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संकट मोचन संगीत समारोह
– फोटो : अमर उजाला
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ज्ञानगुण गंधर्वजेता यानी संगीत में गंधर्वों को भी पछाड़ने वाले हनुमत लला के दरबार में सात रागिनियां जब आकार लेती हैं तो भक्ति का रस कण-कण में बिखर जाता है। कहने को तो संकटमोचन संगीत समारोह का यह शताब्दी वर्ष है, लेकिन इसकी शुरुआत की बात करें तो गोस्वामी तुलसीदास आयोजन के आधार स्तंभ हैं, ऐसे में संगीत का यह अनूठा आयोजन 500 साल से भी अधिक पुराना है।
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने बताया कि कहते हैं कि आज जो संकटमोचन संगीत समारोह का स्वरूप आप देख रहे हैं, यह पिछले 100 वर्षों का व्यवस्थित रूप है। अध्ययन करें तो पता चलता है कि आयोजन की आधारशिला गोस्वामी तुलसीदास ने रखी थी। वेद, पुराणों के साथ ही संगीत और मल्लविद्या के भी मर्मज्ञ थे। विनय पत्रिका में जितने भी पद हैं उसमें रागिनियों का वर्णन है। कौन सा पद कौन सा राग किस काल में गाया जाता है, इसका भी उल्लेख मिलता है। हमारे यहां राग और भोग से भगवान की सेवा का विधान है। भगवान को शाम को संगीत का श्रवण कराया जाता है। उस दौर में आयोजन इतने व्यवस्थित नहीं थे और प्रचार-प्रसार के साधन भी नहीं थे। गोस्वामी जी ने ही अपने ईष्ट के लिए इस संगीत यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने हनुमान चालीसा में भी लिखा है कि बिना हनुमान जी को प्रसन्न किए राम तक नहीं पहुंचा जा सकता है। तो यहां आने वाला हर साधक राम तक जाने के लिए हनुमान को प्रसन्न करने के लिए कला की श्रद्धा अर्पित करता है।
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