सिख विरोधी दंगा: सेल्स टैक्स का अफसर दंगों में था शामिल, एसआईटी ने किया बेनकाब

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सार

किदवई नगर व नौबस्ता इलाकों में भी बड़े पैमाने पर दंगा हुआ था। कई लोगों की हत्या की गई थी। सूत्रों के मुताबिक गुड्डू निगम नाम के शख्स की इसमें बड़ी भूमिका रही थी। एसआईटी ने उसका सत्यापन कर लिया है। वर्तमान में वह बांदा में रह रहा है। उसने पूरा गिरोह बनाकर दंगे को अंजाम दिया था। उसके साथ के अन्य आठ-दस आरोपियों की भी पहचान कर ली गई है।

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सेल्स टैक्स में तैनात रहा अधिकारी सीपी सिंह (अब सेवानिवृत्त) सिख विरोधी दंगों में शामिल रहा था। अब एसआईटी ने 38 साल बाद उसको बेनकाब किया है। लूट-हत्या केस में वह आरोपी है। गवाहों के अलावा तमाम अहम साक्ष्य उसके खिलाफ हैं। दंगाइयों की सूची में उसका नाम शीर्ष में है।

तब वह अपने रसूख की वजह से बच गया था लेकिन इस बार शिकंजा कसना तय है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में कानपुर में 127 लोगों की हत्या की गई थी। केस दर्ज हुए थे लेकिन सब रफादफा कर दिए गए थे।

दोषी आजाद घूमते रहे। पिछले तीन वर्षों से शासन के आदेश पर गठित एसआईटी शहर में दर्ज किए जघन्य केसों की विवेचना कर रही है। 11 केसों की विवेचना पूरी हो चुकी है। इस दौरान 63 आरोपियों का सत्यापन कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इसमें पनकी निवासी सीपी सिंह का भी नाम शामिल है।

दंगों में उसकी बड़ी भूमिका थी। वह तबके सेल्स टैक्स में अधिकारी भी रहा है। लूट व हत्या के केस में वह आरोपी पाया गया है। एसआईटी की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। उसी आधार पर उसको आरोपी बनाया है। जिसमें सीपी सिंह का नाम शामिल है वह पनकी थाने का मुकदमा नंबर 188/84 है।
एक नेता का करीबी था, दंगाईयों के गुट का किया था नेतृत्व
सीपी सिंह एक कांग्रेसी नेता का बेहद करीबी था। उनका वह प्रतिनिधि भी था। सरकारी गनर भी उसको मिले हुए थे। वह रसूख के साथ रौब गांठता था। एक तरह से उसने दबदबा बना रखा था। जब दंगा भड़का तो उसने नेता की शह पर लूटपाट की। सीधेतौर पर वह दंगों में शामिल रहा। यही नहीं वह दंगाईयों के गुट का नेतृत्व कर रहा था। ऐसा तथ्य एसआईटी की जांच में सामने आया है। सबसे अधिक लूटपाट उसने मचाई थी। तब इसके केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी। अब उस पर शिकंजा कसना तय है।
एक और नाम का खुलासा, बांदा में लिए है पनाह
किदवई नगर व नौबस्ता इलाकों में भी बड़े पैमाने पर दंगा हुआ था। कई लोगों की हत्या की गई थी। सूत्रों के मुताबिक गुड्डू निगम नाम के शख्स की इसमें बड़ी भूमिका रही थी। एसआईटी ने उसका सत्यापन कर लिया है। वर्तमान में वह बांदा में रह रहा है। उसने पूरा गिरोह बनाकर दंगे को अंजाम दिया था। उसके साथ के अन्य आठ-दस आरोपियों की भी पहचान कर ली गई है।

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मंत्री के भतीजे के नाम का हो चुका है खुलासा 
दिवंगत पूर्व राज्यमंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाहा का भतीजा राघवेंद्र कुशवाहा भी नरसंहार में शामिल था। इसके नाम का खुलासा दो साल पहले अमर उजाला ने किया था। राघवेंद्र के अलावा दंगों में शामिल नामचीन हस्तियों में सीपी सिंह है। एक दो अन्य लोग भी हैं। जिसमें पार्षद व कुछ वकील हैं। जल्द उनके नाम भी सामने आएंगे।
सिख विरोधी दंगा एक नजर में
– कानपुर में 127 लोगों को मार दिया गया था
– 1255 मुकदमें दर्ज हुए थे
– 39 मामले हत्या कर डकैती(धारा 396) के दर्ज हुए थे
– 11 में चार्जशीट दाखिल हुई थी, अन्य में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई थी
– एसआईटी ने एफआर केसों में से 11 की विवेचना पूरी कर ली है
– तीन अन्य केसों की विवेचना कर रही है
– अब तक 83 आरोपियों का सत्यापन किया
– 63 आरोपी जीवित हैं, 20 की मौत हो चुकी है

विस्तार

सेल्स टैक्स में तैनात रहा अधिकारी सीपी सिंह (अब सेवानिवृत्त) सिख विरोधी दंगों में शामिल रहा था। अब एसआईटी ने 38 साल बाद उसको बेनकाब किया है। लूट-हत्या केस में वह आरोपी है। गवाहों के अलावा तमाम अहम साक्ष्य उसके खिलाफ हैं। दंगाइयों की सूची में उसका नाम शीर्ष में है।

तब वह अपने रसूख की वजह से बच गया था लेकिन इस बार शिकंजा कसना तय है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों में कानपुर में 127 लोगों की हत्या की गई थी। केस दर्ज हुए थे लेकिन सब रफादफा कर दिए गए थे।

दोषी आजाद घूमते रहे। पिछले तीन वर्षों से शासन के आदेश पर गठित एसआईटी शहर में दर्ज किए जघन्य केसों की विवेचना कर रही है। 11 केसों की विवेचना पूरी हो चुकी है। इस दौरान 63 आरोपियों का सत्यापन कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इसमें पनकी निवासी सीपी सिंह का भी नाम शामिल है।

दंगों में उसकी बड़ी भूमिका थी। वह तबके सेल्स टैक्स में अधिकारी भी रहा है। लूट व हत्या के केस में वह आरोपी पाया गया है। एसआईटी की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। उसी आधार पर उसको आरोपी बनाया है। जिसमें सीपी सिंह का नाम शामिल है वह पनकी थाने का मुकदमा नंबर 188/84 है।

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