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यह कदम शिवसेना के स्थापना दिवस से ठीक पहले आया है और वरिष्ठ नेता शिशिर शिंदे के इस्तीफे के बाद आया है। कयांडे ने पार्टी कार्यकर्ताओं के पलायन को लेकर ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के भीतर आत्मनिरीक्षण की कमी पर निराशा व्यक्त की।
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