विश्व पृथ्वी दिवस 2022: बोरिंग से छलनी कर दी धरती,  छीना हरियाली  का ‘श्रृंगार’, पेड़-पौधों पर कुल्हाड़ी से वार

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सार

विश्व पृथ्वी दिवस यानी अपनी पृथ्वी को बचाने, सहेजने और शृंगार करने के संकल्प का दिन, लेकिन अपनी पृथ्वी छलनी की जा चुकी है। पृथ्वी की हरियाली की ओढ़नी को भी छीन लिया गया है। वह भी तब, जब ताज ट्रिपेजियम जोन में पेड़ काटने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से लेनी पड़ती है।

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ताजनगरी आगरा में ढाई लाख से ज्यादा सबमर्सिबल पंप लगे हैं, इनसे निकले पानी का इस्तेमाल 55 फीसदी शहर पीने और अन्य जरूरत के लिए कर रहा है। महज 10 साल के अंदर ही विकास के नाम पर 14 वर्ग किलोमीटर का जंगल काट दिया गया।

शहर में बुलंदशहर के पालडा से पाइप लाइन के जरिए 140 क्यूसेक गंगाजल लाया जा रहा है, लेकिन 55 फीसदी शहर में पाइपलाइन ही नहीं बिछी है। ऐसे में भूगर्भ जल निकालने के लिए ढाई लाख से ज्यादा सबमर्सिबल की बोरिंग की गई है। अमरपुरा क्षेत्र के नजदीक आजमपाड़ा, बालाजीपुरम, अलबतिया, विनय नगर, श्याम नगर, मारुति एस्टेट, सुभाष नगर, कमला नगर, अमर विहार, फतेहाबाद रोड की कॉलोनियों, शास्त्रीपुरम में सबमर्सिबल पंप की पुरानी बोरिंग सूख गई हैं और अब 350 से 400 फुट गहराई पर बोरिंग की जा रही हैं। इनके लिए 2 से 3 किलोवाट क्षमता की 12 स्टेज सबमर्सिबल पंप ही कारगर हैं।

मनमाने ढंग से दोहन

भूगर्भजल विज्ञानी रविकांत ने बताया कि भूगर्भ जल का मनमाने ढंग से दोहन किया जा रहा है, लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग उस अनुपात में नहीं की जा रही है। जहां जहां तालाब, खेत में पानी रोका गया है, वहां जलस्तर में सुधार आ रहा है। कम से कम गिरावट है, लेकिन नवविकसित क्षेत्रों में पानी जमीन से ज्यादा निकाला जा रहा है। बारिश का पानी हर हाल में भूगर्भ में पहुंचाने का प्रयास हो, तभी सुधार आएगा

हरियाली केवल 6.5 फीसदी

टीटीजेड क्षेत्र में वनावरण 33 प्रतिशत होना चाहिए। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार साल 2011 में आगरा में हरियाली 6.84 फीसदी थी जो अब 2021 की रिपोर्ट में गिरकर 6.5 फीसदी रह गई। 10 वर्ष में 0.34 फीसदी वन क्षेत्र घटा है। ताज ट्रिपेजियम जोन में शामिल आगरा में 2019 से 2021 के बीच तीन साल में 1.11 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया। लेकिन जब फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट जारी हुई तो इसमें आगरा का वन क्षेत्र एक मीटर भी नहीं बढ़ा। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में आगरा का वन क्षेत्र 262.62 वर्ग किमी था। 2021 में भी इतना ही है। जीपीएस और आधुनिक सेटेलाइट इमेज के आधार पर किए गए सर्वे में पूरे ताज ट्रिपेजियम जोन में वन क्षेत्र नहीं बढ़ा, केवल झाड़ियों की संख्या में 0.52 फीसदी का इजाफा हुआ है।

तीन वर्षों में 1.11 करोड़ पौधे रोपने का दावा

वन विभाग ने सरकारी विभागों के साथ जीआईसी मैदान, खंदारी चौराहे के पास आईएएस हॉस्टल के सामने, कोठी मीना बाजार मैदान, इनर रिंग रोड, फतेहाबाद रोड पर पौधरोपण के दावों के उलट न तो सड़क किनारे और न ही डिवाइडर पर पौधे नजर आते हैं।

वर्ष     पौधे
2019    28.00 लाख
2020     37.50 लाख
2021    45.74 लाख
कुल    111.24 लाख

पृथ्वी को बचाने का लेना होगा संकल्प

पहला संकल्प अपनी पृथ्वी को बचाने का लिया जाना चाहिए। हमारी पृथ्वी हरियाली को बढ़ाकर और भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने से ही बेहतर होगी। प्राकृतिक तरीके से पौधे बचेंगे। – उमेश शर्मा सदस्य टीटीजेड अथॉरिटी प्राधिकरण

10 साल में काट दिया 14 किमी वनक्षेत्र

2011 से 2021 के बीच दस साल में आगरा के वनक्षेत्र में 14 किमी की कमी आई है। वन क्षेत्र वर्ष 2011 में 276 किमी से घटकर अब वर्ष 2021 की रिपोर्ट में 262.62 वर्ग किमी रह गया है। इस अवधि में यमुना एक्सप्रेसवे, लखनऊ एक्सप्रेसवे, माल रोड चौड़ीकरण, रेलवे लाइन बिछाने और बिजली परियोजनाओं के साथ आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट आदि में 1.40 लाख पेड़ काट दिए गए जो 100 साल तक पुराने थे।

साल हरित क्षेत्र   किमी
2011 6.84% 276.00
2013   6.78%   273.00
2015 6.75%      273.00
2017  6.73%  272.00
2019 6.50%   262.60
2021 6.50% 262.62

 

10 वर्ष लगते हैं पेड़ बनने में

आगरा में कई विकास कार्यों के लिए पुराने पेड़ काटे गए हैं। उनकी जगह जो पौधे लगे हैं, उन्हें पेड़ बनने में कम से कम 10 वर्ष का समय चाहिए। इसलिए नई रिपोर्ट में न कमी और न बढ़ोतरी दिखाई है। इसमें पुराने आंकड़े शामिल किए गए हैं। – राकेश चंद्रा, वन संरक्षक आगरा मंडल

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रिपोर्ट ने विभागों की पोल खोली

फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट ने सरकारी विभागों की पोल खोलकर रख दी है। एक इंच भी हरियाली का न बढ़ना बताता है कि मानसून में हर वर्ष लाखों पौधे केवल कागज पर लगाए जा रहे हैं। ये बेहद शर्मनाक हालात है, टीटीजेड चेयरमैन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। – डॉ. शरद गुप्ता, पर्यावरणविद

दावों की ऑडिट कराई जाए

बेहद चिंताजनक रिपोर्ट है। हर साल लाखों पौधे लगाने के जो दावे किए गए हैं, उनकी ऑडिट कराई जाए। इसमें तकनीक का इस्तेमाल हो और जो विभाग दोषी है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। – उमेश शर्मा, सदस्य, टीटीजेड अथॉरिटी

विस्तार

ताजनगरी आगरा में ढाई लाख से ज्यादा सबमर्सिबल पंप लगे हैं, इनसे निकले पानी का इस्तेमाल 55 फीसदी शहर पीने और अन्य जरूरत के लिए कर रहा है। महज 10 साल के अंदर ही विकास के नाम पर 14 वर्ग किलोमीटर का जंगल काट दिया गया।

शहर में बुलंदशहर के पालडा से पाइप लाइन के जरिए 140 क्यूसेक गंगाजल लाया जा रहा है, लेकिन 55 फीसदी शहर में पाइपलाइन ही नहीं बिछी है। ऐसे में भूगर्भ जल निकालने के लिए ढाई लाख से ज्यादा सबमर्सिबल की बोरिंग की गई है। अमरपुरा क्षेत्र के नजदीक आजमपाड़ा, बालाजीपुरम, अलबतिया, विनय नगर, श्याम नगर, मारुति एस्टेट, सुभाष नगर, कमला नगर, अमर विहार, फतेहाबाद रोड की कॉलोनियों, शास्त्रीपुरम में सबमर्सिबल पंप की पुरानी बोरिंग सूख गई हैं और अब 350 से 400 फुट गहराई पर बोरिंग की जा रही हैं। इनके लिए 2 से 3 किलोवाट क्षमता की 12 स्टेज सबमर्सिबल पंप ही कारगर हैं।

मनमाने ढंग से दोहन

भूगर्भजल विज्ञानी रविकांत ने बताया कि भूगर्भ जल का मनमाने ढंग से दोहन किया जा रहा है, लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग उस अनुपात में नहीं की जा रही है। जहां जहां तालाब, खेत में पानी रोका गया है, वहां जलस्तर में सुधार आ रहा है। कम से कम गिरावट है, लेकिन नवविकसित क्षेत्रों में पानी जमीन से ज्यादा निकाला जा रहा है। बारिश का पानी हर हाल में भूगर्भ में पहुंचाने का प्रयास हो, तभी सुधार आएगा

हरियाली केवल 6.5 फीसदी

टीटीजेड क्षेत्र में वनावरण 33 प्रतिशत होना चाहिए। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार साल 2011 में आगरा में हरियाली 6.84 फीसदी थी जो अब 2021 की रिपोर्ट में गिरकर 6.5 फीसदी रह गई। 10 वर्ष में 0.34 फीसदी वन क्षेत्र घटा है। ताज ट्रिपेजियम जोन में शामिल आगरा में 2019 से 2021 के बीच तीन साल में 1.11 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया। लेकिन जब फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट जारी हुई तो इसमें आगरा का वन क्षेत्र एक मीटर भी नहीं बढ़ा। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में आगरा का वन क्षेत्र 262.62 वर्ग किमी था। 2021 में भी इतना ही है। जीपीएस और आधुनिक सेटेलाइट इमेज के आधार पर किए गए सर्वे में पूरे ताज ट्रिपेजियम जोन में वन क्षेत्र नहीं बढ़ा, केवल झाड़ियों की संख्या में 0.52 फीसदी का इजाफा हुआ है।


तीन वर्षों में 1.11 करोड़ पौधे रोपने का दावा

वन विभाग ने सरकारी विभागों के साथ जीआईसी मैदान, खंदारी चौराहे के पास आईएएस हॉस्टल के सामने, कोठी मीना बाजार मैदान, इनर रिंग रोड, फतेहाबाद रोड पर पौधरोपण के दावों के उलट न तो सड़क किनारे और न ही डिवाइडर पर पौधे नजर आते हैं।

वर्ष     पौधे
2019    28.00 लाख
2020     37.50 लाख
2021    45.74 लाख
कुल    111.24 लाख

पृथ्वी को बचाने का लेना होगा संकल्प

पहला संकल्प अपनी पृथ्वी को बचाने का लिया जाना चाहिए। हमारी पृथ्वी हरियाली को बढ़ाकर और भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने से ही बेहतर होगी। प्राकृतिक तरीके से पौधे बचेंगे। – उमेश शर्मा सदस्य टीटीजेड अथॉरिटी प्राधिकरण

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