आंखें कुदरत की अनमोल देन हैं, लेकिन इस अनमोल तोहफे को हमारी आदत में शुमार हो चुका मोबाइल-लैपटॉप नुकसान पहुंचा रहा है। इस साल जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ के यहां पहुंचे करीब 33,750 मरीजों की जांच में पता चला है कि इनमें से 1350 की आंखें कमजोर हैं। इनमें 20 से 40 साल की उम्र के लोग ज्यादा हैं। बच्चों की संख्या भी खासी अच्छी है।
पढ़ाई-लिखाई की उम्र में ही बच्चों की आंखों पर चश्मा दिखाई देने लगा है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एसबीडी जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ की ओपीडी रोजाना 125 के पार होती हैं। इनमें चार से पांच मरीज ऐसे होते हैं, जिनकी मोबाइल या फिर लैपटॉप पर ज्यादा समय तक बैठने के कारण आंखों की रोशनी कमजोर हो रही।
जनवरी से लेकर सितंबर तक 33,750 मरीजों पर स्टडी की गई है, जिसमें से 1350 मरीजों की आंखें कमजोर निकली हैं, साथ ही 10 से 15 फीसदी मरीजों की रोशनी कम पाई गई। इनके अलावा कई मरीजों के ऑपरेशन भी किए गए।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रामानंद का कहना है कि आंखों की रोशनी कम होने के कारण मुख्य रूप से लेटकर पढ़ने की आदत, अंधेरे में पढ़ना, लंबे समय तक आंखें गड़ाकर लगातार मोबाइल, लैपटॉप देखना है। अगर यह अंधेेरे में करें तो और घातक है। गलत खानपान की वजह से भी आंखों पर असर पड़ता है।
झपकती रहनी चाहिए पलक नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुुसार, एक मिनट में कम से कम 10 से 15 बार पलकें झपकना चाहिए, इससे कार्निया में तरलता बनी रहती है। मोबाइल, टीवी और लैपटॉप पर काम करते समय कई लोगों की पलकें एक मिनट तक झपकती नहीं है या दो-चार बार ही झपकती हैं। इससे आंखों में तरलता कम हो जाती है, जिसे ड्राई आई कहते हैं।
ऐसे करें आंखों का बचाव -आंखों को पर्याप्त आराम देने के लिए आठ घंटे की नींद लें। -दिन में तीन से चार बार अपनी आंखों को ठंडे पानी से अच्छी तरह धोएं। -मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप में देख रहे हों तो उचित दूरी बना कर रखें। -धूप या किसी धूल-मिट्टी वाली जगह पर जाएं तो चश्मा लगाएं। -खाने में दूध, मक्खन, गाजर, टमाटर, पपीता, अंडे, देसी घी और हरी सब्जियां खाएं। -सोते समय आंखों के आसपास बादाम के तेल से हल्की मालिश करें। -खूब पानी पीएं। -स्वस्थ आंखों के लिए संतुलित खानपान भी जरूरी है। -समय-समय पर चेकअप कराते रहें।
विस्तार
आंखें कुदरत की अनमोल देन हैं, लेकिन इस अनमोल तोहफे को हमारी आदत में शुमार हो चुका मोबाइल-लैपटॉप नुकसान पहुंचा रहा है। इस साल जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ के यहां पहुंचे करीब 33,750 मरीजों की जांच में पता चला है कि इनमें से 1350 की आंखें कमजोर हैं। इनमें 20 से 40 साल की उम्र के लोग ज्यादा हैं। बच्चों की संख्या भी खासी अच्छी है।
पढ़ाई-लिखाई की उम्र में ही बच्चों की आंखों पर चश्मा दिखाई देने लगा है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एसबीडी जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ की ओपीडी रोजाना 125 के पार होती हैं। इनमें चार से पांच मरीज ऐसे होते हैं, जिनकी मोबाइल या फिर लैपटॉप पर ज्यादा समय तक बैठने के कारण आंखों की रोशनी कमजोर हो रही।
जनवरी से लेकर सितंबर तक 33,750 मरीजों पर स्टडी की गई है, जिसमें से 1350 मरीजों की आंखें कमजोर निकली हैं, साथ ही 10 से 15 फीसदी मरीजों की रोशनी कम पाई गई। इनके अलावा कई मरीजों के ऑपरेशन भी किए गए।