रुकावटों ने रोका जलप्रवाह, सूख गई कल्याणी

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फतेहपुर चौरासी। कल्याणी नदी के अस्तित्व खोने के पीछे जिम्मेदारों की उदासीनता और लोगों की मनमानी है। समय पर सफाई न होने से नदी सूखने लगी और भूमाफिया ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। यही नहीं ग्राम पंचायत तो एक कदम और आगे बढ़ गई। सूखी नदी में आवागमन के लिए कच्चा रास्ता तक बना डाला।
पड़ोसी जिले हरदोई और उन्नाव के कई गांवों के लिए कभी जीवनदायिनी रही कल्याणी नदी अब विलुप्त सी हो गई है। नदी का अस्तित्व केवल कागजों पर ही बचा है। कहीं नाले तो कहीं तालाब का रूप ले चुकी इस नदी के पानी से दो दशक पहले तक फसलें लहलहाती थीं। 80 किमी लंबी नदी क्षेत्र के भूगर्भ जलस्तर को भी सहेजे थी।
नदी सरोसी के मरौंदा गांव के पास पहुंचकर गंगा नदी में मिलती है। अतिक्रमण से नदी संकरी होती गई। ग्राम पंचायत मझेरियाकला ने वर्ष 2020-2021 में फतेहपुर चौरासी-सूसूमऊ डामरीकृत मार्ग पर ग्राम कोइलीखेड़ा से ग्राम कोलवा को जोड़ने के लिए 1.20 लाख रुपये की कार्ययोजना बनाकर सूखी कल्याणी नदी में कच्चे मार्ग का निर्माण करा दिया गया। बड़ी बात ये है कि इस मार्ग पर पुल/पुलिया की जरूरत थी लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया और कच्चा मार्ग बना दिया।
फसल बोई जा रहीं
सूखी पड़ी नदी की जमीन को समतल करके हरी सब्जियां, गेहूं, सरसों आदि की फसल बोई जा रही है।
उपेक्षा से बदला स्वरूप
शेरपुर अछिरछा गांव के संजय कुमार ने कहा कि कल्याणी नदी गांव के किनारे से बहती थी। जलप्रवाह से पूरा गांव लाभान्वित होता था। अब उपेक्षा से नदी का स्वरूप ही बदल गया है। सिर्फ बारिश में ही लगता है कि यहां कोई नदी है।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य अतुल मिश्रा ने बताया कि कभी कल्याणी नदी अपने नाम के अनुरूप ही अनवरत स्वच्छ जल प्रवाह से पशु, पक्षियों की प्यास बुझाती थी। नदी के आसपास हरियाली थी। उपेक्षा व अतिक्रमण के कारण अब नदी विलुप्त प्राय हो गई है।

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फतेहपुर चौरासी। कल्याणी नदी के अस्तित्व खोने के पीछे जिम्मेदारों की उदासीनता और लोगों की मनमानी है। समय पर सफाई न होने से नदी सूखने लगी और भूमाफिया ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। यही नहीं ग्राम पंचायत तो एक कदम और आगे बढ़ गई। सूखी नदी में आवागमन के लिए कच्चा रास्ता तक बना डाला।

पड़ोसी जिले हरदोई और उन्नाव के कई गांवों के लिए कभी जीवनदायिनी रही कल्याणी नदी अब विलुप्त सी हो गई है। नदी का अस्तित्व केवल कागजों पर ही बचा है। कहीं नाले तो कहीं तालाब का रूप ले चुकी इस नदी के पानी से दो दशक पहले तक फसलें लहलहाती थीं। 80 किमी लंबी नदी क्षेत्र के भूगर्भ जलस्तर को भी सहेजे थी।

नदी सरोसी के मरौंदा गांव के पास पहुंचकर गंगा नदी में मिलती है। अतिक्रमण से नदी संकरी होती गई। ग्राम पंचायत मझेरियाकला ने वर्ष 2020-2021 में फतेहपुर चौरासी-सूसूमऊ डामरीकृत मार्ग पर ग्राम कोइलीखेड़ा से ग्राम कोलवा को जोड़ने के लिए 1.20 लाख रुपये की कार्ययोजना बनाकर सूखी कल्याणी नदी में कच्चे मार्ग का निर्माण करा दिया गया। बड़ी बात ये है कि इस मार्ग पर पुल/पुलिया की जरूरत थी लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया और कच्चा मार्ग बना दिया।

फसल बोई जा रहीं

सूखी पड़ी नदी की जमीन को समतल करके हरी सब्जियां, गेहूं, सरसों आदि की फसल बोई जा रही है।

उपेक्षा से बदला स्वरूप

शेरपुर अछिरछा गांव के संजय कुमार ने कहा कि कल्याणी नदी गांव के किनारे से बहती थी। जलप्रवाह से पूरा गांव लाभान्वित होता था। अब उपेक्षा से नदी का स्वरूप ही बदल गया है। सिर्फ बारिश में ही लगता है कि यहां कोई नदी है।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य अतुल मिश्रा ने बताया कि कभी कल्याणी नदी अपने नाम के अनुरूप ही अनवरत स्वच्छ जल प्रवाह से पशु, पक्षियों की प्यास बुझाती थी। नदी के आसपास हरियाली थी। उपेक्षा व अतिक्रमण के कारण अब नदी विलुप्त प्राय हो गई है।

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