योगी सरकार 2.0 : क्या विभागों के बंटवारे में कतर दिए गए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के पंख

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सार

विधानसभा चुनाव 2017 में मिले ऐतिहासिक जनादेश का श्रेय एक प्रकार से केशव प्रसाद मौर्य को दिया गया था। तब केशव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में पार्टी ने इतना बड़ा आंकड़ा छुआ था।

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विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब योगी सरकार 2.0 में विभागों के बंटवारे को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई। योगी सरकार पार्ट वन में जितने दमदार विभाग केशव को मिले थे उसकी अपेक्षा पार्ट टू में मिले मंत्रालय पहले की अपेक्षा कम महत्व वाले माने जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि सिराथू से विधानसभा चुनाव हारने का खामियाजा केशव को भुगतना पड़ा है। विभाग के बंटवारे में उनकी नहीं चली। 
 

विधानसभा चुनाव 2017 में मिले ऐतिहासिक जनादेश का श्रेय एक प्रकार से केशव प्रसाद मौर्य को दिया गया था। तब केशव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में पार्टी ने इतना बड़ा आंकड़ा छुआ था। 2022 का विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे पर लड़ा गया और उनकी सख्त छवि और कानून व्यवस्था की बेहतर स्थित और माफिया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को प्रचारित किया गया। इसका फायदा भी मिला और भाजपा ने योगी के चेहरे पर दोबारा सत्ता में वापसी की। 

सिराथू से विधानसभा चुनाव हार गए थे केशव

केशव प्रसाद मौर्य सिराथू से करीब सात हजार मतों से चुनाव हार गए। सपा की पल्लवी पटेल ने उन्हें कड़े मुकाबले में शिकस्त दी। यह केशव के लिए किसी जोरदार झटके से कम नहीं था। चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा सैनी, शाक्य, कुशवाहा बिरादरी के नेताओं के भाजपा में छोड़कर जाने के चलते केशव प्रसाद की अहमियत पार्टी में बढ़ गई और उन्हें पूरी मेहनत के साथ चुनाव प्रचार किया और भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया।

चुनाव हारने के बाद भी केशव को उप मुख्यमंत्री पद देकर उनका कद तो बरकरार रखा गया लेकिन विभागों के बंटवारे में उनके पंख कतर दिए गए ऐसा भाजपा के नेता दबी जुबान बोल रहे हैं। पिछले कार्यकाल में उनके पास पीडब्लूडी जैसा अहम मंत्रालय था। जिसके चलते उन्होंने प्रयागराज, कौशांबी सहित पूरे प्रदेश में सड़क, पुल और ओवरब्रिज का निर्माण कराया।

कई जगहां गंगा पर पुल को भी स्वीकृति प्रदान की। अब यह मंत्रालय छिन जाने के कारण प्रस्तावित योजनाओं की गति या तो धीमी हो सकती है और ठंडे बस्ते में भी जा सकती हैं। प्रयागराज शहर में ही कई योजनाएं अभी लंबित हैं। 

मंत्रिमंडल बंटवारे के बाद केशव और नंदी ने साधी चुप्पी

आमतौर पर सोशल मीडिया पर छोटे-बड़े मौके पर प्रतिक्रिया देने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने  योगी सरकार 2.0 में खुद को मिले विभाग को लेकर टिवटर, इंस्टाग्राम, कू आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म में  किसी भी तरह की प्रतिक्रिया सोमवार रात 11 बजे तक नहीं दी।  

 

 

इसी तरह कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने भी खुद को मिले विभाग को लेकर सोशल मीडिया में खामोशी की चादर ही ओढ़े रखी। प्रदेश के इन दो बड़े नेताओं की सोशल मीडिया में  खामोशी के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। हालांकि इन दोनों ही वरिष्ठ नेताओं के  समर्थकों ने अपने नेताओं को विभाग मिलने की बधाई सोशल मीडिया के माध्यम से जरूर दे दी।

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दरअसल सोमवार की शाम ही योगी सरकार 2.0 में शपथ लेने वाले सभी मंत्रियों को उनके विभाग बांट दिए गए। डिप्टी सीएम को ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास, ग्रामीण अभियंत्रण, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर एवं सार्वजनिक उद्यम तथा राष्ट्रीय एकीकरण विभाग मिला है, जबकि नंदी के खाते में औद्योगिक विकास, निर्यात प्रोत्साहन, एनआरआई, निवेश प्रोत्साहन विभाग आया है।

कई योजनाएं चल रही हैं लंबित

 

डिप्टी सीएम को लेकर  कहा जा रहा है कि प्रयागराज और आसपास के जिलों को उनके विभाग की योजना का लाभ मिलेगा। हालांकि पूर्व में उनके द्वारा पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए जो बड़े प्रोजेक्ट लाए गए थे, उसमें अब बाधा आ सकती है। प्रयागराज जिले में कई पुल और सड़कों का निर्माण होना है। सलोरी, चौफटका में बनने वाले आरओबी पर सेना का अड़ंगा है। इसके अलावा कई अन्य प्रोजेक्ट भी लंबित हैं।

 

 

केशव के पास अगर लोक निर्माण रहता तो निश्चित ही अगले पांच वर्ष में यहां पुलों और सड़कों का जाल बिछने के साथ कई नए प्रोजेक्ट भी संगम नगरी को मिल जाते। उधर नंदी को औद्योगिक विभाग मिलने से अब नैनी इंडस्ट्रीयल एरिया केे बंद उद्योग खुलने की संभावना बढ़ गई है।  खासतौर से बीपीसीएल, हिंदुस्तान केबिल्स, टीएसएल, कॉटन मिल आदि कंपनियों को बूस्टर डोज मिलने की आस बढ़ी है। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित ही इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

 

 

हालांकि यहां के अधिकांश उद्योग केंद्र सरकार की सहमति के बाद ही खोले जा सकते हैं। प्रयागराज और आसपास के जिलों में निवेश लाने की चुनौती भी नंदी के समक्ष रहेगी। नंदी के पास उड्डयन मंत्रालय न होने से भी आने वाले समय में प्रयागराज एयरपोर्ट से जुड़े प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लग सकता है।

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विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब योगी सरकार 2.0 में विभागों के बंटवारे को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई। योगी सरकार पार्ट वन में जितने दमदार विभाग केशव को मिले थे उसकी अपेक्षा पार्ट टू में मिले मंत्रालय पहले की अपेक्षा कम महत्व वाले माने जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि सिराथू से विधानसभा चुनाव हारने का खामियाजा केशव को भुगतना पड़ा है। विभाग के बंटवारे में उनकी नहीं चली। 

 


विधानसभा चुनाव 2017 में मिले ऐतिहासिक जनादेश का श्रेय एक प्रकार से केशव प्रसाद मौर्य को दिया गया था। तब केशव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में पार्टी ने इतना बड़ा आंकड़ा छुआ था। 2022 का विधानसभा चुनाव योगी के चेहरे पर लड़ा गया और उनकी सख्त छवि और कानून व्यवस्था की बेहतर स्थित और माफिया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को प्रचारित किया गया। इसका फायदा भी मिला और भाजपा ने योगी के चेहरे पर दोबारा सत्ता में वापसी की। 

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