रूस-यूक्रेन में लंबी खिंची जंग तो चमड़ा उद्यमी होंगे तंग

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उन्नाव। रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग लंबी खिंची तो उन्नाव के चमड़ा उद्योग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। औद्योगिक क्षेत्र बंथर और दही चौकी में 100 टेनरियां और चर्म उत्पाद बनाने वाले बड़े उद्योग हैं। रूस को हर साल औसतन 150 करोड़ और यूक्रेन को आठ करोड़ के चर्म उत्पादों का निर्यात होता है। जिले के उद्यमियों का कहना है कि अभी कोई आर्डर रद्द या रोका नहीं गया है। लेकिन हवाई और समुद्री आवागमन प्रभावित होने से दो-तीन दिन में उद्यमियों के लिए निराशा भरी खबर आ सकती है। वर्तमान में इन दोनों देशों के करीब 100 करोड़ के आर्डर प्रक्रिया में हैं।
कानपुर चर्म निर्यात परिषद के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 में रूस को 160 करोड़ के चर्म उत्पादों का निर्यात हुआ। 2019-20 में ये आंकड़ा 133 करोड़ रहा था। यूक्रेन भी चर्म उत्पादों का बड़ा बजार है। यहां वित्तीय वर्ष 2020-21 में 6.82 करोड़ और 2019-20 में नौ करोड़ का माल निर्यात हुआ था। इस समय दोनों देशों में कुछ माल भेजा जा चुका है। लेकिन दोनों देशों के बीच जिस तरह के हालात हैं, उससे निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। इससे उद्यमियों में निराशा है। उनका कहना है कि अगर लड़ाई लंबी चली तो एशियाई और यूरोपीय देशों का व्यापार प्रभावित होगा।
मीट उद्योग भी लड़खड़ा रहा
जिले में संचालित पांच स्लॉटर हाउस पैकेट बंद मांस का निर्यात करते हैं। इनमें रूस भी शामिल है। बड़ी मीट निर्यातक इकाईयों में शामिल इंडाग्रो फूड्स के मैनेजर नीरज कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-2020 में रूस को 80 करोड़ का निर्यात हुआ था। जबकि 2020-21 में कोरोना के कारण यह घटकर 50 करोड़ रह गया। उन्होंने बताया कि रूस सहित अन्य देशों के बीच निर्यात प्रभावित होने की आशंका है।
लागत और माल भाड़ा बढ़ेगा
चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष जावेद इकबाल ने बताया कि रूस से निर्यात और आयात दोनों ही करते हैं। सालाना करीब 400 करोड़ का कारोबार होता है। चर्म उत्पादों के अलावा वहां मीट भी निर्यात किया जाता है। युद्ध से तेल, केमिकल, गैस सभी कुछ महंगा होगा और इससे लागत और माल भाड़ा दोनों ही बढ़ेंगे।
जितनी लंबी जंग, उतना ज्यादा नुकसान
उत्तर प्रदेश चमड़ा उद्योग संघ उन्नाव चेप्टर के अध्यक्ष मो. ताज आलम ने बताया कि कोरोना की मार से चरमराया चमड़ा उद्योग उबरने की कोशिश कर रहा था, तभी यह जंग छिड़ गई। उन्होंने बताया कि जंग जितनी लंबी चलेगी चर्म निर्यात उतना प्रभावित होगा। बताया कि मंदी के कारण निर्यात प्रभावित होगा।
फोटो-4
व्यापार पर सीधा असर
इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन (आईआईए) के अध्यक्ष जीएन मिश्रा ने बताया कि इस युद्ध से पूरे यूरोप का व्यापार प्रभावित होगा। बताया कि शेयर बाजार टूट गया है। कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो गईं हैं। इससे तेल और गैस महंगी होगी। इससे उत्पाद की लागत और माल भाड़ा दोनों ही महंगे होंगे। इसका सीधा असर विदेशी व्यापार पर पड़ेगा।

यह भी पढ़ें -  उन्नावः आज बदला रहेगा शहर का यातायात

उन्नाव। रूस और यूक्रेन में छिड़ी जंग लंबी खिंची तो उन्नाव के चमड़ा उद्योग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। औद्योगिक क्षेत्र बंथर और दही चौकी में 100 टेनरियां और चर्म उत्पाद बनाने वाले बड़े उद्योग हैं। रूस को हर साल औसतन 150 करोड़ और यूक्रेन को आठ करोड़ के चर्म उत्पादों का निर्यात होता है। जिले के उद्यमियों का कहना है कि अभी कोई आर्डर रद्द या रोका नहीं गया है। लेकिन हवाई और समुद्री आवागमन प्रभावित होने से दो-तीन दिन में उद्यमियों के लिए निराशा भरी खबर आ सकती है। वर्तमान में इन दोनों देशों के करीब 100 करोड़ के आर्डर प्रक्रिया में हैं।

कानपुर चर्म निर्यात परिषद के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 में रूस को 160 करोड़ के चर्म उत्पादों का निर्यात हुआ। 2019-20 में ये आंकड़ा 133 करोड़ रहा था। यूक्रेन भी चर्म उत्पादों का बड़ा बजार है। यहां वित्तीय वर्ष 2020-21 में 6.82 करोड़ और 2019-20 में नौ करोड़ का माल निर्यात हुआ था। इस समय दोनों देशों में कुछ माल भेजा जा चुका है। लेकिन दोनों देशों के बीच जिस तरह के हालात हैं, उससे निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। इससे उद्यमियों में निराशा है। उनका कहना है कि अगर लड़ाई लंबी चली तो एशियाई और यूरोपीय देशों का व्यापार प्रभावित होगा।

मीट उद्योग भी लड़खड़ा रहा

जिले में संचालित पांच स्लॉटर हाउस पैकेट बंद मांस का निर्यात करते हैं। इनमें रूस भी शामिल है। बड़ी मीट निर्यातक इकाईयों में शामिल इंडाग्रो फूड्स के मैनेजर नीरज कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-2020 में रूस को 80 करोड़ का निर्यात हुआ था। जबकि 2020-21 में कोरोना के कारण यह घटकर 50 करोड़ रह गया। उन्होंने बताया कि रूस सहित अन्य देशों के बीच निर्यात प्रभावित होने की आशंका है।

लागत और माल भाड़ा बढ़ेगा

चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष जावेद इकबाल ने बताया कि रूस से निर्यात और आयात दोनों ही करते हैं। सालाना करीब 400 करोड़ का कारोबार होता है। चर्म उत्पादों के अलावा वहां मीट भी निर्यात किया जाता है। युद्ध से तेल, केमिकल, गैस सभी कुछ महंगा होगा और इससे लागत और माल भाड़ा दोनों ही बढ़ेंगे।

जितनी लंबी जंग, उतना ज्यादा नुकसान

उत्तर प्रदेश चमड़ा उद्योग संघ उन्नाव चेप्टर के अध्यक्ष मो. ताज आलम ने बताया कि कोरोना की मार से चरमराया चमड़ा उद्योग उबरने की कोशिश कर रहा था, तभी यह जंग छिड़ गई। उन्होंने बताया कि जंग जितनी लंबी चलेगी चर्म निर्यात उतना प्रभावित होगा। बताया कि मंदी के कारण निर्यात प्रभावित होगा।

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व्यापार पर सीधा असर

इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन (आईआईए) के अध्यक्ष जीएन मिश्रा ने बताया कि इस युद्ध से पूरे यूरोप का व्यापार प्रभावित होगा। बताया कि शेयर बाजार टूट गया है। कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो गईं हैं। इससे तेल और गैस महंगी होगी। इससे उत्पाद की लागत और माल भाड़ा दोनों ही महंगे होंगे। इसका सीधा असर विदेशी व्यापार पर पड़ेगा।

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