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जल संरक्षण
– फोटो : अमर उजाला, फाइल फोटो
विस्तार
गिरते भूगर्भ जल स्तर को रोकने के लिए समय रहते नहीं जागे तो आने वाले समय में पानी को लेकर हाहाकार मचेगा। यह गिरते भूगर्भ जल स्तर के आंकड़े गवाही दे रहे हैं। हर घर में सबमर्सिबल लगे हैं। लोग घर, गाड़ी और सड़कों की सफाई भी भूगर्भ जल से कर रहे हैं। मेरठ शहर ही नहीं बल्कि देहात में भी भूगर्भ दोहन लगातार बढ़ रहा है। किसान गेहूं, धान यानी अधिक पानी के प्रयोग से उगाई जाने वाली फसलों को भी अधिक उगा रहे हैं, जिस कारण भूगर्भ जल स्तर तेजी से गिर रहा है।
डार्क जोन में शामिल क्षेत्र
कलेक्ट्रेट परिसर 22.60 मी.
सीसीएसयू परिसर 24.50 मी.
नौचंदी एरिया 26.70 मी.
जेलचुंगी एरिया 24.05 मी.
जयभीम नगर 23.70 मी.
कुटी चौराहा 25.75 मी.
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तालाबों में हो जलसंचय
उप्र सरकार ने तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना चलाई हुई है। मेरठ में भी नरहाड़ा समेत कई गांवों में तालाबों की खुदाई की गई है, जिनमें गांव का पानी साफ करके डाला जाएगा। खासकर बरसात का पानी संचित किया जाएगा।
रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होगा वरदान साबित
शासन के निर्देशानुसार शहर और देहात में बड़ी इमारतों के निर्माण के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाना जरूरी है। एमडीए से पास नक्शे में यह बिंदु प्राथमिकता पर होता है। वह अलग बात है कि अधिकतर सरकारी बिल्डिंगों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है या फिर चालू नहीं हैं।
डार्क जोन में पहुंच गए ब्लॉक
खरखौदा, माछरा, दौराला, परीक्षितगढ़, रजपुरा, सरूरपुर, मेरठ ब्लॉक डार्क जोन में पहुंच गए हैं।
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