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सार
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों में करीब 500 नर्स सेवाएं दे रही हैं। इन नर्सों ने कोरोना काल में बिना छुट्टी के एक से डेढ़ वर्ष तक सेवा दी।
नर्स को कहा तो सिस्टर जाता है, लेकिन मरीजों के लिए यह मां और बाप की भूमिका भी निभाती हैं। समय पर मरीजों को ड्रिप लगाती हैं और दवाएं देती हैं। आनाकानी करने पर कभी प्यार से तो कभी डांटकर दवा खाने के लिए तैयार करती हैं। मंशा यही होती है कि मरीज जल्द ठीक होकर घर वापस लौटे।
आगरा में कोरोना काल में नर्सों ने पूरी शिद्दत के साथ अपनी सेवाएं दीं। एक से डेढ़ वर्ष बिना छुटटी लिए हुए काम किया। घर नहीं गईं। बच्चों और परिवार से दूर रहीं। खुद की चिंता किए बिना कर्तव्यों का निर्वहन करती रहीं। डॉक्टर भी मरीजों के इलाज में नर्सों की महत्वपूर्ण भूमिका मानते हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, लेडी लॉयल महिला जिला चिकित्सालय व अन्य सरकारी अस्पतालों में करीब 500 से अधिक नर्स सेवाएं दे रही हैं।
दवा ना खाने वाले मरीजों पर उसकी भलाई के लिए गुस्सा भी करती
एसएन मेडिकल कॉलेज में 32 वर्ष से सेवाएं दे रही मेट्रन फ्रीडा जेवियर का कहना है कि 1990 में एसएन ज्वाइन किया था। तब से मरीजों के इलाज में सहयोग कर रहीं। कई बार मरीज दवाएं नहीं खाते तो उनकी भलाई के लिए अभिभावकों की तरह समझाते भी हैं। उद्देश्य यही रहता कैसे भी वह मरीज ठीक होकर अपने घर चला जाए
प्रसूता के हंसते हुए चेहरे को देखकर मिट जाती है पूरी थकान
लेडी लॉयल की स्टाफ नर्स मंजुला मोरे ने बताया कि 8 साल से अधिक समय से लेडी लायल में हैं। कोरोना महामारी की पहली लहर में निजी अस्पताल बंद थे, तब आगरा के अलावा आसपास के जिलों से भी गर्भवती महिलाएं यहां आती थीं। कई अति गंभीर मामले होते थे जिनकी कोरोना की जांच भी नहीं हो पाती थी, अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनको तत्काल प्रसव कक्ष ले जाकर डिलीवरी कराई जाती थी। जब प्रसूता अपनी नन्हीं जान को देखकर मुस्कुराती तो सारी थकान मिट जाती।
भरोसे का डोज लगाकर बचा रही लोगों की जान
एसएन मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नूतन सिंह 16 जनवरी 2021 से कोरोना वायरस के टीकाकरण अभियान से जुड़ी हुई है। उनका कहना है टीकाकरण का आगाज हुआ तब से लोगों को टीका लगा रहीं हैं। टीके लगवाने के बाद लोगों का मनोबल देखकर सुकून मिलता है।
एसएन में 150 नर्स की और जरूरत
एसएन मेडिकल कॉलेज में करीब 75 नर्स सेवाएं दे रही हैं। 150 और नर्स की जरूरत है। स्टाफ नर्स की कमी की वजह से मरीजों का इलाज भी प्रभावित हो रहा है। लेडी लायल और जिला अस्पताल में नर्स की पर्याप्त व्यवस्था है।
विस्तार
नर्स को कहा तो सिस्टर जाता है, लेकिन मरीजों के लिए यह मां और बाप की भूमिका भी निभाती हैं। समय पर मरीजों को ड्रिप लगाती हैं और दवाएं देती हैं। आनाकानी करने पर कभी प्यार से तो कभी डांटकर दवा खाने के लिए तैयार करती हैं। मंशा यही होती है कि मरीज जल्द ठीक होकर घर वापस लौटे।
आगरा में कोरोना काल में नर्सों ने पूरी शिद्दत के साथ अपनी सेवाएं दीं। एक से डेढ़ वर्ष बिना छुटटी लिए हुए काम किया। घर नहीं गईं। बच्चों और परिवार से दूर रहीं। खुद की चिंता किए बिना कर्तव्यों का निर्वहन करती रहीं। डॉक्टर भी मरीजों के इलाज में नर्सों की महत्वपूर्ण भूमिका मानते हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, लेडी लॉयल महिला जिला चिकित्सालय व अन्य सरकारी अस्पतालों में करीब 500 से अधिक नर्स सेवाएं दे रही हैं।
दवा ना खाने वाले मरीजों पर उसकी भलाई के लिए गुस्सा भी करती
एसएन मेडिकल कॉलेज में 32 वर्ष से सेवाएं दे रही मेट्रन फ्रीडा जेवियर का कहना है कि 1990 में एसएन ज्वाइन किया था। तब से मरीजों के इलाज में सहयोग कर रहीं। कई बार मरीज दवाएं नहीं खाते तो उनकी भलाई के लिए अभिभावकों की तरह समझाते भी हैं। उद्देश्य यही रहता कैसे भी वह मरीज ठीक होकर अपने घर चला जाए
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