सुप्रीम कोर्ट ने धर्म, लिंग-तटस्थ समान कानून बनाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया

0
52

[ad_1]

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को धर्म और लिंग-तटस्थ को फ्रेम करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया समान कानून विवाह, तलाक, विरासत और गुजारा भत्ता जैसे विषयों को नियंत्रित करने वाले, यह कहते हुए कि यह संसद को “कानून बनाने” के लिए निर्देशित नहीं कर सकता है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की दलीलों पर ध्यान दिया कि यह मुद्दा विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसलिए याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिकाओं सहित याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा, “यह मुद्दा विशेष रूप से विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और संसद (कानून बनाने के लिए) को परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है।”

यह भी पढ़ें -  आसमानी आफत का शिकार हुआ 100 साल पुराना हनुमान मंदिर

पीठ कई तरह के मुद्दों पर एक समान धर्म और लिंग-तटस्थ कानून बनाने के लिए सरकार को निर्देश देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

उपाध्याय ने तलाक, गोद लेने, संरक्षकता, उत्तराधिकार, विरासत, रखरखाव, विवाह की आयु और गुजारा भत्ता के लिए धर्म और लिंग-तटस्थ समान कानूनों को बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here