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सार
उत्तर प्रदेश में तीन चरणों के चुनाव के बाद अब सबकी नजर चौथे चरण पर टिक गई है। नौ जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर 23 फरवरी को मतदान होना है। इसके लिए आज चुनाव प्रचार-प्रसार भी थम गया।
उत्तर प्रदेश में नौ जिलों की 59 सीटों पर 23 फरवरी को चौथे फेज की वोटिंग होगी। 2017 की बात करें तो 59 सीटों में से 50 सीटें भाजपा के खाते में गई थी। एक सीट भाजपा के गठबंधन वाली अपना दल (सोनेलाल) ने जीती थी। बाकी, दो सीटों पर कांग्रेस, चार पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। बहुजन समाज पार्टी के खाते में भी दो सीटें गई थीं। हालांकि, बाद में सपा, कांग्रेस और बसपा के एक-एक प्रत्याशी भाजपा के साथ आ गए थे। इस बार भी वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
यूं तो हर राजनीतिक दल के लिए ये सभी सीटें काफी जरूरी हैं, लेकिन इनमें दस सीटें ऐसी हैं, जिनपर हर किसी की नजर होगी। चौथे चरण में जिन नौ जिलों में चुनाव होने हैं, उनमें से कई जिले कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करते थे। ऐसे में कांग्रेस के सामने अपना गढ़ वापस हासिल करने, भाजपा को पुरानी बादशाहत कायम रखने, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को अपनी साख बचाने की चुनौती होगी। 59 सीटों पर इस बार कुल 624 प्रत्याशियों ने दावेदारी की है। इनमें 27% यानी 167 दागी हैं। 231 करोड़पतियों ने भी चुनाव में ताल ठोकी है।
1. हरदोई : 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले नितिन अग्रवाल इस बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। नितिन को योगी सरकार ने विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया था। नितिन के पिता राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल हैं। नितिन के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अनिल वर्मा और बहुजन समाज पार्टी ने आशीष सिंह सोमवंशी को मैदान में उतारा है।
2. सरोजनी नगर : लखनऊ की सरोजनी नगर सीट इस बार सबसे चर्चित है। यहां से भाजपा ने ईडी के जॉइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को मैदान में उतारा है। राजेश्वर ने हाल ही में वीआरएस लेकर भाजपा जॉइन की है। राजेश्वर सिंह को टिकट देने के लिए भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काट दिया। राजेश्वर सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अभिषेक मिश्र को मैदान में उतारा है। अभिषेक सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बसपा ने मोहम्मद जलीस खान और कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह को मैदान में उतारा है।
3. लखनऊ पूर्व : राजधानी लखनऊ की लखनऊ पूर्व सीट से योगी सरकार के कद्दावर मंत्री आशुतोष टंडन मैदान में हैं। आशुतोष भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार रहे लालजी टंडन के बेटे हैं। आशुतोष के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने अनुराग भदौरिया को मैदान में उतारा है। अनुराग समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। बसपा की तरफ से आशीष कुमार सिन्हा और कांग्रेस ने मनोज तिवारी को मैदान में उतारा है। पिछली बार यह सीट आशुतोष टंडन को जीत मिली थी।
4. पुरवा : उन्नाव की पुरवा सीट चर्चा में है। यहां से मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी उरूसा इमरान राणा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। उरूसा के खिलाफ भाजपा ने अनिल सिंह, सपा ने उदय राज और बसपा ने विनोद कुमार को टिकट दिया है। उन्नाव की ही सदर सीट भी चर्चा में है। यहां से भाजपा ने मौजूदा विधायक पंकज गुप्ता पर फिर से भरोसा जताया है, जबकि सपा ने अभिनव कुमार और बसपा ने देवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है।
5. लखनऊ कैंट : सूबे की राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट भी काफी चर्चा में है। यहां से योगी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक इस बार मैदान में हैं। बृजेश ने पिछली बार लखनऊ मध्य से चुनाव जीता था। इस बार उनकी सीट भाजपा ने बदल दी है। बृजेश के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र सिंह गांधी, बसपा ने अनिल पांडेय और कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 2017 में यह सीट भाजपा के लिए डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने जीती थी। 2019 में रीता जोशी लोकसभा सांसद चुन ली गईं, इसके बाद हुए उपचुनाव में यहां से भाजपा के सुरेश तिवारी विधायक चुने गए थे।
6. तिंदवारी : बांदा की तिंदवारी सीट भी इस बार चर्चा में है। यहां से 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले बृजेश प्रजापति ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। बृजेश को इस बार सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने यहां से रामकेश निषाद को मौका दिया है। बसपा की तरफ से जयराम सिंह और कांग्रेस ने आदिशक्ति को टिकट दिया है।
7. बिंदकी : फतेहपुर की बिंदकी सीट भी यूपी की सियासत में चर्चा का विषय है। यहां से योगी सरकार में जेल मंत्री जय कुमार सिंह जैकी चुनाव लड़ रहे हैं। जैकी भाजपा की गठबंधन वाली अपना दल (सोनेलाल) के टिकट पर मैदान में हैं। जैकी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने रामेश्चर दयाल, बसपा ने सुशील कुमार और कांग्रेस ने अभिमन्यु सिंह को टिकट दिया है। 2017 में यह सीट भाजपा के खाते में थी। तब यहां से करण सिंह पटेल विधायक चुने गए थे।
8. हुसैनगंज : फतेहपुर की हुसैनगंज सीट से इस बार भाजपा ने योगी सरकार में कृषिराज्य मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी भैया को टिकट दिया है। रणवेंद्र पिछली बार भी इस सीट से विधायक चुने जा चुके हैं। योगी के मंत्री के खिलाफ घेरेबंदी के लिए समाजवादी पार्टी ने उषा मौर्या, बहुजन समाज पार्टी ने फरीद अहमद और कांग्रेस ने शिवाकांत को टिकट दिया है।
9. रायबरेली : कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली रायबरेली सीट से भाजपा ने इस बार कांग्रेस की ही बागी विधायक अदिति सिंह को मैदान में उतारा है। अदिति ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीता था। अदिति सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने राम प्रताप यादव, बसपा ने मोहम्मद अशरफ और कांग्रेस ने मनीष चौहान को टिकट दिया है।
10. ऊंचाहार : रायबरेली की ऊंचाहार सीट भी चर्चा के केंद्र में है। यहां से भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्या को टिकट दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने 2017 में इस सीट पर जीत दिलाने वाले अपने विधायक मनोज कुमार पांडेय पर फिर भरोसा जताया है। बहुजन समाज पार्टी ने अंजली मौर्या और कांग्रेस ने अतुल सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया है।
विस्तार
उत्तर प्रदेश में नौ जिलों की 59 सीटों पर 23 फरवरी को चौथे फेज की वोटिंग होगी। 2017 की बात करें तो 59 सीटों में से 50 सीटें भाजपा के खाते में गई थी। एक सीट भाजपा के गठबंधन वाली अपना दल (सोनेलाल) ने जीती थी। बाकी, दो सीटों पर कांग्रेस, चार पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। बहुजन समाज पार्टी के खाते में भी दो सीटें गई थीं। हालांकि, बाद में सपा, कांग्रेस और बसपा के एक-एक प्रत्याशी भाजपा के साथ आ गए थे। इस बार भी वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
यूं तो हर राजनीतिक दल के लिए ये सभी सीटें काफी जरूरी हैं, लेकिन इनमें दस सीटें ऐसी हैं, जिनपर हर किसी की नजर होगी। चौथे चरण में जिन नौ जिलों में चुनाव होने हैं, उनमें से कई जिले कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करते थे। ऐसे में कांग्रेस के सामने अपना गढ़ वापस हासिल करने, भाजपा को पुरानी बादशाहत कायम रखने, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को अपनी साख बचाने की चुनौती होगी। 59 सीटों पर इस बार कुल 624 प्रत्याशियों ने दावेदारी की है। इनमें 27% यानी 167 दागी हैं। 231 करोड़पतियों ने भी चुनाव में ताल ठोकी है।
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