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उन्नाव। विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ने के बावजूद समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। सभी सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा को बसपा और कांग्रेस के वोट बैंक खिसकने का फायदा मिला। पांच साल में जिले में सपा के वोट बैंक में औसतन 12 फीसदी मत का इजाफा हुआ। बसपा के मत प्रतिशत में 25 और कांग्रेस के मत प्रतिशत में 20 फीसदी कमी आई है। यही भाजपा की जीत का आधार बना।
बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र में पांच साल में भाजपा के मत प्रतिशत में 0.91 फीसदी से ज्यादा और सपा के मत प्रतिशत में 7.34 फीसदी इजाफा हुआ। बसपा और कांग्रेस के मत प्रतिशत में दस फीसदी की कमी ने भाजपा के लिए जीत की राह आसान बनाई।
सफीपुर सीट पर भाजपा और सपा के मत प्रतिशत में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। बसपा ने पांच साल में बीस फीसदी और कांग्रेस ने दस साल में (2017 में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं) करीब सात फीसदी मतदाता खोए। मोहान में भाजपा पांच साल में महज एक फीसदी मतदान प्रतिशत बढ़ा पाई और उसकी रिकार्ड जीत हुई। यहां उसे बसपा और कांग्रेस का जनाधार खिसकने का उसे बड़ा फायदा मिला।
उन्नाव सदर सीट में भाजपा के मत प्रतिशत में एक फीसदी कमी आई। कांग्रेस और बसपा के मुख्य मुकाबले में न होने का लाभ मिला और सपा के मत प्रतिशत में सात फीसदी की बढ़ोत्तरी भी उसके काम नहीं आई। भगवंतनगर में भाजपा के मतों में सात फीसदी इजाफा हुआ। यहां उसे कांग्रेस के बीस फीसदी और बसपा के दस फीसदी मत घटने का लाभ मिला। सपा अपना मत प्रतिशत नहीं बढ़ा पाई। सपा जिलाध्यक्ष धमेंद्र यादव ने बताया कि संगठन ने पार्टी को मजबूत करने में कोई कमी नहीं रखी। चुनाव में प्रत्याशियों के लिए दिन-रात एककर चुनाव लड़ाया गया। इसका लाभ भी मिला और पार्टी के वोटों में इजाफा भी हुआ। बसपा और कांग्रेस का अपेक्षा के अनुसार न लड़ने का नुकसान उठाना पड़ा। उनके अनुसार इन दोनों दलों को वोट करने वाले मतदाताओं ने इस बार भाजपा को वोट दिया है।
उन्नाव। विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ने के बावजूद समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। सभी सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा को बसपा और कांग्रेस के वोट बैंक खिसकने का फायदा मिला। पांच साल में जिले में सपा के वोट बैंक में औसतन 12 फीसदी मत का इजाफा हुआ। बसपा के मत प्रतिशत में 25 और कांग्रेस के मत प्रतिशत में 20 फीसदी कमी आई है। यही भाजपा की जीत का आधार बना।
बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र में पांच साल में भाजपा के मत प्रतिशत में 0.91 फीसदी से ज्यादा और सपा के मत प्रतिशत में 7.34 फीसदी इजाफा हुआ। बसपा और कांग्रेस के मत प्रतिशत में दस फीसदी की कमी ने भाजपा के लिए जीत की राह आसान बनाई।
सफीपुर सीट पर भाजपा और सपा के मत प्रतिशत में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। बसपा ने पांच साल में बीस फीसदी और कांग्रेस ने दस साल में (2017 में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं) करीब सात फीसदी मतदाता खोए। मोहान में भाजपा पांच साल में महज एक फीसदी मतदान प्रतिशत बढ़ा पाई और उसकी रिकार्ड जीत हुई। यहां उसे बसपा और कांग्रेस का जनाधार खिसकने का उसे बड़ा फायदा मिला।
उन्नाव सदर सीट में भाजपा के मत प्रतिशत में एक फीसदी कमी आई। कांग्रेस और बसपा के मुख्य मुकाबले में न होने का लाभ मिला और सपा के मत प्रतिशत में सात फीसदी की बढ़ोत्तरी भी उसके काम नहीं आई। भगवंतनगर में भाजपा के मतों में सात फीसदी इजाफा हुआ। यहां उसे कांग्रेस के बीस फीसदी और बसपा के दस फीसदी मत घटने का लाभ मिला। सपा अपना मत प्रतिशत नहीं बढ़ा पाई। सपा जिलाध्यक्ष धमेंद्र यादव ने बताया कि संगठन ने पार्टी को मजबूत करने में कोई कमी नहीं रखी। चुनाव में प्रत्याशियों के लिए दिन-रात एककर चुनाव लड़ाया गया। इसका लाभ भी मिला और पार्टी के वोटों में इजाफा भी हुआ। बसपा और कांग्रेस का अपेक्षा के अनुसार न लड़ने का नुकसान उठाना पड़ा। उनके अनुसार इन दोनों दलों को वोट करने वाले मतदाताओं ने इस बार भाजपा को वोट दिया है।
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