यूपी विधानसभा चुनाव 2022: भाजपा के सामने ‘गढ़’ बचाए रखने की चुनौती, 37 साल से एक सीट पर है कब्जा

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सार

भाजपा को अपने परंपरागत वैश्य वोट बैंक पर भरोसा है तो दूसरे दल इसमें सेंध लगाने की कोशिश में हैं। भाजपा के सामने अपने गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है।

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आगरा की उत्तर विधानसभा सीट पर 37 साल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है। वैश्य बहुल इस विधानसभा क्षेत्र का परिणाम मुद्दों से ज्यादा वैश्यों के रुख पर निर्भर करता है। इस बार भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को तमाम विरोध दरकिनार करके उतारा है तो वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) से यहां ज्ञानेंद्र गौतम और कांग्रेस के विनोद बंसल तो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से शब्बीर अब्बास मैदान में हैं। भाजपा को अपने परंपरागत वैश्य वोट बैंक पर भरोसा है तो दूसरे दल इसमें सेंध लगाने की कोशिश में हैं। भाजपा के सामने अपने गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है।
1985 में पहलीबार खिला था कमल
शहर की उत्तर विधानसभा सीट पर 1985 में पहली बार कमल खिला था। तभी से लगातार यहां पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में पांच बार जगन प्रसाद गर्ग को विधायक चुना गया। उनके निधन के कारण रिक्त हुई सीट पर 2019 में हुए उप चुनाव में भाजपा के पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने सपा के सूरज शर्मा को हराकर जीत हासिल की। इस बार ढाई साल के कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों का हवाला देकर भाजपा प्रत्याशी वोट मांग रहे हैं तो वहीं सपा ने बसपा से यहां भाग्य आजमा चुके ज्ञानेंद्र गौतम को टिकट थमाया है। ज्ञानेंद्र गौतम 2017 में इस सीट से बसपा से जगन प्रसाद गर्ग के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। कांग्रेस से यहां व्यापारी नेता विनोद बंसल वैश्य मतों में सेंध लगा रहे हैं तो सपा-रालोद और बसपा के प्रत्याशी भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 

दयालबाग में बनवाई गईं नई सड़कें 
यहां पर नई सड़कें और पाइप लाइनों का विस्तार समेत कई विकास कार्य कराए गए। – सचिन अग्रवाल, दयालबाग 
इलाके में विकास कार्य ठप ही रहे
हर बार की तरह इस बार भी इलाके में विकास कार्य ठप ही रहे, आखिर कब तक नेता इस तरह उपेक्षा करते रहेंगे। – इमामुद्दीन, वजीरपुरा 
वोटों का समीकरण: विधानसभा क्षेत्र में वैश्य मतदाताओं का झुकाव ही परिणाम तय करता है। हालांकि यहां ब्राह्मण, जाटव, मुस्लिम, यादव समेत अन्य जातियों के मतदाता भी हैं।
वैश्य- 1.50 लाख 
ब्राह्मण-65 हजार
मुस्लिम-25 हजार
जाटव- 60 हजार
यादव- 12 हजार
बघेल-कुशवाह-25 हजार
अन्य जातियां 
(आंकड़ें अनुमानित हैं)
पहचान – उत्तर में सिकंदरा, एत्माद्दौला जैसे स्मारक, प्राचीन बल्केश्वर मंदिर, अबुल उलाह दरगाह जैसे स्थल हैं।
 
आसपास की सीटों का प्रभाव
उत्तर से सटी दक्षिण विधानसभा और ग्रामीण विधानसभा सीटें हैं। हालांकि इन दोनों ही सीटों के समीकरण उत्तर से बिल्कुल जुदा हैं। इस कारण उत्तर से सटे होने के बाद भी इन सीटों के परिणाम का यहां ज्यादा असर नहीं पड़ता है। इस बार दक्षिण से जहां भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय, सपा के विनय अग्रवाल व बसपा के रवि भारद्वाज व कांग्रेस के अनुज शर्मा उम्मीदवार हैं। ब्राह्मण व मुस्लिम बहुल इस सीट पर ब्राह्मण वोटों का बंटवारा परिणाम को पलट सकता है। ग्रामीण सीट पर भाजपा से बेबीरानी मौर्य, बसपा से भारतेंदु अरुण व सपा से कुंवरचंद वकील हैं। दलित बहुल इस सीट पर दलित वोटों का बंटवारा होना तय है, ऐसे में अन्य जातियों के वोटर प्रभावी भूमिका निभाएंगे। 
मुद्दे
– नवविकसित कॉलोनियों में जल निकासी, सड़क, खड़ंजों की समस्या
– कई इलाकों में पेयजल की समस्या। 
– पार्किंग की समस्या, सीवरेज सिस्टम की समस्या भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। 
परिणाम                                 मत मिले
जगन प्रसाद गर्ग (भाजपा)      134585
ज्ञानेंद्र गौतम (बसपा)           48526
अतुल गर्ग     (सपा)          36605
पांच साल में भी नहीं बदले हालात
उत्तर विधानसभा क्षेत्र में पांच साल बाद भी वही समस्याएं हावी हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, नव विकसित कॉलोनियों में समस्या के अंबार लगे हैं। सड़कों में गड्ढे हैं, उन्हीं इलाकों में सड़कें बनी हैं, जहां भाजपा के नेता रहते हैं। – ज्ञानेंद्र गौतम, निकटतम प्रतिद्वंद्वी

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विस्तार

आगरा की उत्तर विधानसभा सीट पर 37 साल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है। वैश्य बहुल इस विधानसभा क्षेत्र का परिणाम मुद्दों से ज्यादा वैश्यों के रुख पर निर्भर करता है। इस बार भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को तमाम विरोध दरकिनार करके उतारा है तो वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) से यहां ज्ञानेंद्र गौतम और कांग्रेस के विनोद बंसल तो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से शब्बीर अब्बास मैदान में हैं। भाजपा को अपने परंपरागत वैश्य वोट बैंक पर भरोसा है तो दूसरे दल इसमें सेंध लगाने की कोशिश में हैं। भाजपा के सामने अपने गढ़ को बचाए रखने की चुनौती है।

1985 में पहलीबार खिला था कमल

शहर की उत्तर विधानसभा सीट पर 1985 में पहली बार कमल खिला था। तभी से लगातार यहां पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में पांच बार जगन प्रसाद गर्ग को विधायक चुना गया। उनके निधन के कारण रिक्त हुई सीट पर 2019 में हुए उप चुनाव में भाजपा के पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने सपा के सूरज शर्मा को हराकर जीत हासिल की। इस बार ढाई साल के कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों का हवाला देकर भाजपा प्रत्याशी वोट मांग रहे हैं तो वहीं सपा ने बसपा से यहां भाग्य आजमा चुके ज्ञानेंद्र गौतम को टिकट थमाया है। ज्ञानेंद्र गौतम 2017 में इस सीट से बसपा से जगन प्रसाद गर्ग के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। कांग्रेस से यहां व्यापारी नेता विनोद बंसल वैश्य मतों में सेंध लगा रहे हैं तो सपा-रालोद और बसपा के प्रत्याशी भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 

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