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सार
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में अधिवक्ताओं की भूमिका विषय पर बतौर मुख्य वक्ता राम माधव ने कहा कि आज देश और समाज का जो लोग नेतृत्व कर रहे हैं। वह सांस्कृतिक राष्टवाद से प्रेरित हैं और यही देश की भावना है।
Prayagraj News : प्रयाग संगीत समिति में बोलते आरएसएस विचारक राम माधव।
– फोटो : प्रयागराज
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख विचारक राम माधव ने बुधवार को प्रयागराज में कहा कि आज पूरा राष्ट्र हिंदुत्वमय दिख रहा है। स्थिति यह है कि दस साल पहले जो नेता खुद को सेक्युलर बताते थे आज कहते हैं कि हम भी असली हिंदू हैं।
इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कहें या हिंदुत्व दोनों का सार एक ही है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने प्रयाग संगीत समिति के मेहता प्रेक्षागृह में आयोजित अधिवक्ता गोष्ठी में कहीं।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में अधिवक्ताओं की भूमिका विषय पर बतौर मुख्य वक्ता राम माधव ने कहा कि आज देश और समाज का जो लोग नेतृत्व कर रहे हैं। वह सांस्कृतिक राष्टवाद से प्रेरित हैं और यही देश की भावना है। उसी के अनुरूप नेतृत्व भी मिला है। उन्होंने कहा कि कुछ राष्ट्रवादी समर्थकों को लगता है कि क्यों न इसे हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए। मगर इसकी आवश्यकता नहीं है।
हिंदू राष्ट्र भावना का विषय है घोषणा का नहीं। इस दिशा में हमने आधा रास्ता तय कर लिया है अब इससे पीछे जाना संभव नहीं है। राम माधव ने कहा कि आज सांस्कृतिक भावना जोर पकड़ रही है। इसकी संविधानिक घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है। किसी को इस बात से डरने की जरूरत नहीं है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र हो जाएगा।
बहु संस्कृतिवाद की धारणा को नकारते हुए राम माधव ने कहा कि भारत में कोई बाहर नहीं आया है। यहां जितने भी धर्मों के लोग रहते हैं वो यहीं के मूल निवासी है। उनकी संस्कृति एक ही है। किसी वजह से धर्म बदल लेने मात्र से संस्कृति नहीं बदल जाती है। इसलिए सिविल राष्ट्रवाद की बात कहना जिन्ना की सोच को आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि भारत बहुधर्मी देश है और यही इसकी संस्कृति का आधार है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा ने कहा कि हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं की भूमिका को पूरे देश ने देखा है। उन्होंने कहा कि हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना को अपनाने वाले लोग हैं।
हमारा मूल चरित्र ही समाजवाद है। विषय प्रवर्तन करते हुए अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामंत्री शीतला प्रसाद गौड़ ने आगामी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवादी संस्कृति को अपनाने और आगे बढ़ाने वाली पार्टी को ही जिताने की अपील की। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता परिषद हाईकोर्ट इकाई के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता वीपी श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
संगोष्ठी का संचालन अधिवक्ता परिषद हाईकोर्ट इकाई के महामंत्री अजय कुमार मिश्र ने किया। संगोष्ठी में अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, एमसी चतुर्वेदी अपर महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार पॉल, राज्य कार्यकारिणी सदस्य मृत्युंजय तिवारी, देशदीपक श्रीवास्तव, रामेश्वर शुक्ला, अवधेश श्रीवास्तव, देवेंद्र मणि त्रिपाठी, देवेंद्र नाथ मिश्र सहित सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।
विस्तार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख विचारक राम माधव ने बुधवार को प्रयागराज में कहा कि आज पूरा राष्ट्र हिंदुत्वमय दिख रहा है। स्थिति यह है कि दस साल पहले जो नेता खुद को सेक्युलर बताते थे आज कहते हैं कि हम भी असली हिंदू हैं।
इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कहें या हिंदुत्व दोनों का सार एक ही है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राम माधव ने प्रयाग संगीत समिति के मेहता प्रेक्षागृह में आयोजित अधिवक्ता गोष्ठी में कहीं।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में अधिवक्ताओं की भूमिका विषय पर बतौर मुख्य वक्ता राम माधव ने कहा कि आज देश और समाज का जो लोग नेतृत्व कर रहे हैं। वह सांस्कृतिक राष्टवाद से प्रेरित हैं और यही देश की भावना है। उसी के अनुरूप नेतृत्व भी मिला है। उन्होंने कहा कि कुछ राष्ट्रवादी समर्थकों को लगता है कि क्यों न इसे हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए। मगर इसकी आवश्यकता नहीं है।
हिंदू राष्ट्र भावना का विषय है घोषणा का नहीं। इस दिशा में हमने आधा रास्ता तय कर लिया है अब इससे पीछे जाना संभव नहीं है। राम माधव ने कहा कि आज सांस्कृतिक भावना जोर पकड़ रही है। इसकी संविधानिक घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है। किसी को इस बात से डरने की जरूरत नहीं है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र हो जाएगा।
बहु संस्कृतिवाद की धारणा को नकारते हुए राम माधव ने कहा कि भारत में कोई बाहर नहीं आया है। यहां जितने भी धर्मों के लोग रहते हैं वो यहीं के मूल निवासी है। उनकी संस्कृति एक ही है। किसी वजह से धर्म बदल लेने मात्र से संस्कृति नहीं बदल जाती है। इसलिए सिविल राष्ट्रवाद की बात कहना जिन्ना की सोच को आगे बढ़ाना है।
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