सावधान : कहीं आपका बच्चा भी तो अनफिट वाहन से नहीं जा रहा स्कूल, ऐसे चेक करें वाहन का फिटनेस

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स्कूल बस की सांकेतिक फोटो।

स्कूल बस की सांकेतिक फोटो।
– फोटो : सोशल मीडिया।

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प्रयागराज में सैदाबाद के पास हाईवे पर जौनपुर की स्कूल बस पलटने के बाद वाहनों के फिटनेस को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर परिवहन विभाग की टीम ने स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाले और अन्य छोटे वाहनों की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। इससे की स्कूलों की मनमानी सामने आ जाएगी। नियम और कानून को ताक पर रखकर नौनिहालों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले स्कूल संचालकों पर जल्द कार्रवाई की जा सकती है। 

प्रयागराज में परिवहन विभाग की टीम ने अनफिट वाहनों की खोजबीन शुरू कर दी है। सबसे पहले स्कूलों को ओर से बच्चों को लाने के लिए लगाए गए वाहनों की पड़ताल की जा रही है। अभिभावक भी परिवहन विभाग के एप के माध्यम से स्कूल बस की स्थित को चेक कर सकते हैं कि बस फिट है या अनफिट है। 

सैदाबाद में जौनपुरकी स्कूल बस पलटने से दो बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो दर्जन से अधिक बच्चे घायल हो गए हैं। इनमे कई की हालत नाजुक बनी हुई है। इन्हें स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल प्रयागराज में भर्ती किया गया है। शनिवार देर शाम अस्पताल पहुंचे परिजन अपने बच्चों को इस अवस्था देख चीख पुकार करने लगे। इससे माहौल गमगीन हो गया। कई बच्चों को काफी गंभीर चोट आई है। हालांकि जिलाधिकारी ने समुचित इलाज का प्रबंध करने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया है। 

कैसे चेक करें वाहनों की कंडीशन
परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट parivahan.gov.in पर जाकर वाहन की वैधता और फिटनेस आदि चेक कर सकते हैं। 
 

प्राइवेट वाहनों में लगेज की तरह भरे जाते हैं स्कूली बच्चे

सैदाबाद के भेस्की गांव के पास शनिवार को हुई बस दुर्घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है। इस दुर्घटना में दो बच्चों की मौत हो गई और 73 लोग घायल हो गए। इस हादसे ने एक फिर से बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने वाले वाहनों की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिए हैं। क्योंकि जिस बस में बच्चे सवार थे, वह भदोही की 40 सीटर प्राइवेट बस थी। जिसमें 83 बच्चे बैठाए गए थे। अधिकतर प्राइवेट विद्यालयों ने अपने यहां वाहनों की व्यवस्था नहीं कर रखी है। इसके अलावा जिन विद्यालयों में स्कूल वाहन लगाए गए हैं, उनकी फीस ज्यादा है। ऐसे में अभिभावक खर्च बचाने के उद्देश्य से प्राइवेट वाहनों का चयन करते हैं। इनमें ज्यादातर वैन होती हैं। आठ सीटर वैन में प्रति बच्चे के हिसाब से 1000 रुपये महीने का किराया लिया जाता है। अधिक कमाई के फेर में इन वाहनों में 15 बच्चों को बिठाया जाता है। 

स्कूल वाहनों में गैस किट प्रतिबंधित 
स्कूल वाहनों में गैस किट लगाने पर प्रतिबंध है, लेकिन स्कूलों में लगे अधिकतर वाहनों में गैस किट का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में बच्चों की जिंदगी आए दिन दांव पर लगाई जाती है।

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1879 में 329 वाहनों की फिटनेस फेल
इन प्राइवेट वाहनों के अलावा स्कूली वाहनों का भी हाल कुछ ठीक नहीं है। 1879 कुल स्कूली वाहन आरटीओ कार्यालय में दर्ज हैं। जिसमें से 329 वाहनों की फिटनेस फेल हो चुकी है।

 

क्षमता अधिक यात्री बैठाने वाली दो बसें सीज
क्षमता से अधिक यात्री बैठाने वाली दो बसों को एआरटीओ भूपेश गुप्ता व उनकी टीम ने सीज किया। इंदौर से प्रयागराज 45 व चाकघाट से प्रयागराज आ रही 50 सीटर बस में 90 यात्री सवार थे। इन दोनों बसों को लेप्रेसी चौराहे से नया पुल चौराहे तक चलाए गए अभियान के दौरान सीज करके जार्जटाउन थाने में बंद किया गया है। इसके अलावा रिफलेक्टर न लगाने, परमिट नियमों का उल्लंघन करने व टैक्स जमा न करने के मामले में 17 अन्य बसों का चालान किया गया है। 

जागरूक अभिभावक

मैनें अपने बच्चे को स्कूल भेजने के लिए एक प्राइवेट वाहन तय किया, लेकिन जब मैंने देखा कि उस वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाया गया है तो मैंने निर्णय लिया कि अब मैं अपने बच्चे को खुद स्कूल छोड़ने जाऊंगा। – राकेश यादव, हिम्मतगंज
 

मेरा मानना है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर पहले अभिभावकों को जागरूक होना पड़ेगा। बच्चे के लिए सुरक्षित साधन की अगर व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो स्वयं बच्चे को स्कूल छोड़ने व लेने जाना चाहिए। – उज्जवल सिंह, राजरूपपुर

 

परिवर्तन टीम एक विशेष अभियान के तहत ऐसे वाहनों पर विशेष निगाह रखेगी जो क्षमता से अधिक बच्चों को बिठा रहे हैं या फिर जिनकी फिटनेस फेल हो चुकी है। इसके अलावा उन अभिभावकों को भी जागरूक करने के लिए एक अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है, जो अपने बच्चों को प्राइवेट वाहनों से विद्यालय भेज रहे हैं। – भूपेश गुप्ता, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन)

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प्रयागराज में सैदाबाद के पास हाईवे पर जौनपुर की स्कूल बस पलटने के बाद वाहनों के फिटनेस को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जिला प्रशासन के निर्देश पर परिवहन विभाग की टीम ने स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाले और अन्य छोटे वाहनों की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। इससे की स्कूलों की मनमानी सामने आ जाएगी। नियम और कानून को ताक पर रखकर नौनिहालों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले स्कूल संचालकों पर जल्द कार्रवाई की जा सकती है। 

प्रयागराज में परिवहन विभाग की टीम ने अनफिट वाहनों की खोजबीन शुरू कर दी है। सबसे पहले स्कूलों को ओर से बच्चों को लाने के लिए लगाए गए वाहनों की पड़ताल की जा रही है। अभिभावक भी परिवहन विभाग के एप के माध्यम से स्कूल बस की स्थित को चेक कर सकते हैं कि बस फिट है या अनफिट है। 



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