लंबे समय के इंतजार के बाद ओखला पक्षी विहार एक बार फिर से गुलजार होने लगा है। मेहमान परिंदों की संख्या छह हजार तक पहुंच गई है। वहीं आगंतुकों की संख्या में भी काफी बढ़त हुई है। इस बार पक्षियों का आगमन देर से हुआ है। नहर की सफाई के कारण लंबे समय तक झील में पानी न होने के कारण इस बार पक्षी देर से पहुंचे हैं। रविवार को आगंतुकों की संख्या में भी करीब 80 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। इस बार विदेशी पक्षियों के आगमन से पूर्व वन विभाग ने झील की सफाई से लेकर उनके रहने और सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। झील में विदेशी पक्षियों को विचरण करने में किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए जलकुंभियों को साफ कराए गया है।
जिला वन अधिकारी ने बताया कि पक्षी विहार में पक्षियों और आगंतुकों की संख्या बढ़ने के बाद से ही कई व्यवस्था की गई हैं। सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षाकर्मी की भी तैनाती की गई है और वन विभाग के अधिकारी मॉनिटरिंग करने में लगे हैं। पक्षियों के बैठने के लिए बांस के मचान भी बनाए गए हैं, जहां विदेशी पक्षी आसानी से बैठ सके। झील के अंदर भी जगह-जगह पर पक्षियों के बैठने और तैरने की बेहतर सुविधा की गई है। उन्होंने बताया कि विदेशी पक्षी एक मेहमान के रूप में है, जिसे देखते हुए बेहतर से बेहतर सुविधाएं और व्यवस्था करने का काम वन विभाग द्वारा लगातार किया जा रहा है।
कौन-कौन से पक्षी दिखना हुए शुरू
लिटिल इग्रेट, लिटिल कॉर्मोनेंट, ब्लैक हैडिड, एशियन ओपनबिल स्टॉर्क समेत और भी कई पक्षी कैमरे में कैद हुए हैं। बर्ड वॉचर्स के अनुसार अभी ऐसे कई और पक्षी हैं जो नहीं आए हैं। थोड़ी और ठंड बढ़ने पर वह आएंगे। उनके आने के बाद पक्षी विहार की रौनक को चार चांद लग जाएंगे।
हजारों किलोमीटर का सफर कैसे तय करते हैं पक्षी
पक्षियों के शोधकर्ता डॉ फय्याद खुदसार ने बताया कि इतनी दूर से हजारो किलोमीटर का सफर करने में इन पक्षियों के असली सहायक चांद,सूरज व तारे होते हैं जिन्हें देखकर यह अपनी दिशा तय करते हैं। वहीं रेकी करने आए पक्षी रास्ते में कई ऐसी चीजों को अपना सहारा बना लेते हैं जिनसे इन्हें रास्ता ढूंढने में कोई परेशानी नहीं होती है। कई बड़ी संख्या में यह पक्षी एक साथ प्रवास करते हैं। उन्होंने बताया कि यह पक्षी केवल दो तीन माह के लिए ही मेहमान बनकर आते हैं। बाकी सब सामान्य होने पर यह वापस अपने घरों को चले जाते हैं।