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उन्नाव। जिले के दो युवा सुरों के जरिये अपनी चमक बिखेर रहे हैं। दोनों गायिकी के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम पाना चाहते हैं। प्रदेश के बाहर भी उनके कार्यक्रम सराहे जा रहे हैं।
शहर के केवटा तालाब बस्ती निवासी विजय प्रताप ने संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल की है। उन्होंने 2017 में उन्नाव महोत्सव से गायन की शुरुआत की थी। इसमें उन्हें तीसरा स्थान मिला था।
इसके बाद उन्हें भजन संध्या, जागरण व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आमंत्रण मिलने लगा। वह कानपुर, लखनऊ, नोएडा, झांसी, बाराबंकी सहित प्रदेश के बाहर भी गायन कर जिले का परचम लहरा रहे हैं।
विजय अब तक करीब दो हजार कार्यक्रम कर चुके हैं। उनके पिता प्रमोद कुमार प्राइवेट नौकरी करते हैं। मां गीता देवी गृहिणी हैं। बताया कि इस मुकाम पर पहुंचने में गुरु विजय अवस्थी का अहम योगदान है।
वहीं मोतीनगर निवासी शुभम सेंगर ने 14 साल की उम्र से ही गायन शुरू किया था। शुभम बताते हैं कि जब वह तीन साल के थे, पिता कृष्ण कुमार का निधन हो गया था। मां स्नेहलता ने कष्ट झेलते हुए उन्हें पढ़ाया। मां भी संगीत प्रेमी हैं।
उन्होंने भजन गायिका पूर्णिमा के गीतों को सुनकर प्रेरणा ली। 20 साल की उम्र में कानपुर, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, राजस्थान सहित अन्य जगह 300 कार्यक्रम कर चुके हैं। वह संगीत महाविद्यालय में प्रवेश की तैयारी भी कर रहे हैं।
उन्नाव। जिले के दो युवा सुरों के जरिये अपनी चमक बिखेर रहे हैं। दोनों गायिकी के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम पाना चाहते हैं। प्रदेश के बाहर भी उनके कार्यक्रम सराहे जा रहे हैं।
शहर के केवटा तालाब बस्ती निवासी विजय प्रताप ने संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल की है। उन्होंने 2017 में उन्नाव महोत्सव से गायन की शुरुआत की थी। इसमें उन्हें तीसरा स्थान मिला था।
इसके बाद उन्हें भजन संध्या, जागरण व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आमंत्रण मिलने लगा। वह कानपुर, लखनऊ, नोएडा, झांसी, बाराबंकी सहित प्रदेश के बाहर भी गायन कर जिले का परचम लहरा रहे हैं।
विजय अब तक करीब दो हजार कार्यक्रम कर चुके हैं। उनके पिता प्रमोद कुमार प्राइवेट नौकरी करते हैं। मां गीता देवी गृहिणी हैं। बताया कि इस मुकाम पर पहुंचने में गुरु विजय अवस्थी का अहम योगदान है।
वहीं मोतीनगर निवासी शुभम सेंगर ने 14 साल की उम्र से ही गायन शुरू किया था। शुभम बताते हैं कि जब वह तीन साल के थे, पिता कृष्ण कुमार का निधन हो गया था। मां स्नेहलता ने कष्ट झेलते हुए उन्हें पढ़ाया। मां भी संगीत प्रेमी हैं।
उन्होंने भजन गायिका पूर्णिमा के गीतों को सुनकर प्रेरणा ली। 20 साल की उम्र में कानपुर, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, राजस्थान सहित अन्य जगह 300 कार्यक्रम कर चुके हैं। वह संगीत महाविद्यालय में प्रवेश की तैयारी भी कर रहे हैं।
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