वासुदेवानंद ने बोला हमला : माघ मेला से पहले ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर छिड़ी रार

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वासुदेवानंद सरस्वती।

वासुदेवानंद सरस्वती।
– फोटो : अमर उजाला

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माघ मेला से पहले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य को लेकर विवाद रविवार को एक बार फिर सतह पर आ गया। अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम में राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक को गलत बताया। कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य न तो हैं न कभी हो सकते हैं। इतना ही नहीं उन्हें संन्यास धारण करने का भी अधिकार नहीं है।

ज्योतिष्पीठ के उद्धारक स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती की 150 वीं जयंती पर 29 नवंबर से होने वाले नौ दिवसीय आराधना महोत्सव को लेकर पत्रकारों से बातचीत में स्वामी वासुदेवानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को स्वयंभू ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बताया। उन्होंने कहा कि द्वारिका पीठ के शंकराचार्य रहे ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद को कहीं भी अपना लिखित  तौर पर उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है।

ज्योतिष्पीठ पर विवाद की वजह से स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती किसी को शंकराचार्य की पदवी नहीं दे सकते थे। स्वामी वासुदेवानंद ने बताया कि अविमुक्तेश्वरानंद प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील के ब्रह्मभट्ट हैं। ऐसे में उन्हें संन्यास का कोई अधिकार नहीं है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने जबरन उन्हें संन्यासी बना दिया था। उन्होंने कहा कि अविमुक्तेरानंद विवाद करने के लिए ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर दावा कर रहे हैं।

उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। स्वामी अविमुक्तेरानंद ना ही ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य हैं और ना ही आगे रहेंगे।  वासुदेवानंद ने यहां तक कहा कि उनके गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य नहीं थे। उन्होंने कहा कि स्वरूपानंद स्वामी कृष्णबोधाश्रम का खुद को शिष्य बताकर 1973 से अपने को ज्योतिष्पीठाधीश्वर बताते रहे। उनके ब्रहमलीन होने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी ऐसा ही प्रयास किया है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उनको ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर पदासीन करने, अभिषेक करने पर रोक लगा दी है।

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ऐसे में उन्हें शंकराचार्य के रूप में खुद को बताने या लिखने का अधिकार नहीं है। वासुदेवानंद के इस हमले के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद से भी संपर्क किया गया, लेकिन उनका पक्ष नहीं आया। उनके आश्रम के प्रतिनिधि श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शाम को मौन धारण कर लेते हैं। उन्होंने इस प्रकरण से अवगत करा दिया है।

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माघ मेला से पहले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य को लेकर विवाद रविवार को एक बार फिर सतह पर आ गया। अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम में राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक को गलत बताया। कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य न तो हैं न कभी हो सकते हैं। इतना ही नहीं उन्हें संन्यास धारण करने का भी अधिकार नहीं है।

ज्योतिष्पीठ के उद्धारक स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती की 150 वीं जयंती पर 29 नवंबर से होने वाले नौ दिवसीय आराधना महोत्सव को लेकर पत्रकारों से बातचीत में स्वामी वासुदेवानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को स्वयंभू ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बताया। उन्होंने कहा कि द्वारिका पीठ के शंकराचार्य रहे ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद को कहीं भी अपना लिखित  तौर पर उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है।



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