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महाराष्ट्र सरकार में एक नई मुश्किल सामने आती दिख रही है. खबर है कि मंत्री से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे गुट के विधायक अपने विभागों से खुश नहीं हैं. हालांकि, विधायकों ने इससे इनकार किया है। इधर, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने विधायकों के विभागों को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. शनिवार को मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिंदे गुट के गिने-चुने विधायक ही विभागों से खुश हैं. सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर विधायक ‘डिमोशन’ से खफा हैं। बताया गया है कि दादा भूसे और संदीपनराव भुमरे ने सरकार में अपने विभागों को लेकर शिकायत की है. इसके अलावा सिल्लोड विधायक अब्दुल सत्तार को कृषि मंत्रालय दिए जाने से कुछ सदस्य नाराज भी बताए जा रहे हैं।
एक ओर भूमरे को रोजगार गारंटी योजना व बागवानी विभाग दिया गया है। वहीं ठाकरे सरकार में कृषि मंत्री रहे भूसे को बंदरगाह और खनन विभाग दिया गया है. इसके अलावा शिंदे गुट के विधायक भी बीजेपी को बड़ा मंत्रालय मिलने से नाराज हैं. वित्त, राजस्व, ग्रामीण विकास, पर्यावरण, पर्यटन जैसे विभाग भाजपा के खाते में आए हैं.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने भी मंत्रियों को विभागों के बंटवारे पर सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने शिंदे गुट के विधायकों का मजाक उड़ाया है. लेख में दावा किया गया कि भाजपा ने सभी बड़े मंत्रालयों को अपने हिस्से में ले लिया है। हालांकि, भुमरे और भुसे ने किसी भी तरह की नाराजगी से इनकार किया है। वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने सामना में की गई आलोचना पर सवाल उठाया है।
इधर, सीएम शिंदे कहते हैं, “विभाग जरूरी नहीं हैं, काम और जिम्मेदारी जरूरी है। उन्हें आवंटित विभागों के साथ न्याय करना चाहिए। एक मंत्री न केवल अपने विभाग का मुखिया होता है बल्कि पूरे राज्य का मुखिया होता है। यह है राज्य के पूर्ण विकास और प्रगति के लिए काम करने की उनकी जिम्मेदारी है।”
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