लक्ष्य बनाएं और जुट जाएं: कम अंक लाने वालों ने गढ़ें हैं इतिहास, मार्कशीट नहीं, आपकी योग्यता आपकी असली ताकत

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Psychologists give tips for children who are facing stress due to low marks in UP Board

तनाव का सही प्रबंधन जरूरी है।
– फोटो : istock

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यूपी बोर्ड का दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट मंगलवार को आ गया। ओवरआल रिजल्ट अच्छा रहा। लेकिन कुछ बच्चों का रिजल्ट किसी कारणवश उनके उम्मीद के मुताबिक नहीं आया। इससे उन्हें निराशा हाथ लगी। कुछ बच्चे फेल भी हो गए। ऐसे में वह निराश न हों और अपने लक्ष्य के लिए दोबारा से मेहनत करने में जुट जाएं। इसके लिए मनोवैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र यादव ने उनके लिए कई टिप्स बताएं हैं। 

उत्तर प्रदेश के आगरा में मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के काउंसलर डॉ. जितेंद्र यादव ने छात्र-छात्राओं के लिए कहा कि हाईस्कूल-इंटरमीडिएट में मेरिट कम आई है तो निराश होने की जरूरत नहीं है। मार्कशीट पर दर्ज अंक नहीं बल्कि आपकी असल मानसिक योग्यता ज्यादा मायने रखती है। 

अभिभावक बच्चों को प्रेरित करें

कहा कि हमने अध्ययन में पाया कि 60 से 80 फीसदी तक अंक पाने वाले बच्चों ने भी प्रतियोगी परीक्षा में मुकाम पाया है। उनका व्यक्तित्व अच्छा और व्यावहारिक भी मिले। वहीं डॉ. साहब सिंह ने कहा कि कई बार आप विषय की अच्छी परख रखते हैं। लेकिन, डिलीवरी उतनी बेहतर नहीं हो पाती। ऐसे में अभिभावक बच्चों को प्रेरित करें। उनसे कहें कि कम अंक आएं है तो कैसी चिंता, बस आगे बेहतर के लिए तैयारी करें।

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बच्चों की पीड़ा सुने-समझें और मित्र बन प्रेरित करें: डॉ. दिनेश राठौर

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने उपेक्षित परिणाम नहीं आने से बच्चे और परिजन तनाव में आ जाते हैं। बच्चे अधिक भावुक होते हैं, ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों से बात करें और उनकी पीड़ा को समझें। किसी अन्य बच्चे के अंकों से तुलना कतई न करें। 

बच्चे को अकेला नहीं छोड़ें

कहा कि मित्रवत होकर पूछें कहां कमी रही। उन्हें आगे और बेहतर करने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से बच्चे के मन का गुबार निकलेगा। आपकी चुप्पी और तनाव बच्चे को ज्यादा परेशान करेगा। बच्चे को अकेले नहीं छोड़ें, उसके साथ सामान्य दिनों की तरह ही व्यवहार करें। गुमशुम रहने पर बच्चे की काउंसिलिंग भी करा सकते हैं।

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