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उन्नाव। हसनगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत पमेधिया में अधूरे पंचायत भवन को कागजों पर पूरा दिखाकर 16.61 लाख रुपये निकाल लिए गए। जांच में पता चला कि पंचायत भवन में न तो दरवाजे लगाए गए और न खिड़कियां। अन्य कई काम भी नहीं हुए। इसका खुलासा होने के बाद डीपीआरओ ने प्रधान व सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
एडीओ पंचायत हसनगंज ने पमेधिया जाकर पंचायत भवन का सत्यापन किया था। इस दौरान पता चला कि पंचायत भवन में आठ दरवाजे हैं लेकिन पल्ले किसी में नहीं लगाए गए। भवन में न खिड़की लगी हैं और न वायरिंग हुई है।
शौचालय और हॉल की दीवार में टाइल्स नहीं लगे मिले। पेंटिंग भी नहीं थी। अभिलेखीय जांच में ग्राम निधि खाते से पंचायत निर्माण के लिए 4,11,113 रुपये और मनरेगा से 12,50,000 रुपये सहित कुल 16,61,113 रुपये व्यय दिखाया गया।
डीपीआरओ को भेजी गई रिपोर्ट में एडीओ पंचायत ने पंचायत भवन निर्माण के नाम पर निकाली गई धनराशि के दुरुपयोग/गबन का प्रधान व सचिव को संयुक्त रूप से दोषी बताया। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिला पंचायतराज अधिकारी ने प्रधान और सचिव को नोटिस जारी किया है।
एडीओ पंचायत हसनगंज की जांच रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट में पमेधिया ग्राम पंचायत में 16.61 लाख रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला प्रकाश में आया है। अधूरे पंचायत भवन को पूरा दिखाकर पैसा निकाल लिया गया जबकि मौके पर काफी काम शेष है। इसी आधार पर प्रधान और सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर रिपोर्ट दर्ज कराकर रिकवरी कराई जाएगी। – डॉ. निरीश कुमार साहू, जिला पंचायतराज अधिकारी।
पाटन में घालमेल का मामला फिर उठा, डीएम को दिया पत्र
पाटन। जिलाधिकारी के स्थानांतरण के बाद एक बार फिर ग्राम पंचायत पाटन के पूर्व प्रधान पर लाखों के गबन का मामला जोर पकड़ने लगा है।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजकुमार चौधरी, सुनील कुमार पटेल, आकाश, अभिषेक कुमार, बुद्धिप्रकाश, रमेश चंद्र, आशीष कुमार व प्रदीप कुमार ने नवागत डीएम को पत्र देकर बताया कि पूर्व प्रधान ने पत्नी के नाम फर्म बनाकर विभिन्न कार्यों के लिए 23.42 लाख रुपये निकाले थे। पंचायत भवन की मरम्मत व अन्य कार्य के लिए 2.77 लाख रुपये निकाले गए थे।
खड़ंजा निर्माण के नाम पर 73,750 रुपये निकाले गए जबकि निर्माण हुआ ही नहीं। इसी प्रकार अन्य कई विकास कार्यों के नाम पर पंचायत सचिव के साथ मिलकर लाखों के फर्जी भुगतान करवाए गए। सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराने के निर्देश दिए थे। आरोप लगाया कि टीम ने गलत रिपोर्ट दी। पूर्व प्रमुख ने डीएम को पत्र भेजकर पारदर्शी तरीके से जांच कराने की मांग की। साथ ही मामले का शिकायतीपत्र मुख्यमंत्री को भी भेजा है।
उन्नाव। हसनगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत पमेधिया में अधूरे पंचायत भवन को कागजों पर पूरा दिखाकर 16.61 लाख रुपये निकाल लिए गए। जांच में पता चला कि पंचायत भवन में न तो दरवाजे लगाए गए और न खिड़कियां। अन्य कई काम भी नहीं हुए। इसका खुलासा होने के बाद डीपीआरओ ने प्रधान व सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
एडीओ पंचायत हसनगंज ने पमेधिया जाकर पंचायत भवन का सत्यापन किया था। इस दौरान पता चला कि पंचायत भवन में आठ दरवाजे हैं लेकिन पल्ले किसी में नहीं लगाए गए। भवन में न खिड़की लगी हैं और न वायरिंग हुई है।
शौचालय और हॉल की दीवार में टाइल्स नहीं लगे मिले। पेंटिंग भी नहीं थी। अभिलेखीय जांच में ग्राम निधि खाते से पंचायत निर्माण के लिए 4,11,113 रुपये और मनरेगा से 12,50,000 रुपये सहित कुल 16,61,113 रुपये व्यय दिखाया गया।
डीपीआरओ को भेजी गई रिपोर्ट में एडीओ पंचायत ने पंचायत भवन निर्माण के नाम पर निकाली गई धनराशि के दुरुपयोग/गबन का प्रधान व सचिव को संयुक्त रूप से दोषी बताया। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिला पंचायतराज अधिकारी ने प्रधान और सचिव को नोटिस जारी किया है।
एडीओ पंचायत हसनगंज की जांच रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट में पमेधिया ग्राम पंचायत में 16.61 लाख रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला प्रकाश में आया है। अधूरे पंचायत भवन को पूरा दिखाकर पैसा निकाल लिया गया जबकि मौके पर काफी काम शेष है। इसी आधार पर प्रधान और सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर रिपोर्ट दर्ज कराकर रिकवरी कराई जाएगी। – डॉ. निरीश कुमार साहू, जिला पंचायतराज अधिकारी।
पाटन में घालमेल का मामला फिर उठा, डीएम को दिया पत्र
पाटन। जिलाधिकारी के स्थानांतरण के बाद एक बार फिर ग्राम पंचायत पाटन के पूर्व प्रधान पर लाखों के गबन का मामला जोर पकड़ने लगा है।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजकुमार चौधरी, सुनील कुमार पटेल, आकाश, अभिषेक कुमार, बुद्धिप्रकाश, रमेश चंद्र, आशीष कुमार व प्रदीप कुमार ने नवागत डीएम को पत्र देकर बताया कि पूर्व प्रधान ने पत्नी के नाम फर्म बनाकर विभिन्न कार्यों के लिए 23.42 लाख रुपये निकाले थे। पंचायत भवन की मरम्मत व अन्य कार्य के लिए 2.77 लाख रुपये निकाले गए थे।
खड़ंजा निर्माण के नाम पर 73,750 रुपये निकाले गए जबकि निर्माण हुआ ही नहीं। इसी प्रकार अन्य कई विकास कार्यों के नाम पर पंचायत सचिव के साथ मिलकर लाखों के फर्जी भुगतान करवाए गए। सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराने के निर्देश दिए थे। आरोप लगाया कि टीम ने गलत रिपोर्ट दी। पूर्व प्रमुख ने डीएम को पत्र भेजकर पारदर्शी तरीके से जांच कराने की मांग की। साथ ही मामले का शिकायतीपत्र मुख्यमंत्री को भी भेजा है।
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