शहर से लेकर गांव तक, 24513 गरीबों को नसीब नहीं पक्की छत

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उन्नाव। जिले में 24,513 जरूरतमंदों को आवेदन के बाद भी पक्के आवास नहीं मिले हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन लंबित होने से पात्र भी कच्चे घर और टिनशेड के नीचे जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। बारिश के बाद खतरा और बढ़ गया है।
केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के बेघरों व कच्चे घरों में रहने वालों को पक्का आवास देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चला रखी है। योजना में तीन किस्तों में 1.20 लाख रुपये दिए जाते हैं। साथ ही 90 दिन की मनरेगा मजदूरी और शौचालय का पैसा अलग से दिया जाता है। एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में आवास के लिए बजट जारी कर दिया जाता है लेकिन इस बार छह माह बीतने के बाद भी बजट जारी नहीं हो सका है। इसके कारण करीब 17 हजार पात्रों का घर का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।
वहीं निकायों में रहने वाले ऐसे व्यक्ति जो भूमि होने के बाद भी झोपड़ी या कच्चे मकान में रह रहे हैं, ऐसे शहरी गरीब पात्रों को सरकार प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाने के लिए अनुदान देती है। एक आवास पर तीन किस्तों में लाभार्थियों को ढाई लाख की धनराशि दी जाती है। जिला नगरीय अभिकरण विभाग की ओर से पात्रों की सूची तैयार कराकर मुख्यालय भेजी जाती है।
वर्तमान में विभाग के पास 7513 आवेदन लंबित हैं। इनको अभी पक्के आवास का लाभ नहीं मिल सका है। परियोजना अधिकारी अरविंद सिंह का कहना है कि विभाग को 21,319 आवासों का लक्ष्य मिला था। जिसमें अब सिर्फ 513 लाभार्थी ही ऐसे हैं जिनको पहली किस्त देना शेष है। शेष 7000 नए आवेदन आए हैं। जिनकी अभी जांच कराई जानी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में 17000 लाभार्थियों की सूची तैयार है। केंद्र सरकार से बजट नहीं जारी हुआ है। लक्ष्य के सापेक्ष बजट जारी होते ही लाभार्थियों को पहली किस्त आवंटित कर दी जाएगी। – यशवंत कुमार सिंह, परियोजना निदेशक डीआरडीए।

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उन्नाव। जिले में 24,513 जरूरतमंदों को आवेदन के बाद भी पक्के आवास नहीं मिले हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन लंबित होने से पात्र भी कच्चे घर और टिनशेड के नीचे जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। बारिश के बाद खतरा और बढ़ गया है।

केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के बेघरों व कच्चे घरों में रहने वालों को पक्का आवास देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चला रखी है। योजना में तीन किस्तों में 1.20 लाख रुपये दिए जाते हैं। साथ ही 90 दिन की मनरेगा मजदूरी और शौचालय का पैसा अलग से दिया जाता है। एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में आवास के लिए बजट जारी कर दिया जाता है लेकिन इस बार छह माह बीतने के बाद भी बजट जारी नहीं हो सका है। इसके कारण करीब 17 हजार पात्रों का घर का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।

वहीं निकायों में रहने वाले ऐसे व्यक्ति जो भूमि होने के बाद भी झोपड़ी या कच्चे मकान में रह रहे हैं, ऐसे शहरी गरीब पात्रों को सरकार प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाने के लिए अनुदान देती है। एक आवास पर तीन किस्तों में लाभार्थियों को ढाई लाख की धनराशि दी जाती है। जिला नगरीय अभिकरण विभाग की ओर से पात्रों की सूची तैयार कराकर मुख्यालय भेजी जाती है।

वर्तमान में विभाग के पास 7513 आवेदन लंबित हैं। इनको अभी पक्के आवास का लाभ नहीं मिल सका है। परियोजना अधिकारी अरविंद सिंह का कहना है कि विभाग को 21,319 आवासों का लक्ष्य मिला था। जिसमें अब सिर्फ 513 लाभार्थी ही ऐसे हैं जिनको पहली किस्त देना शेष है। शेष 7000 नए आवेदन आए हैं। जिनकी अभी जांच कराई जानी है।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में 17000 लाभार्थियों की सूची तैयार है। केंद्र सरकार से बजट नहीं जारी हुआ है। लक्ष्य के सापेक्ष बजट जारी होते ही लाभार्थियों को पहली किस्त आवंटित कर दी जाएगी। – यशवंत कुमार सिंह, परियोजना निदेशक डीआरडीए।

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