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हालांकि कई के परिजनों ने दूसरे स्थानों पर भी मकान बना लिए हैं, लेकिन युवक आपस में मिलते जुलते रहते थे। शनिवार को हुए हादसे में पांचों की एक साथ मौत पर सभी उनकी दोस्ती की चर्चाएं करते रहे। लोगों को कहते सुना गया कि पांचों मरते दम तक साथ रहे।
पैरा मेडिकल छात्र था शमशुल
हादसे का शिकार हुआ गुफरान और शमशुल हाशमी का का परिवार वर्तमान में कर्वी के भैरो पागा मोहल्ला में रहता है। गुफरान के परिवार के लोग टायर में रबडिंग का काम करते हैं। गुफरान की मौत से पिता मुन्ना, मां मुन्नी और भाई रस्सनू व हाजी इलियास का रोकर बुरा हाल रहा।
उधर, सरकारी स्कूल के शिक्षक जैनुल आबदीन का बेटा शमशुल बांदा में पैरा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। वह चार भाइयों मेें सबसे छोटा था। दो भाई जफर हाशमी व मिनहाज भैरोपागा में रहते हैं। तीसरा मुशर्रफ कजियाना मोहल्ले में रहता है। शमशुल रिश्ते में दूल्हे आफताब का भांजा था।
कोई बताए मौतों की खबर, कोई नहीं जुटा सका हिम्मत
चित्रकूट। घर के सभी पुरुष बरात गए थे। घर पर सिर्फ महिलाएं बची थीं। हादसा हुआ और सूचना मोहल्ले के लोगों तक पहुंची तो कोई भी मौतों का समाचार देने की हिम्मत नहीं जुटा सका। इस वजह से मृतकों के घर में बहुत देर तक किसी को कुछ पता ही नहीं चला। पूरे मोहल्ले का माहौल बदलता देख महिलाएं सनकीं तब एक एक कर सभी को हादसे की जानकारी दी गई। देखते ही देखते कई घरों से चीखें उठने लगीं।
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