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उन्नाव। कलम और तलवार की धनी जनपद की धरती पर पुरुषों ने तो विधायकी में शतक लगाया है लेकिन आधी आबादी (महिलाएं) अब तक विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। उनमें इसकी कसक भी दिखती है। इस बार पांच महिलाएं चुनावी दंगल में उतरी हैं। ऐसे में अब ये देखना है कि क्या नया इतिहास लिख सकेगा।
जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या कई बार बदली है। 2007 तक यहां सात विधानसभा क्षेत्र थे। अब छह क्षेत्र हैं। 1951 से अब तक 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें बांगरमऊ में 1962 और भगवंतनगर में 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे। यहां से क्रमश: 16 और 17 विधायक चुने जा चुके हैं। जिले से अब तक कुल 102 विधायक हुए हैं।
लेकिन महिलाओं की संख्या शून्य है। राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं को प्रत्याशी बनाने में रुचि नहीं दिखाई। 1952 से 1980 तक हुए चुनावों में महिला प्रत्याशी जीत की माला नहीं पहन पाईं।
1985 में कांग्रेस ने सदर सीट से माधुरी शुक्ला को मौका दिया था पर जीत उनसे दूर रही। 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने बांगरमऊ से पूर्व गृहमंत्री स्व. गोपीनाथ दीक्षित की बेटी आरती बाजपेयी और भाजपा ने भगवंतनगर विधानसभा सीट से दिवंगत एमएलसी अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह (वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष) को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली।
तीन चुनावों की स्थिति पर नजर
2012 के विधानसभा चुनाव में नौ महिला प्रत्याशी मैदान में थीं लेकिन कोई जीत नहीं सकीं। भाजपा ने भगवंतनगर से पूनम शुक्ला को और बसपा ने नम्रता पाठक को उन्नाव सदर सीट से उतारा था। इनमें पूनम दूसरे और नम्रता तीसरे स्थान पर रहीं। बांगरमऊ से आरती बाजपेयी और आशारानी निर्दलीय प्रत्याशी थीं। उन्नाव से सीमा चौहान व शबीहा, भगवंतनगर से नंदिनी देवी, नलिनी शुक्ला और पुरवा से सावित्री सिंह वर्मा तृणमूल कांग्रेस से प्रत्याशी थीं, लेकिन यह सभी चौथे स्थान तक भी नहीं पहुंच पाईं।
2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव सदर से सपा ने पूर्व सांसद दीपक कुमार की पत्नी मनीषा दीपक (अब दिवंगत) को चुनाव लड़ाया था। उनके अलावा प्रेमादेवी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। भगवंतनगर से आरएलडी ने विनय कुमारी को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह भी जीत हासिल नहीं कर पाई।
नवंबर 2020 में बांगरमऊ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने आरती बाजपेयी को उतारा था। वह कड़े मुकाबले में दूसरे नंबर पर रहीं थीं।
इस बार तस्वीर बदलने का प्रयास
इस बार विधानसभा चुनाव में तस्वीर बदलने के लिए बड़े दलों से पांच महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। इसमें कांग्रेस ने सबसे ज्यादा चार प्रत्याशियों को उतारा है। जिसमें बांगरमऊ से आरती बाजपेयी, मोहान से मधु रावत, पुरवा से उरुषा इमरान और सदर से आशा सिंह मैदान में हैं। वहीं सपा ने मोहान से डॉ. आंचल वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा और बसपा ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया है।
उन्नाव। कलम और तलवार की धनी जनपद की धरती पर पुरुषों ने तो विधायकी में शतक लगाया है लेकिन आधी आबादी (महिलाएं) अब तक विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। उनमें इसकी कसक भी दिखती है। इस बार पांच महिलाएं चुनावी दंगल में उतरी हैं। ऐसे में अब ये देखना है कि क्या नया इतिहास लिख सकेगा।
जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या कई बार बदली है। 2007 तक यहां सात विधानसभा क्षेत्र थे। अब छह क्षेत्र हैं। 1951 से अब तक 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें बांगरमऊ में 1962 और भगवंतनगर में 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे। यहां से क्रमश: 16 और 17 विधायक चुने जा चुके हैं। जिले से अब तक कुल 102 विधायक हुए हैं।
लेकिन महिलाओं की संख्या शून्य है। राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं को प्रत्याशी बनाने में रुचि नहीं दिखाई। 1952 से 1980 तक हुए चुनावों में महिला प्रत्याशी जीत की माला नहीं पहन पाईं।
1985 में कांग्रेस ने सदर सीट से माधुरी शुक्ला को मौका दिया था पर जीत उनसे दूर रही। 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने बांगरमऊ से पूर्व गृहमंत्री स्व. गोपीनाथ दीक्षित की बेटी आरती बाजपेयी और भाजपा ने भगवंतनगर विधानसभा सीट से दिवंगत एमएलसी अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह (वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष) को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली।
तीन चुनावों की स्थिति पर नजर
2012 के विधानसभा चुनाव में नौ महिला प्रत्याशी मैदान में थीं लेकिन कोई जीत नहीं सकीं। भाजपा ने भगवंतनगर से पूनम शुक्ला को और बसपा ने नम्रता पाठक को उन्नाव सदर सीट से उतारा था। इनमें पूनम दूसरे और नम्रता तीसरे स्थान पर रहीं। बांगरमऊ से आरती बाजपेयी और आशारानी निर्दलीय प्रत्याशी थीं। उन्नाव से सीमा चौहान व शबीहा, भगवंतनगर से नंदिनी देवी, नलिनी शुक्ला और पुरवा से सावित्री सिंह वर्मा तृणमूल कांग्रेस से प्रत्याशी थीं, लेकिन यह सभी चौथे स्थान तक भी नहीं पहुंच पाईं।
2017 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव सदर से सपा ने पूर्व सांसद दीपक कुमार की पत्नी मनीषा दीपक (अब दिवंगत) को चुनाव लड़ाया था। उनके अलावा प्रेमादेवी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। भगवंतनगर से आरएलडी ने विनय कुमारी को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह भी जीत हासिल नहीं कर पाई।
नवंबर 2020 में बांगरमऊ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने आरती बाजपेयी को उतारा था। वह कड़े मुकाबले में दूसरे नंबर पर रहीं थीं।
इस बार तस्वीर बदलने का प्रयास
इस बार विधानसभा चुनाव में तस्वीर बदलने के लिए बड़े दलों से पांच महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। इसमें कांग्रेस ने सबसे ज्यादा चार प्रत्याशियों को उतारा है। जिसमें बांगरमऊ से आरती बाजपेयी, मोहान से मधु रावत, पुरवा से उरुषा इमरान और सदर से आशा सिंह मैदान में हैं। वहीं सपा ने मोहान से डॉ. आंचल वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा और बसपा ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया है।
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