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उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकीं बेबीरानी मौर्य ने मेयर से मंत्री तक सफर तय किया है। वह 1995 में आगरा की मेयर बनी थीं। इसके बाद भाजपा में कई बड़े पदों पर रहीं। अगस्त 2018 में उन्हें उत्तराखंड की राज्यपाल बनाया गया था। 8 सितंबर 2021 को उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अब उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
योगी 2.0 मंत्रिमंडल में ताजनगरी में आगरा ग्रामीण की सुरक्षित सीट से सक्रिय राजनीति में वापसी करने वाली उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को कैबिनेट में स्थान देकर अनुसूचित वर्ग को साधा गया है। ताजनगरी को दलितों की राजधानी कहा जाता है।
पिछली सरकार में छावनी सुरक्षित सीट से जीतने वाले अनुसूचित जाति के विधायक डॉ. जीएस धर्मेश को राज्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन इस बार बेबीरानी मौर्य को कमान सौंपी गई है। उन्हें कमान सौंपने के पीछे संगठन में उनके लंबे अनुभव को भी माना जा रहा है।
शहर में अगड़ी जातियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए योगेंद्र उपाध्याय को कैबिनेट में जगह दी गई है। वह भाजपा विधानमंडल दल के उप मुख्य सचेतक रहे। इसके बाद उन्हें मुख्य सचेतक बनाया गया था। योगेंद्र उपाध्याय ने इस बार दक्षिण विधानसभा सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई है।
माटी कला बोर्ड के चेयरमैन रहे डॉ. धर्मवीर प्रजापति को दोबारा मंत्री बनाए जाने के पीछे पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व देना रहा। डॉ. धर्मवीर माटी कला बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए अयोध्या और वाराणसी में हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में दीपक बनवाकर भेजने के बाद नेतृत्व की निगाह में चढ़े थे।
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