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सफीपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन के तहत बनाई गईं चार पानी की टंकियां सालों से बंद हैं। इसके कारण करीब 100 गांवों के सवा लाख लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। मरम्मत के लिए जलनिगम के अफसर पंचायत विभाग पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। जबकि पंचायत विभाग के अधिकारी इस मामले में कोई पत्र न मिलने की बात कह रहे हैं।
वर्ष 1994 में विकासखंड की सफीपुर ग्रामीण, ओसिया, मुस्तफाबाद, सकहन राजपूतान में पानी की टंकियों का निर्माण कराया गया था। टंकियों के अलावा कर्मचारी आवास, दो ट्यूबवेल और आसपास के मजरों में सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाई गई थी। कुछ ही समय बाद पाइप लाइन में लीकेज हो गया और जलापूर्ति ठप हो गई।
ग्राम मुस्तफाबाद टैंक पर बने दो ट्यूवबेल में एक की मोटर जल गई। वहीं दूसरा भी कुछ समय बाद खराब हो गया। मोटर वापस नहीं आई। हाल ये है कि 15 गांवों की 30 हजार आबादी पेयजल से वंचित है। इसी प्रकार सकहन राजपूतान टैंक की मोटर भी जलने से आपूर्ति बंद हो गई। ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने मोटर तो बनवा दी लेकिन पाइप लाइन ध्वस्त होने से सप्लाई बहाल नहीं हो सकी। इस क्षेत्र के भी 12 गांवों की 26 हजार आबादी शुद्ध पानी के लिए तरस रही है।
ग्राम पंचायत ओसिया के मजरा नैनीखेड़ा में बने टैंक से भी मोटर जलने से सप्लाई ठप हो गई। यहां 18 गांवों की 30 हजार से अधिक आबादी पानी की समस्या से जूझ रही है। सफीपुर ग्रामीण स्थित टैंक का भी ऐसा ही हाल है। ग्राम खादिमअलीखेड़ा, जगदीशखेड़ा, मोहीखेड़ा, झब्बूखेड़ा, नौबतपुर, जटपुरवा, फतेहपुर बह्मणा सहित 15 गांवों की 35 हजार आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है।
जलनिगम और पंचायतराज विभाग में फंसा है पेंच
पेयजल संकट पर जलनिगम के अधिकारियों का कहना है कि व्यवस्था बदल गई है। टैंक के रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायतों के हवाले कर 14वें वित्त से राशि दिए जाने के निर्देश हैं। जलनिगम के पास कोई बजट न होने पर मोटर बनवाने से लेकर लीकेज बंद कराने तक के कार्य प्रभावित हैं। वहीं संबंधित ग्राम प्रधानों के अनुसार उन्हें न तो कोई स्पष्ट निर्देश मिले हैं और न ही धनराशि जारी हुई है। पेयजल व्यवस्था जलनिगम और पंचायत विभाग के बीच उलझ गई है। आम जनता की सुविधा के लिए करोड़ों खर्च कर बनाए गए टैंक सफेद हाथी बने हुए हैं।
विधायक बंबा लाल दिवाकर ने बताया कि लाइनें चोक होने की जानकारी मिली है। विभागों में समन्वय कराकर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।
सफीपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन के तहत बनाई गईं चार पानी की टंकियां सालों से बंद हैं। इसके कारण करीब 100 गांवों के सवा लाख लोग शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। मरम्मत के लिए जलनिगम के अफसर पंचायत विभाग पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। जबकि पंचायत विभाग के अधिकारी इस मामले में कोई पत्र न मिलने की बात कह रहे हैं।
वर्ष 1994 में विकासखंड की सफीपुर ग्रामीण, ओसिया, मुस्तफाबाद, सकहन राजपूतान में पानी की टंकियों का निर्माण कराया गया था। टंकियों के अलावा कर्मचारी आवास, दो ट्यूबवेल और आसपास के मजरों में सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाई गई थी। कुछ ही समय बाद पाइप लाइन में लीकेज हो गया और जलापूर्ति ठप हो गई।
ग्राम मुस्तफाबाद टैंक पर बने दो ट्यूवबेल में एक की मोटर जल गई। वहीं दूसरा भी कुछ समय बाद खराब हो गया। मोटर वापस नहीं आई। हाल ये है कि 15 गांवों की 30 हजार आबादी पेयजल से वंचित है। इसी प्रकार सकहन राजपूतान टैंक की मोटर भी जलने से आपूर्ति बंद हो गई। ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने मोटर तो बनवा दी लेकिन पाइप लाइन ध्वस्त होने से सप्लाई बहाल नहीं हो सकी। इस क्षेत्र के भी 12 गांवों की 26 हजार आबादी शुद्ध पानी के लिए तरस रही है।
ग्राम पंचायत ओसिया के मजरा नैनीखेड़ा में बने टैंक से भी मोटर जलने से सप्लाई ठप हो गई। यहां 18 गांवों की 30 हजार से अधिक आबादी पानी की समस्या से जूझ रही है। सफीपुर ग्रामीण स्थित टैंक का भी ऐसा ही हाल है। ग्राम खादिमअलीखेड़ा, जगदीशखेड़ा, मोहीखेड़ा, झब्बूखेड़ा, नौबतपुर, जटपुरवा, फतेहपुर बह्मणा सहित 15 गांवों की 35 हजार आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है।
जलनिगम और पंचायतराज विभाग में फंसा है पेंच
पेयजल संकट पर जलनिगम के अधिकारियों का कहना है कि व्यवस्था बदल गई है। टैंक के रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायतों के हवाले कर 14वें वित्त से राशि दिए जाने के निर्देश हैं। जलनिगम के पास कोई बजट न होने पर मोटर बनवाने से लेकर लीकेज बंद कराने तक के कार्य प्रभावित हैं। वहीं संबंधित ग्राम प्रधानों के अनुसार उन्हें न तो कोई स्पष्ट निर्देश मिले हैं और न ही धनराशि जारी हुई है। पेयजल व्यवस्था जलनिगम और पंचायत विभाग के बीच उलझ गई है। आम जनता की सुविधा के लिए करोड़ों खर्च कर बनाए गए टैंक सफेद हाथी बने हुए हैं।
विधायक बंबा लाल दिवाकर ने बताया कि लाइनें चोक होने की जानकारी मिली है। विभागों में समन्वय कराकर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।
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