[ad_1]
नवजात के साथ महिला
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मैं दर्द से पूरी तरह से टूट गई थी। ट्रेन में ग्वालियर से झांसी तक 100 किमी का सफर बमुश्किल पूरा किया। झांसी में प्लेटफार्म नंबर तीन पर उतरते ही बेसुध होकर गिर पड़ी। सारे कपड़े खून से सन गए थे। पति ने आसपास लोगों से मदद मांगी और 20 मिनट में आई डॉक्टरों की टीम ने प्लेटफार्म पर ही मेरा प्रसव करा दिया।
अपने बच्चे की किलकारी सुनकर और उसको देखकर सारे दर्द दूर हो गए। मैं इसे ताउम्र नहीं भूल पाऊंगी। कुछ यही कहना है बुधवार को झांसी के रेलवे स्टेशन पर बच्चे को जन्म देने वाली दमोह की संगीता का। खून की कमी होने के चलते संगीता मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोगों की मदद न मिलती तो पता नहीं क्या होता। मेडिकल कॉलेज में संगीता और उनका बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
संगीता बताती हैं कि वे मूल रूप से मध्यप्रदेश के दमोह जिले के मोहरा गांव की रहने वाली हैं। उनके पति राघवेंद्र राजपूत गुड़गांव के सेक्टर 51 में एक प्राइवेट कॉलोनी में सिक्योरिटी गार्ड हैं। एक साल पहले ही उनकी शादी हुई है। संगीता बताती हैं कि डॉक्टर ने 20 अप्रैल को डिलीवरी तारीख बताई थी। गुड़गांव में हम पति-पत्नी अकेले रहते हैं, तो सोचा कि घर पर ही डिलीवरी कराएंगे।
चार अप्रैल को वह लोग दमोह जाने के लिए दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से एमपी संपर्क क्रांति के (एस-5) कोच में बैठे। संगीता का कहना है उस समय तक उसे कोई दिक्कत नहीं थी। बिना किसी सहारे के वह स्टेशन तक पहुंची और ट्रेन में बैठी। सफर काफी खुशनुमा था। संगीता का कहना है ट्रेन जब आगरा स्टेशन को छोड़कर आगे निकली तो उनका जी-मचलना शुरू हुआ।
[ad_2]
Source link