर हो जाने की पुष्टि हो रही हैै। शेष 42,744 विद्यार्थियों के हिस्से का पैसा उनके अभिभावकों के खातों में पहुंचा है या नहीं यह प्रेरणा पोर्टल पर शो नहीं हो रहा है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बीते एक माह से प्रेरणा पोर्टल यूनिफॉर्म आदि का पैसा ट्रांसफर होना शो नहीं कर रहा है। बाकी सभी गतिविधियां पोर्टल पर आ रही हैं। ऐसे में हो सकता है कि शत प्रतिशत विद्यार्थियों के अभिभावकों के खातों में पैसा पहुंच गया हो, क्योंकि विभागीय स्तर से शत प्रतिशत विद्यार्थियों के बैंक आदि की सूचना अपलोड है।
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सामान और उसके दाम
अभिभावकों के खातों में करीब 1100 रुपये भेजे जाने हैं। इनमें प्रत्येक बच्चे की दो यूनिफॉर्म के लिए 600 रुपये, जूते और स्वेटर के लिए 200-200 रुपये तथा स्कूल बैग के लिए 100 रुपये निर्धारित हैं।
विद्यार्थियों की यूनिफॉर्म और अन्य सामग्री के लिए अभिभावकों के खातों में पैसा डीबीटी के माध्यम से भेजा जा चुका है, लेकिन फिर भी कुछ छात्र बिना यूनिफॉर्म और बिना नए बैग के पहुंच रहे हैं। विभाग अभिभावकों को प्रेरित ही कर सकता है और कर भी रहा है। -अंबरीश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।