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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर एडीजे सप्तम संजय चौधरी की अदालत में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हुई। अदालत ने वादी पर केस की प्रति प्रतिवादी पक्ष को न देने पर 500 रुपये का जुर्माना लगा दिया। केस की प्रति न मिलने की शिकायत शाही ईदगाह पक्ष ने की थी।
जिसके बाद अदालत ने वादी को दावे की कॉपी दिए जाने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के अधिवक्ता द्वारा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन के लिए जिला जज की अदालत में दावा किया गया है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तिथि तय की है।
अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने किया है दावा
अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया है। कहा है कि शाही ईदगाह उसी जमीन पर मौजूद है। यह दावा सीपीसी की धारा 192 के तहत किया गया। जिसकी सुनवाई के लिए जिला जज की अदालत की संबद्ध कोर्ट एडीजे सप्तम में सुनवाई चल रही है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई
26 अगस्त को अधिवक्ता ने अपने कार्य क्षेत्र का हवाला देते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करने की मांग अदालत से की थी। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। बुधवार को शाही ईदगाह के सचिव तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि उन्हें अभी इस दावे की प्रति प्राप्त नहीं हुई है।
अदालत ने वादी पर प्रतिवादी को दावे की प्रति नहीं दिए जाने के चलते 500 रुपये का जुर्माना लगाया है। अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने बताया कि वह सभी प्रतिवादियों को जल्द ही दावे की प्रति उपलब्ध कराएंगे। अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।
विस्तार
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर एडीजे सप्तम संजय चौधरी की अदालत में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हुई। अदालत ने वादी पर केस की प्रति प्रतिवादी पक्ष को न देने पर 500 रुपये का जुर्माना लगा दिया। केस की प्रति न मिलने की शिकायत शाही ईदगाह पक्ष ने की थी।
जिसके बाद अदालत ने वादी को दावे की कॉपी दिए जाने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के अधिवक्ता द्वारा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन के लिए जिला जज की अदालत में दावा किया गया है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तिथि तय की है।
अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने किया है दावा
अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया है। कहा है कि शाही ईदगाह उसी जमीन पर मौजूद है। यह दावा सीपीसी की धारा 192 के तहत किया गया। जिसकी सुनवाई के लिए जिला जज की अदालत की संबद्ध कोर्ट एडीजे सप्तम में सुनवाई चल रही है।
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