उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है। बीते बुधवार को लखीमपुर खीरी के निघासन में दो नाबालिग बहनों को घर से अगवा कर ले जाने और दुष्कर्म करने के बाद उनकी हत्या करने के मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही साफ उजागर है। इस पूरे मामले में सामूहिक दुष्कर्म और अपहरण की धारा तक नहीं लगाई है। कानून के जानकारों का मानना है कि पुलिस कार्रवाई में कई ऐसे झोल हैं, जो अपराधियों को फायदा पहुंचा सकते हैं।
पुलिस रिकॉर्ड पर बात करें तो एफआईआर लिखवाने के लिए मृत बहनों की मां रात को 1.00 बजे पुलिस के पास पहुंची थी। उसने बताया था छोटू गौतम के साथ ही तीन लड़के घर में घुसकर आए और मारपीट करते हुए उसकी नाबालिग दोनों लड़कियों को जबरन घसीट कर मोटरसाइकिल पर लादकर अज्ञात स्थान पर ले गए हैं। विशेष लोक अभियोजक ब्रजेश पांडेय का कहना है कि ऐसे में पुलिस को अपहरण की धारा लगाना जरूरी था। पुलिस ने ऐसा नहीं किया है। पुलिस के बयान में जिस तरह से आरोपियों तक पहुंचने की बात कही गई है, वह भी कार्रवाई को छिपाने की कोशिश करती दिख रही है।
गुरुवार को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के कई घंटे बाद पुलिस ने आरोपियों को सिविल कोर्ट में पेश किया। तब तक अदालत का समय (शाम 5.00 बजे) बीत चुका था। एडीजे की अदालत ने पुलिस की प्रार्थना पर छह आरोपियों की रिमांड पर सुनवाई को मंजूरी दे दी। पुलिस ने छोटू उर्फ सुनील गौतम को छोड़कर सभी आरोपियों पर एससी-एसटी एक्ट की धाराएं लगाई हैं। करीमुद्दीन और छोटे पर केवल सुबूत मिटाने की धारा 201, एससी-एसटी एक्ट लगाया है। आरोपी जुनैद, सुहेल, हफीजुर्रहमान के खिलाफ दुष्कर्म, हत्या, पास्को एक्ट की धारा लगाई है। पुलिस कस्टडी रिमांड की प्रार्थना नहीं की गई। सभी छह आरोपियों के 29 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है।
छह घंटे कहां रहे सुहेल और हाफिजुर्रहमान
विशेष अभियोजक ब्रजेश पांडेय का कहना है कि पुलिस के अनुसार सुबह 7.30 बजे सुहेल और हाफिजुर्रहमान को दुर्गापुरवा मोड़, पलिया रोड से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद छोटे और करीमुद्दीन को सुबह 8.25 बजे गिरफ्तार किया गया। इसके छह घंटे बाद सुहेल और हाफिजुर्रहमान को थाने में दाखिल किया गया। इस दौरान दोनों कहा रहे। इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है। थाने के अभिलेखों में लॉकअप में सबसे पहले पहले छोटू उर्फ सुनील गौतम 10.15 सुबह लाया गया। अन्य सभी आरोपियों को दोपहर 1.15 बजे लॉकअप में लाया गया। जबकि गिरफ्तारी स्थल थाने से कुछ ही दूरी पर है।
नहीं लगाई सामूहिक दुष्कर्म की धारा
पूर्व एडीजीसी शैलेंद्र सिंह गौड़ का कहना है कि बहनों की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376 डी नहीं लगाई। लगाई गई धाराओं में केवल एक आरोपी के दुष्कर्म करने की बात कही गई। जबकि पुलिस की ही कहानी के अनुसार नाबालिग बहनों से दुष्कर्म करने वाले आरोपी एक से अधिक हैं। इसकी वजह से अदालत में बचाव पक्ष को राहत मिल सकती है।