रामसेतु के बारे में जानने का मौका: वाराणसी में सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत, उम्र की बाध्यता नहीं, जानें डिटेल्स

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अगर आपको रामसेतु पर पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक अध्ययन करना है तो इसके लिए एक सप्ताह के सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत हुई है। स्कूल ऑफ राम ने आर्कियोलॉजिकल एंड साइंटिफिक स्टडी कोर्स तैयार किया है। शहर दक्षिणी के विधायक ने इस कोर्स का शुभारंभ किया। रामसेतु के पुरातात्विक,खगोलीय,वैज्ञानिक,आध्यात्मिक एवं सरकारी साक्ष्यों को एकत्रित कर कोर्स को तैयार किया गया है। 
विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि रामायण आज के युग की आवश्यकता है। हमारे जीवन में जितनी भी समस्याएं हैं उनका एकमेव समाधान राम चरित्र का अनुकरण ही है। विश्वभर की प्राचीन रामायणों,रामकथा से सम्बधित वांड्मय में इस राम सेतु के निर्माण का वर्णन है। स्कूल ऑफ राम के संस्थापक और बीएचयू के छात्र  प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि रामसेतू के बारे में हम अपनी आने वाली नई पीढ़ी को भी बताएं तथा उसका संरक्षण करें। इसी उद्देश्य के साथ कोर्स को तैयार किया गया है।

कोर्स के लिए उम्र की बाध्यता नहीं
प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल एंड साइंटिफिक स्टडी ऑफ राम सेतु नामक इस सर्टिफिकेट कोर्स की अवधि एक सप्ताह होगी।
कोर्स में उम्र की कोई बाध्यता नहीं हैं। किसी भी उम्र के लोग इस कोर्स का अंग बन सकते हैं।  

कोर्स में यह है शामिल
–    सेतु समुद्रम योजना का इतिहास 
– रामायण के जीवंत पुरातत्व (भारत,नेपाल,श्री लंका)
– दाक्षिणात्य रामकाव्य और रामसेतु
–    असमिया राम साहित्य में सेतु बंघन 
– रामसेतु – सत्य और तथ्य 
–    साहित्य एवं पौराणिक आख्यानों में श्रीराम सेतु 
–     रामसेतु – एक वैज्ञानिक विश्लेष्ण 
–    स्कन्द पुराण,श्रीमद्भागवत,वाल्मीकि रामायण एवं रामचरितमानस में रामसेतु ।
– रामसेतु – गुरुग्रंथ साहिब।

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विस्तार

अगर आपको रामसेतु पर पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक अध्ययन करना है तो इसके लिए एक सप्ताह के सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत हुई है। स्कूल ऑफ राम ने आर्कियोलॉजिकल एंड साइंटिफिक स्टडी कोर्स तैयार किया है। शहर दक्षिणी के विधायक ने इस कोर्स का शुभारंभ किया। रामसेतु के पुरातात्विक,खगोलीय,वैज्ञानिक,आध्यात्मिक एवं सरकारी साक्ष्यों को एकत्रित कर कोर्स को तैयार किया गया है। 

विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि रामायण आज के युग की आवश्यकता है। हमारे जीवन में जितनी भी समस्याएं हैं उनका एकमेव समाधान राम चरित्र का अनुकरण ही है। विश्वभर की प्राचीन रामायणों,रामकथा से सम्बधित वांड्मय में इस राम सेतु के निर्माण का वर्णन है। स्कूल ऑफ राम के संस्थापक और बीएचयू के छात्र  प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि रामसेतू के बारे में हम अपनी आने वाली नई पीढ़ी को भी बताएं तथा उसका संरक्षण करें। इसी उद्देश्य के साथ कोर्स को तैयार किया गया है।



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